संसद ने मंगलवार को राष्ट्रीय दंत आयोग विधेयक 2023 एवं ‘राष्ट्रीय परिचर्या और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक, 2023’ को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। लोकसभा ने 28 जुलाई को हंगामे के बीच इन विधेयकों को मंजूरी दी थी।
राष्ट्रीय दंत आयोग विधेयक का उद्देश्य देश में दंत चिकित्सा व्यवसाय को विनियमित करना तथा गुणवत्तापूर्ण और किफायती दंत चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराना है। वहीं राष्ट्रीय परिचर्या और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक में परिचर्या और प्रसूति विद्या पेशेवरों (नर्सिंग एवं मिडवाइफ) संबंधी शिक्षा एवं सेवा मानकों के विनियमन, संस्थाओं के मूल्यांकन तथा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय रजिस्टर के रखरखाव का उपबंध किया गया है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यसभा में दोनों विधेयक पेश किए। बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा और ममता मोहंता, भाजपा के सिकंदर कुमार और भुवनेश्वर कालिता, वाईएसआर कांग्रेस के एस निरंजन रेड्डी और वी विजय साई रेड्डी, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम के एम थंबीदुरई, तमिल मनीला कांग्रेस (एम) के जी के वासन, तेलुगु देशम पार्टी के कनकमेदला रवींद्र कुमार ने चर्चा में हिस्सा लिया और विधेयकों का समर्थन किया। इस दौरान विपक्ष के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे। विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर के मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया था।
निरीक्षण के बाद 143 दवा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी: सरकार
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों के साथ मिलकर 162 दवा कंपनियों का जोखिम आधारित निरीक्षण किया और 143 मामलों में कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। मांडविया ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 40 मामलों में उत्पादन रोकने का आदेश जारी किया गया है, 66 मामलों में उत्पाद व लाइसेंस रद्द और निलंबित किए गए हैं, 21 मामलों में चेतावनी पत्र जारी किए गए हैं और एक मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है।