देश में कोविड-19 के नए मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। रोजाना नए मामलों की संख्या आज बढ़कर 10,000 के पार पहुंच गई। पिछले साल अगस्त के बाद से कोविड महामारी के दैनिक मामलों की यह सबसे बड़ी संख्या है। मगर मामले बढ़ने के बाद भी इस बार अस्पतालों में वैसे हाल नहीं दिख रहे हैं जैसे पहले संक्रमण बढ़ने पर दिखे थे।
अस्पतालों में हैंड सैनिटाइजर की इक्का-दुक्का बोतलें ही दिख रही हैं और गिने-चुने स्वास्थ्यकर्मी ही मास्क पहने नजर आ रहे हैं। कई अस्पतालों में तो कोविड मरीजों के लिए खास वार्ड तक नहीं बनाए गए हैं। हालांकि कई निजी अस्पतालों में कोविड संक्रमण से बचाव के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं मगर टीकाकरण होने और कोविड वायरस के नए स्वरूप कमजोर साबित होने के कारण लोगों में इस महामारी का डर लगभग खत्म हो गया है। विशेषज्ञ कोविड महामारी के इस दौर को सामान्य स्थिति ही मान रहे हैं।
जाने-माने विषाणु विज्ञानी जैकब जॉन कहते हैं, ‘वैश्विक महामारी असामान्य बात थी मगर अपब महामारी सामान्य बात हो गई है। मौजूदा स्थिति हमेशा बनी रह सकती है।’
फोर्टिस हॉस्पिटल, महाराष्ट्र में कारोबार प्रमुख एस नारायणी बताती हैं कि वे कोविड के लिए अब 20 बिस्तरों का वार्ड चला रही हैं और 2-3 बिस्तर वाला सघन चिकित्सा कक्ष (ICU) भी बनाया गया है। उन्होंने कहा, ‘हमने अंदर आने और बाहर जाने के अलग-अलग दरवाजे बनाए हैं। जरूरत पड़ी तो हम मुलुंड में 400 बिस्तरों में से आधे कोविड मरीजों के लिए ही रख सकते हैं। फिलहाल घबराने की कोई बात नहीं है। सभी जरूरी निर्देश जारी किए जा चुके हैं।’
दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भी कोई कोविड वार्ड नहीं है और कोविड के मरीजों के लिए केवल 5 बिस्तर रखे गए हैं। ये सभी बिस्तर अभी भरे हुए हैं। चिकित्सक और एम्स प्रशासन कोविड संक्रमित मरीजों को पास में मौजूद सफदरजंग अस्पताल में बिस्तर का इंतजाम करने को कह रहे हैं। यहां भी बहुत कम संख्या में कर्मचारी, स्वास्थ्य कर्मी मास्क या पीपीई किट पहने देखे जा रहे हैं।
एक बड़े निजी अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि अस्पताल के कर्मचारियों को मास्क पहनने समेत कोविड से बचाव के सभी निर्देश दे दिए गए हैं। मगर वे ज्यादा समय तक इन बातों का ध्यान नहीं रखेंगे।
चहुंओर ढिलाई है मगर दिल्ली का मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पूरी तरह तैयार है। इसने कोविड संक्रमित मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाया है, जिसमें इस वक्त कोविड के पांच मरीजों का इलाज हो रहा है। ओपीडी कर्मचारी उतने गंभीर नहीं दिख रहे मगर आईसीयू और जांच लैब में काम करने वाले डॉक्टर तथा नर्स आदि मास्क तथा पूरी पीपीई किट में दिख जाते हैं।
चिकित्सकों का कहना है कि कोविड की दो-तीन लहर झेलने के बाद लोगों का व्यवहार भी खासा बदल गया है। चिकित्सकों के अनुसार अब ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई है जो खांसी, सर्दी-जुकाम या बुखार के लक्षणों को अधिक गंभीरता से ले रहे हैं और चिकित्सकों से फौरन मशविरा कर रहे हैं।
इस बार मामले बढ़ने के बाद भी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ भले ही नहीं दिख रही है मगर कुछ चिकित्सकों को कोविड वायरस के लगातार बदलते स्वरूपों की चिंता है। दिल्ली के रेडिक्स हेल्थकेयर में निदेशक और बाल रोग चिकत्सत रवि मलिक कहते हैं, ‘पिछली लहरों में हम कोविड महामारी की चाल का सही से अनुमान नहीं लगा पाए थे। अब हर तरह के एहतियात बरतने का वक्त आ गया है। सांस की बात हो या हाथों की सफाई, लापरवाही नहीं बरत सकते।’
अस्पतालों का कहना है कि हालात बिगड़े तो वे किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार हैं। दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में भी कोविड के बढ़ते मामलों के बीच रोजमर्रा के जीवन पर कोई असर नहीं हुआ है। चेन्नई में चेट्टिनाड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में कोई भी मरीज या कर्मचारी मास्क नहीं पहन रहा था और न ही आपस में दूरी बना रहे थे। यहां केलमबक्कम स्वास्थ्य केंद्र पर सैकड़ों मरीज आ रहे थे मगर कोई भी कोविड से संबंधित एहतियात नहीं बरत रहा था।
(नई दिल्ली से रुचिका चित्रवंशी और अक्षरा श्रीवास्तव और देवार्घ्य सान्याल, मुंबई से सोहिनी दास और सचिन मामपट्टा तथा चेन्नई से शाइन जैकब)