समय से पहले आने के बाद अब देश में मॉनसून कमजोर पड़ने लगा है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मॉनसून कुछ दिनों के लिए ठहर सकता है और संभावना है कि अगले 8-10 दिनों तक यह कमजोर रह सकता है, जिससे देश के उत्तर पश्चिम इलाकों में इसके आगमन में देरी हो सकती है।
बारिश नहीं होने से उत्तर और मध्य भारत में लू बढ़ सकती है। साथ ही इन इलाकों के किसान फिलहाल महत्त्वपूर्ण तिलहन, दलहन और अनाज की फसलों की बोआई न करें।
देश के प्रख्यात मॉनसून विशेषज्ञ और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, ‘नियमित के बाद मॉनसून के आने में देरी हो सकती है। अगले 8 से 10 दिनों में इसके मजबूत होने के आसार नहीं हैं, जिससे उत्तर भारत में इसके आगमन में देरी हो सकती है। नतीजतन, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तर भारत के राज्यों में अभी अधिक तापमान और भीषण गर्मी पड़ेगी।’
मगर स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत का कहना है कि भले ही देश के दक्षिणी इलाकों में चक्रवातों की समाप्ति से मॉनसून कमजोर पड़ गया है, लेकिन 15-16 जून के बीच पूर्वी भारत में यह फिर से सक्रिय हो सकता है और 22 जून तक यह पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश तक सक्रिय हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘मॉनसून अभी अस्थायी तौर पर कमजोर हुआ है। ऐसा हर साल होता है।’
कुछ साल पहले भारतीय मौसम विभाग ने साल 1971-2009 के हालिया आंकड़ों के आधार पर उत्तर और मध्य भारत में सामान्य मॉनसून की शुरुआत और वापसी की तारीखों में बदलाव किया था। पहले मॉनसून की शुरुआत की तारीखें साल 1961-2019 के आंकड़ों के आधार पर आधारित थी। अद्यतन तिथि के अनुसार अब मॉनसून 27 जून के आसपास राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दस्तक दे सकता है, जबकि पहले यह सामान्य तौर पर 23 जून को आता था।
इसी तरह, तारीखों में बदलाव के बाद अब आगरा में इसके दस्तक देने की तिथि 30 जून हो गई है, जो पहले 23 जून थी। जयपुर में पहले अब 1 जुलाई से मॉनसून की बारिश शुरू होने की उम्मीद है, जो पहले 23 जून थी। भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए महत्त्वपूर्ण माने जाने वाली गर्मियों की बारिश आमतौर पर 1 जून के आसपास दक्षिण भारत से शुरू होती है और 8 जुलाई तक देश भर में फैल जाती है। इससे किसान चावल, कपास, सोयाबीन और गन्ना जैसी फसलों की बोआई करते हैं।
पिछले साल यानी 2024 में देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली मुंबई में यानी दक्षिण भारत के राज्यों में मॉनसून समय से दो पहले प्रवेश कर गया था, लेकिन मध्य और उत्तर भारत में इसके प्रवेश में कुछ दिनों की देरी हुई थी। भारत की करीब 3.5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए जीवन माने जाने वाले मॉनसून खेतों की सिंचाई और जलाशयों के लिए जरूरी करीब 70 फीसदी बारिश लाता है।
सिंचाई की सुविधाओं के बिना धान, गेहूं और गन्ना उपजाने वाले दुनिया के लगभग रकबे को काफी हद तक वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है। यहां बारिश आमतौर पर मॉनसून के दौरान जून से सितंबर के बीच होती है।
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर भारत के राज्यों में अधिकतम तापमान 42 से 46 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, जो सामान्य से करीब 3 से 5 डिग्री अधिक है। भारत सहित एशिया के कई देशों में असामान्य गर्मी पड़ रही है। इसका एक बड़ा कारण वैज्ञानिक इंसानों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन को बता रहे हैं।