प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों की रक्षा का वादा दोहराया। उन्होंने साफ कहा कि वह ऐसी किसी भी नीति के खिलाफ दीवार की तरह खड़े रहेंगे, जो किसानों के लिए नुकसानदायक हो। मोदी ने यह भी जोर दिया कि देश को जल्द से जल्द उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है। यह दूसरी बार है जब पिछले दस दिनों में प्रधानमंत्री ने व्यापार वार्ताओं में भारत का रुख साफ किया है। इससे पहले, उन्होंने कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन की जन्मशती समारोह में भी यही बात कही थी।
मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी बाजार में ज्यादा पहुंच चाहता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क की घोषणा की थी। सूत्रों के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में ज्यादा प्रगति नहीं हो पाई है, क्योंकि भारत अपने कृषि क्षेत्र को सस्ते आयात के लिए खोलने को तैयार नहीं है। अमेरिका चाहता है कि भारत मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम, इथेनॉल और डेयरी उत्पादों पर शुल्क कम करे, लेकिन भारत ने इन मांगों का विरोध किया है। भारत का कहना है कि ये कदम छोटे किसानों, डेयरी और पशुपालकों के लिए नुकसानदायक होंगे।
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प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आयात पर निर्भरता कम करने से किसानों का भला होगा और देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत में खरीफ की बुवाई के मौसम में उर्वरकों की भारी कमी देखी जा रही है। DAP (डाई-अमोनिया फॉस्फेट) और यूरिया की आपूर्ति में कमी के कारण किसान परेशान हैं। गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ कई राज्यों के मंत्रियों की बैठक में अतिरिक्त यूरिया की मांग उठी। चौहान ने राज्यों से जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार पर्याप्त मात्रा में उर्वरक भेज रही है।
भारत में हर साल करीब 6 करोड़ टन उर्वरक की खपत होती है, जिसमें से यूरिया और DAP का हिस्सा लगभग 90 प्रतिशत है। 2023-24 में अनुमानित 6 करोड़ टन उर्वरक में से 1.8 करोड़ टन आयात किया गया, बाकी का उत्पादन देश में ही हुआ। पिछले कुछ सालों में भू-राजनीतिक कारणों से उर्वरक आयात की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा गया है। ऐसे में, मोदी का आत्मनिर्भरता का आह्वान इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री के इस रुख का स्वागत किया है। कृषि मंत्रालय ने भी उनके इस बयान की सराहना में एक समारोह आयोजित किया। भारत ने ऑस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड जैसे देशों के साथ हुए व्यापार समझौतों में भी अपने कृषि क्षेत्र को संरक्षित रखा है और इसमें कोई छूट नहीं दी है।