महाराष्ट्र में दो विधानसभा सीटों कस्बा और चिंचवड के नतीजे सामने आये। जिसमें सत्ता पर काबिज होने के बावजूद भाजपा अपना 28 साल पुराना किला (कस्बा सीट) नहीं बचा पाई। हालांकि चिंचवड में भाजपा ने एक बार फिर जीत दर्ज की। कस्बा पेठ सीट पर भाजपा का 1995 से कब्जा था। जहां कांग्रेस के उम्मीदवार रविंद्र धंगेकर ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने गढ़ पुणे की इस सीट को बरकरार रखने में विफल रही और उसके उम्मीदवार हेमंत रसाने को हार का सामना करना पड़ा। पुणे से मौजूदा भाजपा सांसद गिरीश बापट ने 2019 तक पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के गठबंधन महा विकास आघाड़ी (MVA) के समर्थन वाले उम्मीदवार धंगेकर ने भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की। कसबा सीट पर रविंद्र धंगेकर को 73,194 वोट मिले हैं जबकि बीजेपी के हेमंत रासने को 62,224 मत मिले हैं।
कस्बा पेठ में कांग्रेस की जीत महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले साल जून में राज्य सरकार बदलने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा-एकनाथ शिंदे के नेतृत्व और विरोधी MVA के बीच यह पहली सीधी टक्कर थी। नतीजा घोषित होने के बाद धंगेकर ने कहा कि यह जनता की जीत है। जिस दिन मैंने नामांकन पत्र भरा, उसी दिन कस्बा पेठ क्षेत्र की जनता ने मुझे जिताने का फैसला कर लिया था।
वहीं, भाजपा उम्मीदवार रसाने ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि वह इस बात का मंथन करेंगे कि उनसे कहां और कैसे चूक हुई। कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मोहन जोशी ने पार्टी और MVA की इस ऐतिहासिक जीत के लिए कस्बा पेठ के मतदाताओं को बधाई देते हुए कहा कि यह उन सभी MVA कार्यकर्ताओं की जीत है जिन्होंने इस चुनाव को पूरी एकजुटता के साथ लड़ा। इस चुनाव ने दिखा दिया है कि धन बल कारगर नहीं हो सकता।
दोनों सीट पर जीत हासिल करने के लिए शिंदे-फडणवीस गठबंधन काफी मेहनत की थी। भाजपा विधायक मुक्ता तिलक की मौत की वजह से कस्बा पेठ पर उपचुनाव हुआ था। वहीं चिंचवड सीट पर भाजपा के लक्ष्मण जगताप की मौत की वजह से उपचुनाव हुआ। बीती 26 फरवरी को दोनों सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान हुआ था। चिंचवड सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की।
रविंद्र धंगेकर ओबीसी समाज से आते हैं। साथ ही उनका क्षेत्र में अपना एक राजनीतिक वजूद है। उन्होंने साल 2009 में मनसे के टिकट पर बीजेपी के गिरीश बापट को कड़ी टक्कर दी थी। उस समय बापट ने मात्र सात हजार वोटों से वह चुनाव जीता था। इसके पहले वह कई बार स्थानीय पार्षद रह चुके हैं। साल 2014 में उन्होंने चुनाव लड़ा था लेकिन जीत नहीं मिल पाई थी। साल 2017 पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण धंगेकर को कांग्रेस में लाये थे लेकिन उन्हें 2019 के चुनाव में टिकट नहीं मिल पाया था।