अमेरिका की पहल पर बने इंडो पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) के तहत भारत सहित 13 अन्य देश स्वच्छ और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था पर बातचीत को आगामी मंत्रिस्तरीय बैठक में अंतिम रूप दे सकते हैं। यह बैठक अगले सप्ताह सैन फ्रांसिस्को में होने वाली है।
इसके साथ ही आईपीईएफ के 4 स्तंभों में से 3 पर बातचीत पूरी हो जाएगी। अमेरिका की ओर से की गई आर्थिक पहल के डेढ़ साल के भीतर यह पूरा हो जाएगा।
इस पहल के दूसरे स्तंभ आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन पर समझौते की कानूनी जांच प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है। सरकार से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन पर समझौते पर हस्ताक्षर करने को लेकर घरेलू मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है।
पहले स्तंभ या ट्रेड पिलर पर भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हालांकि इस पर बातचीत पूरी होने में कुछ और वक्त लग सकता है, क्योंकि इस पर वार्ता सबसे थकाऊ है।
भारत ने ट्रेड पिलर को कुछ समय के के लिए पर्यवेक्षण के दर्जे में रखा है। इसका मतलब यह हुआ कि इस स्तंभ में शामिल होने को लेकर भारत का रुख लचीला है और बातचीत पूरी होने के बाद ही अंतिम फैसला होगा।
अमेरिकी वाणिज्य सचिव जिना रायमोंडो ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘डेढ़ साल के भीतर बाइडन प्रशासन ने भारत प्रशांत क्षेत्र के 14 साझेदार देशों के साथ एक ढांचा स्थापित किया है, जिससे दीर्घावधिआर्थिक मसलों का समाधान हो सके और अमेरिका और अन्य साझेदार नए बदलावों के मुताबिक प्रतिक्रिया दे सकें और अवसरों का लाभ उठा सकें, चाहे कोविड-19 से आपूर्ति श्रृंखला में पैदा हुए व्यवधान से निपटने का मसला हो, या निवेश के नए अवसर का लाभ उठाने का मसला हो।’
दूसरी व्यक्तिगत मंत्रिस्तरीय बैठक भारत के लिए अहम है, क्योंकि अब तक इस साल किसी व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सका है। राजनीतिक तनाव के कारण कनाडा से बातचीत पटरी से उतर गई है। वहीं ब्रिटेन के साथ बातचीत में कुछ प्रमुख क्षेत्रों में सहमति नहीं बन सकी है।
बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग व्यवस्था भारत के साथअमेरिका के लिए भी रणनीतिक महत्त्व का है क्योंकि इसे दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने की पहल के रूप में देखा जा रहा है।
काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट में मानद प्रोफेसर विश्वजीत धर ने कहा, ‘अगर आप आपूर्ति श्रृंखला स्तंभ को देखें तो इसमें श्रम एवं पर्यावरण मानक का बड़ा महत्त्व है। भारत इसके अनुपालन के लिए अभी तैयार नहीं है। मानक को लेकर चिंता है और मांग के मुताबिक मानक पूरा करना कठिन है।’