भारत सरकार 2 दशकों के माइग्रेशन पर सर्वे कराने की तैयारी में है। इसमें यह जानने की कवायद होगी कि इससे नागरिकों के जीवन में सुधार हुआ है, या वे अपने पिछले निवास स्थान पर वापस जाने पर विचार कर रहे हैं।
सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा किए जाने वाले इस सर्वेक्षण में यह पता लगाया जाएगा कि क्या माइग्रेशन से प्रवासियों की आय में कोई बदलाव आया है। साथ ही आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी सुविधाओं या बचत में सुधार की स्थिति भी जानी जाएगी। इसके अलावा प्रवासन से प्रवासियों की शांति और स्थिरता पर पड़े असर की भी जानकारी हासिल की जाएगी।
सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी किए गए मसौदा कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) जुलाई 2026 से जून 2027 की अवधि के लिए प्रस्तावित प्रवासन सर्वे में इस तरह की जानकारियां जुटाई जाएंगी।
हाल के वर्षों में तेजी से हो रहे सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के कारण बढ़ती गतिशीलता के बीच इसका महत्त्व बढ़ जाता है।
इसके पहले जुलाई 2007 से जून 2008 के बीच इस तरह का सर्वे हुआ था। उसके बाद माइग्रेशन पर कराए जा रहे सर्वे का उद्देश्य देश भर में माइग्रेशन की वजह, अल्पकालिक प्रवास और परिवारों व व्यक्तियों की अन्य संबंधित विशेषताओं को मापना है। माइग्रेशन पर सर्वे के मसौदे पर 30 नवंबर तक प्रतिक्रिया दी जा सकती है।
इसके अलावा सर्वे में यह भी जानकारी हासिल की जाएगी कि क्या माइग्रेशन करने वाले लोगों को अपने नए निवास स्थान पर किसी तरह की समस्या हो रही है और क्या उन्हें किसी तरह के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक या सांस्कृतिक प्रकृति की समस्या से जूझना पड़ रहा है। सर्वे में यह भी जानने की कोशिश होगी कि प्रवासी व्यक्ति वर्तमान निवास के अपने पूर्व निवास पर जाना चाहता है, या किसी अन्य स्थान पर जाने को इच्छुक है।