नीति आयोग के सदस्य राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के अनुरूप सरकार ने प्लास्टिक, पॉलिमर, सिंथेटिक फाइबर और धागा सहित 14 वस्तुओं पर गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) वापस ले लिए हैं। इस कदम का उद्देश्य अनुपालन बोझ को कम करना और विनिर्माण उद्योग के लिए कच्चे माल की उपलब्धता को आसान बनाना है।
राजपत्र अधिसूचना के अनुसार भारतीय मानक ब्यूरो से परामर्श के बाद इन आदेशों को ‘जनहित में’ रद्द कर दिया गया है। रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग द्वारा जारी यह आदेश 12 नवंबर से प्रभावी है।
इसके साथ ही, 100 फीसदी पॉलिएस्टर कताई वाले धागे, पॉलिएस्टर औद्योगिक धागे, विस्कॉस स्टेपल फाइबर, पॉलिकार्बोनेट, पॉलियूरेथेन आदि को अब भारतीय बाजार में आयात और बिक्री के लिए भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणन की आवश्यकता नहीं होगी।
पिछले महीने सौंपी गई एक आंतरिक रिपोर्ट में समिति ने 200 से ज्यादा उत्पादों के लिए क्यूसीओ को रद्द करने, निलंबित करने और स्थगित करने का प्रस्ताव किया था। समिति ने चिंता जताई थी कि इन आदेशों से अनुपालन का बोझ बढ़ गया है और आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है। इससे भारत की विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता भी प्रभावित हो रही है।
समिति ने सिफारिश की थी कि उद्योग पर दबाव कम करने के लिए प्लास्टिक, पॉलिमर, मूल धातु, फुटवियर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे प्रमुख इनपुट से जुड़े 27 क्यूसीओ रद्द करना चाहिए।
आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार घरेलू कताई करने वाले, बुनकर और परिधान विनिर्माता कच्चे माल पर क्यूसीओ लागू होने के कारण वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कच्चा माल प्राप्त करने में असमर्थ थे।
उद्योग की मुख्य शिकायत यह थी कि सिंथेटिक फाइबर विनिर्माताओं को प्रमुख निर्यातक देशों के विनिर्माताओं की तुलना में 20 से 35 फीसदी अधिक कीमतों पर कच्चा माल मिलता है। इसके कारण तैयार माल की लागत बढ़ जाती है और निर्यात प्रभावित होता है।
भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) ने कहा कि पॉलिएस्टर फाइबर और पॉलिएस्टर धागे पर क्यूसीओ को रद्द करने का सरकार का कदम विकासोन्मुख उपाय है और यह सभी उपयोगकर्ता उद्योगों की लंबे समय से मांग रही है।
सीआईटीआई के चेयरमैन अश्विन चंद्रन ने कहा, ‘पॉलिएस्टर फाइबर और पॉलिएस्टर धागों से अधिकतर मानव निर्मित फाइबर उत्पाद बनते हैं इसलिए अधिकारियों द्वारा उठाया गया यह कदम भारत में मानव निर्मित फाइबर खंड के विकास में योगदान देगा।’
उन्होंने कहा कि इन क्यूसीओ को हटाने से भारतीय कपड़ा और परिधान उत्पादों की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कच्चा माल प्राप्त करना आसान हो जाएगा।