प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार (3 मार्च) को बताया कि उसने मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत मुंबई और दिल्ली में चार स्थानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया। यह जांच पैनकार्ड क्लब लिमिटेड (PCL) और अन्य के खिलाफ कथित ₹4,500 करोड़ के घोटाले से जुड़ी है, जिसमें 50 लाख से अधिक निवेशकों को ठगा गया है।
ED के अनुसार, तलाशी के दौरान कई “आपत्तिजनक” दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनमें मुख्य आरोपी, दिवंगत सुधीर मोरवेकर के परिवार के सदस्यों द्वारा संचालित विदेशी संपत्तियों का विवरण शामिल है। सुधीर मोरवेकर उस समय M/s Pancard Clubs Limited के निदेशक थे। ये दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं। इसके अलावा, यह भी पाया गया है कि इन संपत्तियों से लीज रेंटल आय हो रही है।
ED ने अपनी जांच मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज की गई FIR के आधार पर शुरू की। यह FIR भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की विभिन्न धाराओं और महाराष्ट्र डिपॉजिटर्स के हितों की सुरक्षा अधिनियम, 1999 (MPID) के तहत M/s Pancard Clubs Limited और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई थी।
ED ने बताया कि जांच में खुलासा हुआ है कि M/s Pancard Clubs Ltd और उसके निदेशकों ने विभिन्न अवधि की निवेश योजनाएं चलाईं, जिनकी अवधि तीन से नौ वर्ष तक थी। इनमें जनता से जमा राशि पर अधिक रिटर्न के अलावा, होटल छूट, दुर्घटना बीमा और अन्य लाभों का वादा किया गया था। हालांकि, इन योजनाओं को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित मौजूदा नियमों की अनदेखी करते हुए चलाया गया था।
ED ने आगे कहा, “सर्च ऑपरेशन के दौरान ऐसे दस्तावेजी सबूत भी मिले हैं, जो दिखाते हैं कि सह-आरोपियों और परिवार के सदस्यों द्वारा संपत्तियों को बेचने का प्रयास किया गया था। ये संपत्तियां प्रथम दृष्टया अपराध से अर्जित धन का हिस्सा लगती हैं। तलाशी के दौरान डिजिटल रिकॉर्ड भी बरामद किए गए और जब्त कर लिए गए।”
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एक अन्य मामले में, ED के जालंधर जोनल ऑफिस ने शुक्रवार को VueNow Marketing Services Ltd के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सुखविंदर सिंह खरौर और उनकी पत्नी डिंपल खरौर को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई कथित ₹3,558 करोड़ के क्लाउड पार्टिकल इन्वेस्टमेंट घोटाले से जुड़ी है।
ED के अनुसार, जांच में पाया गया कि VueNow Group के सीईओ और संस्थापक सुखविंदर सिंह इस घोटाले के “मास्टरमाइंड” थे। उन्होंने अपने करीबी सहयोगियों के साथ मिलकर कथित तौर पर कई हजार करोड़ रुपये के “क्लाउड पार्टिकल घोटाले” को अंजाम दिया। ED का आरोप है कि आरोपियों ने निवेशकों के पैसे का दुरुपयोग कर उसे निजी लाभ के लिए हड़प लिया।