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E-waste: Unctad की रिपोर्ट में खुलासा, भारत में 163 फीसदी बढ़ा इलेक्ट्रॉनिक कचरा

रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक कचरे के हानिकारक प्रभाव के बारे में कहा गया है कि विकासशील देशों में डिजिटलकरण से पैदा होने वाले कचरे का बड़ा हिस्सा ठीक से संसाधित नहीं किया जाता

Last Updated- July 14, 2024 | 11:11 PM IST
DoT has to be involved in deciding end of life cycle of telecom products for e waste rules , says COAI

इलेक्ट्रॉनिक कचरे में भारत ने दुनिया भर की तुलना में भारी वृद्धि की है। हाल की संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड/Unctad) डिजिटल इकॉनमी रिपोर्ट 2024 में कहा गया है कि साल 2010 से 2022 के बीच स्क्रीन, कंप्यूटर एवं स्मॉल आईटी और दूरसंचार उपकरण (एससीएसआईटी) से पैदा होने वाले कचरे की मात्रा में भारत की वृद्धि दर दुनिया भर में सर्वाधिक 163 फीसदी है।

‘शेपिंग ऐन एनवायर्नमेंटली सस्टेनेबल ऐंड इन्कलूसिव डिजिटल फ्यूचर’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की दुनिया में एससीएसआईटी कचरे के उत्पादन में हिस्सेदारी साल 2010 के 3.1 फीसदी से बढ़कर साल 2022 में 6.4 फीसदी हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया के विकासशील देशों में साल 2022 में ऐसे कचरों में भारी वृद्धि हुई है, जिसमें चीन की आधी हिस्सेदारी है।

रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक कचरे के हानिकारक प्रभाव के बारे में बताया गया है। इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि विकासशील देशों में डिजिटलकरण से पैदा होने वाले कचरे का बड़ा हिस्सा ठीक से संसाधित नहीं किया जाता है। इसमें कहा गया है, ‘डिजिटलकण से संबंधित कचरे में खतरनाक चीजें होती हैं और अगर इसे ठीक से संसाधित नहीं किया गया तो ये पर्यावरण को हमारे स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है। इसमें भारी धातु और आर्सेनिक, कैडमियम, सीसा और पारा जैसी जहरीली वस्तुएं होती हैं।’

मगर अंकटाड ने उत्पादों की पैकेजिंग और कचरे के प्रभाव को कम करने के लिए भारत के प्रयासों की सराहना की है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एमेजॉन इंडिया ने सिंगल यूज प्लास्टिक को पूरी तरह से उपयोग नहीं करने के लिए कदम उठाए हैं। इसमें बबल रैप और एयर पिलो जैसे प्लास्टिक पैकेजिंग मेटेरियल को पेपर कुशन में बदला गया है। भारत की डिलिवरी कंपनी जिप इलेक्ट्रिक ने सामान की डिलिवरी के लिए अपने बेड़े में शून्य उत्सर्जन वाले इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल किया है और शहरी केंद्रों में चार्जिंग नेटवर्क में निवेश किया है।’

इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2023 में वैश्विक मोबाइल डेटा का करीब एक तिहाई हिस्सा पूर्वोत्तर एशिया में पैदा हुआ और अगला सबसे बड़ा हिस्सा भूटान, भारत और नेपाल जैसे देशों से आया। अंकटाड रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2029 के अंत तक दुनिया भर में 5जी ग्राहकों की संख्या 5 अरब से अधिक होने की संभावना है। यह सभी मोबाइल ग्राहकों का करीब 60 फीसदी है। यह वृद्धि मुख्य तौर पूर्वोत्तर एशिया, खासकर चीन से होगी और इसके बाद भारत भी इनके करीब रहेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण और क्लाउड वाली सेवाओं की बढ़ती मांग के साथ एशिया और प्रशात क्षेत्र में साल 2024 तक कुल डेटा सेंटर बाजार 28 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। डेटा सेंटर के मामले में चीन नेतृत्व करेगा और भारत एवं सिंगापुर भी आगे रहेंगे।

First Published - July 14, 2024 | 11:11 PM IST

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