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दो हकीकतों की कहानी बयां करता है डिजिटल इंडिया

Last Updated- May 12, 2023 | 11:12 PM IST
Growth story from theater to television and now to streaming platforms

भारत में 15 से 29 वर्ष की आयु के 70 फीसदी से अधिक युवा अटैच्ड फाइलों के साथ ईमेल नहीं भेज सकते हैं। जबकि करीब 60 फीसदी युवा किसी फाइल या फोल्डर को कॉपी या ट्रांसफर नहीं कर सकते। इसी प्रकार 80 फीसदी से अधिक युवाओं को कंप्यूटर या किसी अन्य डिवाइस के बीच फाइलों को स्थानांतरित करना नहीं आता। महज 8.6 फीसदी भारतीय युवा प्रजेंटेशन सॉफ्टवेयर (टेक्स्ट, इमेज, वीडियो, ऑडिया या चार्ट सहित) के जरिये इलेक्ट्रॉनिक प्रजेंटेशन बना सकते हैं।

इन आंकड़ों का खुलासा 2020-21 के लिए किए गए मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे से हुआ है। इसे राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने पिछले महीने प्रकाशित किया था। इस सर्वेक्षण ने 15 से 29 वर्ष आयुवर्ग के बीच भारतीयों के सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) कौशल का आकलन करने के लिए 9 मापदंडों को परिभाषित किया है।

इन मापदंडों में सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल एवं अपडेट करना, कने​क्टिंग एवं इंस्टॉलिंग डिवाइस, स्प्रे​ड​शीट में बुनियादी अंकग​णितीय फॉर्मूले का उपयोग आदि शामिल हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि अ​धिकतर बुनियादी आईसीटी कौशल में भारतीय युवाओं का प्रदर्शन कमजोर है। व्य​क्तिगत मानदंडों- किसी फाइल या फोल्डर को भेजने- में सबसे अ​धिक आंकड़ा 41.7 फीसदी था।

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आईसीटी के आंकड़ों से चिंताजनक तस्वीर दिखती है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले पांच वर्षों के दौरान भारतीय श्रम बाजार को प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित क्षेत्रों से रफ्तार मिलेगी। इसका नेतृत्व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम मेधा) और मशीन लर्निंग (38 फीसदी), डेटा एनालिटिक्स एवं साइंटिस्ट (33 फीसदी) और डेटा एंट्री क्लर्क (32 फीसदी) आदि रोजगार क्षेत्र करेंगे।

श्रम बाजार में बदलाव का तात्पर्य रोजगार में मौजूदा ​स्थिति के मुकाबले संभावित बदलाव है जिसमें नए पदों का सृजन और मौजूदा पदों का खत्म होना भी शामिल है। हालांकि इसमें उन परि​स्थितियों को बाहर रखा गया है जहां कोई नया कर्मचारी समान पद वाले किसी कर्मचारी की जगह लेता है। यह रिपोर्ट 27 उद्योग समूहों के बीच करीब 800 कंपनियों और दुनिया भर की 45 अर्थव्यवस्थाओं का परिदृश्य सामने लाती है।

तकनीक और आईटी कौशल में महारत हासिल करने के लिए अगले मोर्चे के तौर पर उभरने वाली कृत्रिम मेधा के साथ भारतीय कंपनियां एआई इंजीनियर, एआई ट्रेनर, एआई ऑडिटर, एथिक्स कोच आदि नए पदों के लिए निय​क्तियां पहले ही शुरू कर चुकी हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इससे आम लोगों के लिए तकनीक एवं आईटी क्षेत्र का दरवाजा खुल सकता है। मुंबई के एसपी जैन स्कूल ऑफ ग्लोबल मैनेजमेंट के निदेशक (मास्टर्स ऑफ एआई इन बिजनेस) और अध्यक्ष, सेंटर फॉर रिसर्च ऑन टेक्नोलॉजी इन बिजनेस देवा​शिष गुहा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था कि जेनेरेटिव एआई संबंधी रोजगार के लिए हार्डकोर कंप्यूटर इंजीनियरिंग संबंधी कौशल में प्र​शि​क्षित होने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय अंग्रेजी अथवा इतिहास जैसे मानविकी विषय वाले छात्र भी इनका उपयोग आसानी से कर सकेंगे।

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हालांकि बड़ी तादाद में भारतीय युवाओं को बुनियादी आईसीटी कौशल की जानकारी नहीं है। टीमलीज सर्विसेज की सह-संस्थापक एवं कार्यकारी निदेशक ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा कि इस चुनौती से दो ​हिस्सों में निपटने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘पहला, हमारे दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी का प्रभाव और हम प्रौद्योगिकी के साथ किस प्रकार उलझ गए हैं अथवा किसी न किसी रूप में उसका उपयोग करने के अभ्यस्त हो चुके हैं। दूसरा, कौशल हासिल करने में तत्परता। इससे आपको तकनीक एवं संबद्ध क्षेत्रों में रोजगार हासिल करने में मदद मिलेगी। हमारी युवा पीढ़ी पहले के लिए कहीं अ​धिक अधिक तैयार है।’

साउथ दिल्ली स्कूल में मनोविज्ञान की ​शिक्षक एवं बच्चों व युवाओं में व्यवहार संबंधी मनोविज्ञान के शोधकर्ता रेवती आनंद ने कहा, ‘2000 के दशक के अंत और 2010 की शुरुआत के बीच पैदा हुए लोगों के लिए व्यक्तिगत तकनीक का उपयोग दूसरी प्रकृति बन गया है। स्मार्टफोन पर ऐप खोलना या ब्लूटूथ द्वारा फाइल साझा करना किसी लेखन सामग्री या किताब पढ़ने जैसा हो गया है। प्रौद्योगिकी ने संवेदनशील मोटर भाषा को जन्म दिया है जिसे बच्चा व्यक्तिगत तकनीक से घिरे होने के कारण इसे सीख लेता है।’

First Published - May 12, 2023 | 11:12 PM IST

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