अमेरिकियों के लिए पर्चे पर लिखी दवाओं की कीमतों को अन्य विकसित देशों की सबसे कम कीमतों के बराबर लाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कदम से भारतीय दवा कंपनियों पर तुरंत असर पड़ने की संभावना नहीं है। विश्लेषकों और विशेषज्ञों ने यह अनुमान जताया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को जीएसके, मर्क, नोवार्टिस और सैनोफी सहित फार्मास्युटिकल क्षेत्र की 9 कंपनियों के साथ सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) के अपने मूल्य निर्धारण का खुलासा किया था। विश्लेषकों का कहना है कि एमएफएन की इस नीति का मुख्य लक्ष्य पेटेंट वाली दवाएं हैं और इससे भारत पर शायद असर न पड़े, क्योंकि भारत की आम तौर पर जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति में बड़ी भूमिका है।
भारत कुल बाजार की लगभग 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अमेरिका का सबसे बड़ा जेनेरिक आपूर्तिकर्ता है। अमेरिका भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों के लिए 10.52 अरब डॉलर का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है और उसने वित्त वर्ष 2024-25 में देश के कुल 30.38 अरब डॉलर के फार्मा निर्यात में 34.6 प्रतिशत का योगदान दिया है।
अलबत्ता एमएफएन के मूल्य निर्धारण के कारण वैश्विक मूल्य निर्धारण के बेंचमार्क में बदलाव से भारतीय जेनेरिक विनिर्माताओं पर परोक्ष असर हो सकता है। एक फार्मा कंपनी के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘अगर अमेरिका के दबाव के कारण कम और मझोली आय वाले देशों (एलएमआईसी) में रेफरेंस कीमतें बढ़ती हैं, तो भारतीय निर्यातकों को उन बाजारों में ज्यादा प्रतिस्पर्धा या कम मार्जिन का सामना करना पड़ सकता है।’
इसी तरह अन्य प्रभावों में दवा विनिर्माताओं द्वारा कम कीमत वाले बाजारों में नई दवाएं पेश करने में देर करना या फिर अमेरिका में कीमतों को अधिक स्तर पर बनाए रखने के लिए विकासशील देशों में भी नई दवाएं अधिक कीमतों पर पेश करना शामिल है। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि सन फार्मा जैसी दवा विनिर्माताओं पर भी अमेरिका में उसके खास दवा वाले पोर्टफोलियो पर कुछ असर पड़ सकता है।
मई के आसपास नुवामा की रिपोर्ट में कहा गया था कि सन फार्मा के बेहतर उत्पाद संयोजन से उसकी अधिक परिचालन लागत और कर दर के प्रभावों की आंशिक रूप से भरपाई हो सकती है। इसमें कहा गया था, ‘लेकिन संभावित टैरिफ और एमएफएन के मूल्य निर्धारण के अनुसार दामों में फेरबदल के संबंध में अनिश्चितता से भविष्य की कमाई में कटौती हो सकती है।’ निवेशकों को दी गई रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में कंपनी की अमेरिकी बिक्री 8,216 करोड़ रुपये रही। टिप्पणी के लिए सन फार्मा से तुरंत संपर्क नहीं किया जा सका।