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Dhanteras-Diwali market in UP : कांसे, पीतल, तांबे के बर्तन से गुलजार बाजार, ठेठ देशी पटाखों की धूम

चीन से आयातित और आधुनिक फैक्ट्रियों में बने पटाखों की जगह गांवों में बनने वाले ठेठ देशी पटाखों की सबसे ज्यादा मांग इस बार बाजार में है।

Last Updated- November 10, 2023 | 5:40 PM IST
Dhanteras-Diwali market in UP: Market buzzing with bronze, brass, copper utensils, typical local firecrackers
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Dhanteras-Diwali market in UP : दशकों पहले चलन में रही कांसे, पीतल, तांबे के बर्तन इस बार दीवाली के त्योहार पर खरीददारों की पहली पसंद बन रहे हैं। चीन से आयातित और आधुनिक फैक्ट्रियों में बने पटाखों की जगह गांवों में बनने वाले ठेठ देशी पटाखों की सबसे ज्यादा मांग इस बार बाजार में है।

स्टील से ज्यादा कांसे, पीतल, तांबे के बर्तनों की मांग

धनतेरस के मौके पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के साथ ही सभी बड़े शहरों में सजी बर्तन की दुकानों पर इस बार सबसे ज्यादा मांग स्टील के नहीं बल्कि पीतल, फूल, तांबे और मिश्रित धातुओं के बर्तनों की दिखाई दी है। स्टील के मुकाबले खासे महंगे होने के बाद भी इन धातुओं के बर्तनों की मांग पिछले सालों के मुकाबले खासी बढ़ी है। यहां तक कि शगुन में न खरीदे जाने वाले एल्यूमीनियम के बर्तन तक इस बार अच्छी मांग में हैं।

लखनऊ के सबसे बड़े बर्तन बाजार यहियागंज के कारोबारी सुधांशु बताते हैं कि धनतेरस के दिन सबसे ज्यादा मांग तांबे के बर्तनों की रही है। लोगों ने शगुन के लिए भले ही स्टील के छोटे-मोटे बर्तन खरीदे हैं पर बड़ी खरीद तो तांबे और उसके बाद पीतल व फूल के बर्तनों की ही हुई है।

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उनका कहना है कि तांबे की मांग बीते कई सालों से बाजार में बढ़ रही है जिसके चलते अब इसके बर्तन नई व आधुनिक डिजाइन में उपलब्ध हैं। शौकिया तौर पर लोगों ने कांसे की थालियां, फूल व पीतल के गिलास आदि खरीदे हैं। सुधांशु के मुताबिक इस बार बर्तन बाजार की रौनक एक दशक पहले की दीवाली जैसी दिखती है। अभी त्योहारों की बिक्री तीन दिन और रहनी है और तब तक बाजार में नया रिकॉर्ड बनेगा।

नॉन स्टिक बर्तनों की मांग पहले की ही तरह

अमीनाबाद के बर्तन कारोबारी आचार्य त्रिवेदी का कहना है कि नॉन स्टिक बर्तन पहले की ही तरह मांग में रहे हैं और इस बार कास्ट आयरन के बर्तनों की भी पूछ काफी रही है। उच्च आय वर्ग के लोगों में जर्मन सिल्वर और लक्जरी ब्रास के बर्तनों की भी खासी मांग रही है।

आचार्य कहते हैं कि पीतल की थाली-कटोरी और चम्मच का एक सेट 2400 रुपये में होने के बाद भी धनतेरस के दिन खूब बिका और शाम होते तक बाजार से गायब हो गया। सबसे ज्यादा मांग में रहने वाले आइटमों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि लोगों ने 500 रुपये में बिकने वाली कॉपर की फ्रिज बोतल, 1500 से 3000 रुपये की कॉपर की सुराही, 250 से 400 रुपये की पूजा की थाली और 800 रुपये से 1200 रुपये की फूल की थाली को धनतेरस के दिन जमकर खरीदा है।

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त्रिवेदी का कहना है कि बीते कुछ सालों से मिट्टी के तवे, भगोने और हांडी की मांग बढ़ रही है। हालांकि धनतेरस में शगुन के लिए धातुओं की खरीद होती है पर साथ में इनकी भी बिक्री चमकी है।

कारोबारियों का कहना है कि अकेले लखनऊ से ही धनतेरस के दिन 2500 करोड़ रुपये के बर्तनों की बिक्री हो जाने का अनुमान है जोकि बीते साल के मुकाबले 50 फीसदी अधिक रहेगा। पिछले साल के मुकाबले इस बार बाजार में दुकानें भी कहीं ज्यादा सजी हैं और नए स्टॉल भी लगे हैं।

देशी पटाखों की बढ़ी मांग, गांवों में हो रहा निर्माण

बीते कई सालों से देशी माल को बाजार के करीब-करीब बाहर कर चुके चीनी व फैक्ट्री मेड पटाखों को इस बार मात खानी पड़ी है। दीवाली के लिए सजे पटाखों की  बाजार में सबसे ज्यादा मांग पारंपरिक देशी पटाखों की है। तेज आवाज के देशी बम हों या लंबे समय तक जलने वाली फुलझड़ी व अनार हों इन सबकी बिक्री में जबरदस्त तेजी दिख रही है।

जाने माने आतिशबाज राजा तिवारी का कहना है कि युवा पीढ़ी का रुझान इस बार देशी पटाखों की ओर है। लखनऊ के आसपास के गांवों जैसे नगराम, कल्ली पश्चिम वगैरह में तैयार होने वाले देशी अनार, महताब और फुलझड़ी के लिए जबरदस्त मांग है।

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ग्रीन पटाखे अब भी सबसे ज्यादा बिक रहे

राजा कहते हैं कि गांवों में बीते एक महीने से दिन-रात काम कर ग्रामीण पटाखे बना रहे हैं फिर भी मांग पूरी नहीं हो पा रही है। उनका कहना है कि पर्यावरण की चिंता को देखते हुए ग्रीन पटाखे अब भी सबसे ज्यादा बिक रहे हैं पर उसी के साथ गांवों में तैयार होने वाले देशी पटाखे बाजार में भरे पड़े हैं। इस दीवाली बाजार में आए नए पटाखों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि गदा वाली राकेट, ड्रोन जैसे बम, टाइटन पैराशूट और पांडव स्काई शाट खासे लोकप्रिय हो रहे हैं।

First Published - November 10, 2023 | 5:40 PM IST

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