प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली में कक्षा निर्माण घोटाले से जुड़े 37 ठिकानों पर 18 जून को छापेमारी की। जांच एजेंसी ने बताया कि मजदूरों के नाम पर खोले गए बैंक खातों से जुड़ी 322 पासबुक जब्त की गई हैं। घोटाला की गई राशि की हेराफेरी इन्हीं के जरिये की गई थी।
प्रवर्तन निदेशालय ने बयान जारी कर कहा, ‘छापे के दौरान ठेकेदारों और मुखौटा संस्थाओं के ‘जाली’ लेटरहेड भी जब्त किए गए, जिनका इस्तेमाल नकली खरीद रिकॉर्ड और फर्जी खरीद बिल बनाने के लिए किया गया था। फर्जी चालान से संबंधित सबूत जीएनसीटीडी विभाग को सौंप दिए गए हैं।’
धन शोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज ईडी का मामला, दिल्ली की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा (एसीबी) द्वारा 30 अप्रैल को आप नेताओं और तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मंत्रिमंडल के शिक्षा मंत्री रहे मनीष सिसोदिया, पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे सत्येंद्र जैन और अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है। ईडी ने कहा कि यह मामला 2015 से 2023 के बीच लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा 12,748 अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय ‘गड़बड़ी’ से संबंधित है।
ईडी ने बताया कि जब्त सामग्री में दिल्ली सरकार से संबंधित मूल फाइलें, पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के नाम और पदनाम वाली रबर मुहरें शामिल थीं। इसमें कहा गया है कि अधिकारियों को 322 बैंक पासबुक भी मिलीं, जो मजदूरों के नाम पर खोले गए खातों की थीं और उनका उपयोग अवैध धन के लेन-देन के लिए किया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने बताया कि शुरू में केवल 2,405 कक्षाओं की जरूरत थी मगर परियोजना में मनमाने ढंग से बढ़ाकर 7,180 कक्षाएं कर दी गईं। बाद में उचित मंजूरी के बगैर ही आंकड़ा बढ़ाकर 12,748 कक्षा कर दिया गया। इससे खर्च बहुत अधिक बढ़ गया।
एसीबी का आरोप है कि इस परियोजना पर कुल 2,892 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिससे हर कक्षा पर 24.86 लाख रुपये खर्च हुए, जबकि मानक पैमानों के तहत केवल 5 लाख रुपये खर्च होने थे। उसने दावा किया कि परियोजना के ठेके 34 लोगों को दिए गए, जिनमें से अधिकतर कथित तौर पर आम आदमी पार्टी से जुड़े थे।