मौसम वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को कहा कि अरब सागर से उठे चक्रवात बिपारजॉय के कारण उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में रविवार से बारिश के आसार हैं। साथ ही वैज्ञानिकों ने बिपारजॉय के पूर्वी भारत में मॉनसून को आगे बढ़ाने में मददगार होने की संभावना जताई है।
पूर्वी भारत फिलहाल भीषण गर्मी की चपेट में है। बंगाल की खाड़ी के ऊपर किसी मौसम प्रणाली की अनुपस्थिति के कारण गत 11 मई से ही मॉनसून की गति मंद है। उन्होंने कहा कि चक्रवात बिपारजॉय ने दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की गति को प्रभावित किया है। मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि बिपारजॉय के शेष हिस्से के उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ने की संभावना है जिससे मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में बारिश हो सकती है।
क्या प्रणाली मॉनसून को पूर्वी भारत में आगे बढ़ने में मदद कर सकती है? इसके जवाब में भारत मौसम विभाग (IMD) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा, ‘ऐसा हो सकता है…हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। यहां कुछ अन्य घटक भी हो सकते हैं जैसे कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के ऊपर भूमध्य पारीय (क्रॉस इक्वेटोरियल) प्रवाह में बढ़ोतरी। चक्रवात के शेष हिस्से के अलावा यह भी मॉनसून को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।’
उन्होने कहा कि 18 जून से 21 जून तक पूर्वी भारत और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में मॉनसून के आगे बढ़ने के लिहाज से परिस्थितियां अनुकूल होंगी। निजी पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने कहा, ‘राजस्थान में भारी वर्षा कराने के बाद यह प्रणाली 20 जून से मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बारिश का कारण बनेगी। यह मॉनसूनी हवाओं को खींचेगी और मॉनसून को पूर्वी भारत में आगे बढ़ने में मदद करेगी।’
भारत में मॉनसून ने इस साल सामान्य से एक हफ्ते की देरी से आठ जून को केरल तट पर दस्तक दी। कुछ मौसम विज्ञानी इस देरी और केरल में मॉनसून के नरम रहने का कारण चक्रवात को बता रहे हैं, लेकिन IMD का मत इससे अलग है। मॉनसून ने अब तक पूरे पूर्वोत्तर, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों, कर्नाटक, बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को अपने चपेट में ले लिया है।
शोध से पता चलता है कि केरल में मॉनसून के पहुंचने में देरी का अनिवार्य रूप से यह मतलब नहीं है कि उत्तर-पश्चिम भारत में मॉनसून के पहुंचने में देरी होगी। हालांकि, केरल में मॉनसून के देरी से पहुंचने का कम से कम दक्षिणी राज्यों और मुंबई के ऊपर मॉनसून के छाने में देरी से आमतौर पर संबंध रहा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि केरल में मॉनसून के देरी से पहुंचने का देशभर में होने वाली कुल बारिश की मात्रा पर असर नहीं पड़ता।
इसके पहले IMD ने कहा था कि अल-नीनो परिस्थिति के विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में भारत में सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है। अल-नीनो का संबंध आमतौर पर भारत में कमजोर मॉनसून और शुष्क मौसम से जोड़ा जाता है। अल-नीनो का आशय दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर का जल गर्म होने से है। लेकिन IMD ने यह भी कहा है कि सभी अल-नीनो वर्ष मॉनसून के लिहाज खराब नहीं रहे हैं।