उत्तर प्रदेश के कानपुर मे डिफेंस कॉरिडोर में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा एम्युनेशन कॉम्प्लेक्स में उत्पादन शुरू हो गया है। औद्योगिक नगरी कानपुर में 500 एकड़ में 1,500 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस कॉम्प्लेक्स में 4,000 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल मनोज पांडे की मौजूदगी में कानपुर में अदाणी समूह के एम्यूनेशन मैन्युफैक्चरिंग कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया। इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि 2018 में प्रदेश में हुई पहली इन्वेस्टर्स समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने देश में दो डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर की घोषणा की थी।
भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को ध्यान में रखकर तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर की घोषणा की गई थी। प्रधानमंत्री ने यूपी में 6 नोड्स की घोषणा की थी। इसमें अलीगढ़, आगरा, कानपुर, लखनऊ, झांसी और चित्रकूट शामिल हैं, जिसमें कानपुर नोड में अदाणी डिफेंस सिस्टम एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने अपना काम शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि यूपी में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के लिए 5,000 हेक्टेयर के बड़े कॉरिडोर को आगे बढ़ाने के लिए काम किया गया है। इसमें लखनऊ में जहां ब्रह्मोस, झांसी में भारत डायनामिक्स लिमिटेड, आर्म व्हीकल निगम लिमिटेड और टाटा टेक्नोलॉजीस लिमिटेड, ग्लोबल इंजीनियरिंग लिमिटेड और डब्ल्यूवी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया लिमिटेड का कार्य प्रारंभ हुआ है, वहीं अलीगढ़ नोड में एंकर रिसर्च लैब एलएलपी और कानपुर में अदाणी डिफेंस सिस्टम एंड टेक्नोलॉजी लिमिटेड जैसी बड़ी बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं।
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मुख्यमंत्री ने बताया कि यूपी में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर के लिए आईआईटी कानपुर और आईआईटी बीएचयू को सेंटर फॉर एक्सिलेंस के तौर पर नामित किया गया है।
अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी करण अदाणी ने बताया कि मात्र 15 महीने में 5 हजार एकड़ में बनकर तैयार अदाणी समूह का ये उत्पादन कॉम्प्लेक्स दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा एम्युनेशन मैन्युफैक्चरिंग कॉम्प्लेक्स है। इसकी क्षमता प्रतिवर्ष 150 मिलियन राउंड एम्युनेशन उत्पादन की है।
यहां रायफल, लाइट मशीन गन (एलएमजी), एके-47 और कार्बाइन की गोलियां बनेंगी। इसके बाद अगले चरण में आर्टिलरी गन, गोला-बारूद, तोपें और हैंड ग्रेनेड समेत सेना के जवानों के लिए अलग-अलग तरह के अस्त्र-शस्त्र व सुविधाओं संबंधित उत्पाद निर्मित किए जाएंगे।
15 सौ करोड़ से शुरू हुआ ये प्रोजेक्ट अगले पांच साल में 3 हजार करोड़ का विस्तार प्राप्त करेगा। इससे 4 हजार लोगों को जहां सीधे सीधे रोजगार प्राप्त होगा वहीं इससे पांच गुना ज्यादा अप्रत्यक्ष रोजगार भी ये कॉम्प्लेक्स सृजित करेगा। साथ ही साथ ये कॉम्प्लेक्स अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए सोलर पॉवर और वेस्ट मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगा।