Amravati project: आंध्र प्रदेश के केंद्र में स्थित अमरावती को एक समय तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में महत्वाकांक्षा और आधुनिकता का प्रतीक माना गया था। 2019 में नायडू के सत्ता से बाहर होने के बाद यह विजन फीका पड़ने लगा क्योंकि वाईएस जगन मोहन रेड्डी (YS Jagan Mohan Reddy) की प्रदेश में सरकार बन गई और अमरावती को लेकर अनिश्चितता का दौर शुरू हो गया।
चार सालों तक YSR कांग्रेस पार्टी के प्रशासन के तहत अमरावती का विकास ठप पड़ा गया। शहर की महत्वाकांक्षी योजनाएं और अंतरराष्ट्रीय निवेश अधर में लटके गए, जिससे वहां रहने वाले लोग और निवेशक भी निराश हो गए।
अब नायडू के फिर से सत्ता में आने के साथ, अमरावती के विकास का काम शुरू हो चुका है। उन्होंने शहर के विकास को फिर से शुरू करने का वादा किया है, जिससे उम्मीदें फिर से जग गई हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वर्कर्स और इंजीनियरों का कहना है कि उन्हें काम फिर से शुरू करने के निर्देश मिले हैं। रिपोर्ट में कहा गया, ‘हम इमारतों के आसपास की घास और पेड़-पौधों को साफ कर रहे हैं; हम जल्द ही लंबित कार्यों को पूरा करेंगे।’
तुल्लूरू में, राज्य के विधायकों के लिए ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट्स के चारों ओर घने बागान को साफ किया जा रहा है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि एग्जिक्यूटिव इंजीनियर ने पुष्टि की है कि उन्हें काम फिर से शुरू करने के निर्देश मिल गए हैं, और उसे फिनिश करने के काम किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इमारतों तक पहुंच के लिए सड़क और तुल्लूरू को अन्य क्षेत्रों से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग भी जल्द ही बनाया जाएगा।’
साल 2014 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर दिया गया और एक अलर राज्य तेलंगाना बनाया गया। इसके बाद आंध्र प्रदेश से हैदराबाद भी अलग होकर तेलंगाना के हिस्से में चला गया और उसकी राजधानी बन गया। साल 2014 में चंद्रबाबू नायडू की सरकार बनी और ठीक एक साल बाद उन्होंने अमरावती को राजधानी बनाने के लिए विकास परियोजनाएं शुरू की। अमरावती शहर, जो 217 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, 2015 में आकार लेना शुरू हुआ। यह नायडू का ड्रीम प्रोडेक्ट माना जाता है लेकिन, 2019 में वाईएस जगन मोहन रेड्डी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद इसका विकास ठप हो गया।
नायडू के पिछले कार्यकाल के दौरान, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों, AIS अधिकारियों और सचिवालय कर्मचारियों के लिए फ्लैट बनाए गए थे, हालांकि काम को पूरी तरह से अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था और काम लंबित रह गए थे। एक हाईकोर्ट बिल्डिंग का नायडू के शासनकाल के दौरान उद्घाटन हुआ था और सचिवालय और विधानसभीय परिसर बनाए गए थे, जो अभी सक्रिय रूप से चल रहे हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि सड़कों, नालियों, और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण जल्द ही शुरू होगा। नायडू के शपथ ग्रहण के बाद, सरकार L&T और अन्य कंपनियों को काम फिर से शुरू करने के लिए भुगतान जारी करने की उम्मीद है।
रियल एस्टेट डीलरों और डेवलपर्स ने भी गांवों का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। जब राजधानी शहर की घोषणा की गई थी, तो वेलागापुडी (Velagapudi) और तुल्लूरू (Tulluru) में कई रियल एस्टेट कार्यालय स्थापित किए गए थे, लेकिन रेड्डी के सत्ता में आने के बाद कई बंद या रिलोकेट हो गए।
2016 के एक मास्टर प्लान के अनुसार, राजधानी शहर की परियोजना की लागत का अनुमान 50,000 करोड़ रुपये था। योजना में कृष्णा नदी के दक्षिणी तट पर गुंटूर (Guntur) जिले में एक ग्रीनफील्ड शहर का विकास शामिल था। शहरी योजना कंपनी सुरबाना जुरोंग (Surbana Jurong) के नेतृत्व में सिंगापुर की कंपनियों के एक समूह ने योजना, शहरी डिजाइन, इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के लिए मास्टर प्लानर और लीड कंसल्टेंट के रूप में काम किया।
इसे एक पूरी तरह से नया शहर बनाने की योजना थी जिसमें चौड़ी सड़कों, फ्लाईओवर, अंडरपास, एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और एक मेट्रो ट्रेन नेटवर्क शामिल थे।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया कि इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार, अब कृष्णा नदी के किनारे शहर में इंफ्रास्ट्रक्चर और विभिन्न सरकारी भवनों के निर्माण के लिए लगभग 40,000 करोड़ रुपये की जरूरत है। यह आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (APCRDA) द्वारा नायडू के पिछले कार्यकाल के दौरान अनुमानित 21,000 करोड़ रुपये से लगभग दोगुना है।
नायडू के पहले कार्यकाल के दौरान, अमरावती के विकास पर पहले ही 10,500 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके थे। राज्य के रियल एस्टेट विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि निर्माण परियोजनाओं के लिए एक्स्ट्रा 10,000-12,000 करोड़ रुपये की जरूरत थी। जबकि किसानों ने परियोजना के लिए 33,000 एकड़ जमीन का योगदान दिया और सरकार के पास लगभग 4,000 एकड़ जमीन है।
प्रारंभिक योजना के अनुसार, शहर 217 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था, जिसे छह समूहों में बांटा गया था, जिसमें नागरिक और मनोरंजन क्षेत्र (civic and entertainment areas) शामिल थे। नागरिक समूह अकेले 1,600 एकड़ में फैला हुआ था। शहर को एक दर्जन से ज्यादा शहरी प्लाजा के फीचर के लिए डिजाइन किया गया था, जो रिन्यूबल एनर्जी द्वारा संचालित होंगे।
सिंगापुर की तर्ज पर बन रही, ‘सस्टेनेबल सिटी’ को ई-बसों, वाटर टैक्सियों, मेट्रो और साइकिलों द्वारा कनेक्ट किया जाना था।
सरकार को बिक्री के लिए लगभग 12,000 एकड़ जमीन प्राप्त होने की उम्मीद है, जिसकी कीमत 30,000 रुपये प्रति स्क्वायर यार्ड तक पहुंच सकती है। नतीजतन, सरकार को हर एक एकड़ पर 10 करोड़ रुपये जनरेट करने की उम्मीद है।