facebookmetapixel
सरकारी सहयोग मिले, तो एरिक्सन भारत में ज्यादा निवेश को तैयार : एंड्रेस विसेंटबाजार गिरे या बढ़े – कैसे SIP देती है आपको फायदा, समझें रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का गणितजुलाई की छंटनी के बाद टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 6 लाख से कम हुईEditorial: ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ में छाया स्वदेशी 4जी स्टैक, डिजिटल क्रांति बनी केंद्रबिंदुबैलेंस शीट से आगे: अब बैंकों के लिए ग्राहक सेवा बनी असली कसौटीपूंजीगत व्यय में इजाफे की असल तस्वीर, आंकड़ों की पड़ताल से सामने आई नई हकीकतकफ सिरप: लापरवाही की जानलेवा खुराक का क्या है सच?माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में पहली बार बदला संचालन और अनुपालन का ढांचादेशभर में कफ सिरप कंपनियों का ऑडिट शुरू, बच्चों की मौत के बाद CDSCO ने सभी राज्यों से सूची मांगीLG Electronics India IPO: निवेशकों ने जमकर लुटाया प्यार, मिली 4.4 लाख करोड़ रुपये की बोलियां

उच्चतम न्यायालय का BSLSA को निर्देश: अंतिम सूची से बाहर हुए मतदाताओं की करें मदद

बीएसएलएसए को निर्देशित किया गया कि वह अंतिम मतदाता सूची से बाहर किए गए लोगों की अपील में सहायता करे और जिला स्तर पर अर्ध-विधिक स्वयंसेवकों की सूची जारी करे

Last Updated- October 09, 2025 | 9:54 PM IST
Supreme Court
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (बीएसएलएसए) से कहा कि वह अपने जिला स्तरीय निकायों को निर्देश जारी करे कि वे अंतिम मतदाता सूची से बाहर किए गए मतदाताओं को निर्वाचन आयोग में अपील दायर करने में सहायता प्रदान करें। शीर्ष अदालत ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के बाद निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची से बाहर कर दिए गए मतदाताओं की अपील को निर्धारित समय सीमा में और कारणसहित आदेश के माध्यम से निपटाने के प्रश्न पर 16 अक्टूबर को अगली सुनवाई में विचार किया जाएगा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची के पीठ ने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मतदाता सूची से बाहर किए गए मतदाताओं की अपील दायर करने में सहायता के लिए अर्ध-विधिक स्वयंसेवकों की सूची जारी करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उनके पास ऐसे लोगों के नाम की अस्वीकृति के विस्तृत आदेश हों। पीठ ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सभी को अपील करने का उचित अवसर दिया जाए और उनके पास विस्तृत आदेश होने चाहिए कि उनके नाम क्यों शामिल नहीं किए गए। एक पंक्ति का रहस्यमय आदेश नहीं होना चाहिए।’

सुनवाई की शुरुआत में शीर्ष अदालत में उस समय नाटकीय स्थिति पैदा हो गई जब वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि बिहार एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने एक व्यक्ति का फर्जी विवरण दिया है, जिसने दावा किया है कि उसका नाम अंतिम सूची से बाहर कर दिया गया है। द्विवेदी ने बताया कि एनजीओ के हलफनामे में जिस व्यक्ति का उल्लेख किया गया है, उसका नाम मसौदा मतदाता सूची में नहीं है और उन्होंने जो विवरण दिया है, वह किसी महिला का है।

पीठ ने विवरण पर गौर करने के बाद कहा, ‘हमें हैरानी है कि क्या ऐसा कोई व्यक्ति भी मौजूद है।’ एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें ये विवरण एक बेहद जिम्मेदार व्यक्ति ने मुहैया कराए हैं। उन्होंने कहा कि जिस मतदाता ने दावा किया है कि उसका नाम बिहार की अंतिम मतदाता सूची में नहीं है, उसका नाम जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पता लगाया जा सकता है। पीठ ने अप्रसन्नता जताते हुए कहा कि इसकी उम्मीद नहीं थी और स्पष्ट किया कि वह कुछ टिप्पणियां कर सकती है। द्विवेदी ने कहा कि एनजीओ और अन्य याची योगेंद्र यादव ने अपने हलफनामे दाखिल कर दिए हैं और निर्वाचन आयोग को अपना जवाब दाखिल करना है। 

First Published - October 9, 2025 | 9:54 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट