facebookmetapixel
सोना कॉमस्टार ने दुर्लभ खनिज मैग्नेट की गुणवत्ता पर जताई चिंताअदाणी डिफेंस ऐंड एयरोस्पेस ने किया एमटीएआर टेक्नॉलजीज संग करारMSME पर ट्रंप टैरिफ का असर: वित्त मंत्रालय बैंकों के साथ करेगा समीक्षा, लोन की जरूरतों का भी होगा आकलनवैश्विक बोर्डरूम की नजर भारत पर, ऊंची हैं उम्मीदें : डीएचएल एक्सप्रेसTesla और VinFast की धीमी शुरुआत, सितंबर में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में हिस्सेदारी 1% से भी कमकंपनियां दीवाली पर कर्मचारियों और ग्राहकों को स्वादिष्ट और उपयोगी उपहार देने में दिखा रहीं बढ़त!किर्लोस्कर का औद्योगिक सुधार पर दांव, अरबों डॉलर की राजस्व वृद्धि पर नजरLokah Chapter 1: Chandra ने ₹30 करोड़ बजट में ₹300 करोड़ की कमाई की, दुनिया भर में रिकॉर्ड तोड़ाH-1B वीजा पर निर्भर नहीं है TCS, AI और डेटा सेंटर पर फोकस: के कृत्तिवासनदूसरी तिमाही के दौरान प्रमुख सीमेंट कंपनियों की आय में मजबूती का अनुमान

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव प्री-कॉप बैठक के लिए ब्राजील रवाना, भारत की COP30 तैयारी में तेजी

नवंबर में ब्राजील के बेलें में आयोजित होने जा रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन ‘कॉप30’ की भारत भी तैयारी कर रहा है और इसी को लेकर मंत्री ब्राजील जा रहे हैं

Last Updated- October 12, 2025 | 9:57 PM IST
Bhupendra Yadav
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव | फाइल फोटो

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव 13 और 14 अक्टूबर को ब्राजीलिया में ‘प्री-कॉप’ बैठक में शिरकत करेंगे। नवंबर में ब्राजील के बेलें में आयोजित होने जा रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन ‘कॉप30’ की भारत भी तैयारी कर रहा है और इसी को लेकर मंत्री ब्राजील जा रहे हैं। मंत्री ने अपनी यात्रा की पुष्टि सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर की है।

बेलें में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन से पहले दो दिवसीय इस ‘प्री-कॉप’ बैठक का उद्देश्य राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषयों पर मतभेदों को कम करना तथा कार्यक्रम से पहले मंत्रिस्तरीय आम सहमति बनाने का प्रयास करने के लिए पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रियों, वरिष्ठ वार्ताकारों और पर्यवेक्षकों को एक साथ लाना है।

‘कॉप 30’ प्रेसीडेंसी ने पहले कहा था कि ब्राजीलिया बैठक में 30 से 50 प्रतिनिधिमंडलों और लगभग 800 प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद है। ‘कॉप30’ से पहले भारत ने समानता और बगैर भेदभाव के जिम्मेदारियों पर जोर दिया है, विकसित देशों पर अनुच्छेद 9 के तहत वित्तीय सहायता के लिए दबाव डाला है। भारत ने एक न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन की आवश्यकता पर भी बल दिया है, जिसमें विकास के लिए गुंजाइश बनी रहे।

प्री-कॉप यूएनएफसीसीसी का औपचारिक आयोजन नहीं हैं, बल्कि ये मेजबान देशों द्वारा मंत्रियों का ध्यान राजनीतिक प्रश्नों की एक छोटी सूची पर केंद्रित करने के लिए नियमित कवायद बन गई है। ऐसा न होने पर इसे हल करने में वार्ताकारों को हफ्तों लग जाते हैं। कॉप-30 एक जटिल भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि में हो रहा है, जिसमें अमेरिका पेरिस समझौते से हट रहा है और कई विकसित देश आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा दबावों के बीच अपनी जलवायु रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं।

वार्षिक जलवायु बैठक की तैयारियों के दौरान, जलवायु वित्त, ऊर्जा परिवर्तन की गति और जिम्मेदारी तथा विकासशील देशों पर पड़ने वाले बोझ को लेकर मतभेद तीव्र बने हुए हैं।

अजरबैजान के बाकू में आयोजित कॉप-29 के बाद विकसित और विकासशील देशों के बीच विश्वास कमज़ोर बना हुआ है, जहां विकासशील देशों में कई देशों ने कहा कि वित्तीय परिणाम जरूरतों और अपेक्षाओं से कम रहे।

First Published - October 12, 2025 | 9:57 PM IST

संबंधित पोस्ट