एशिया में वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी तेजी से गर्मी बढ़ रही है और मौसम की अति भी देखने को मिल रही है। क्षेत्र की अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी और समाज पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। साथ ही जान-माल की हानि भी हो रही है। वर्ल्ड मेटेओरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएमओ) के अनुसार 2024 में भीषण लू के कारण भारत में 450 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। उस समय गर्मियों में खासकर देश के उत्तरी हिस्सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। बाढ़ और बिजली गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाओं में भी 2,000 से अधिक मौतें हो गईं।
2024 में एशिया का औसत तापमान 1991 से 2020 के बीच के औसत से लगभग 1.04 डिग्री सेल्सियस ऊपर दर्ज किया गया था। इस तरह यह सबसे गर्म या दूसरा सबसे गर्म साल था, जिसमें बड़े पैमाने पर लंबे अरसे तक भीषण लू चली। डब्ल्यूएमओ की सोमवार को जारी ‘स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन एशिया 2024’ रिपोर्ट के अनुसार 1991 से 2024 के बीच गर्मी 1961 से 1990 की अवधि के मुकाबले लगभग दोगुनी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, जो आर्कटिक तक फैला है। यह वैश्विक औसत से दोगुनी तेजी से गर्म हो रहा है क्योंकि समुद्र के मुकाबले जमीन पर तापमान ज्यादा तेजी से बढ़ता है।
एशिया के पूरे महासागरीय क्षेत्र में हाल के दशकों में समुद्र की सतह का तापमान अधिक बढ़ रहा है। उत्तरी अरब सागर और प्रशांत महासागर की सतह के तापमान में बहुत तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। आंकड़ों के अनुसार यहां समुद्र की सतह का तापमान 0.24 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है, जो 0.13 डिग्री की वैश्विक माध्य दर का लगभग दोगुना है। 1982 से 2024 के बीच समुद्र की सतह का औसत तापमान 2024 में ही सबसे अधिक रहा।
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समुद्री सतह के तापमान में उतार-चढ़ाव से महासागर और वायुमंडल के बीच ऊर्जा, संवेग और गैसों का स्थानांतरण बदल जाता है। इस कारण ही इंडोनेशिया एवं भारत में अत्यधिक वर्षा, एशियाई गर्मी के मॉनसून, जंगलों में आग लगने और समुद्र में बर्फ जमने जैसी मौसमी एवं जलवायु परिवर्तन संबंधी घटनाएं होती हैं। वर्ष 2024 के दौरान उत्तरी हिंद महासागर पर चार चक्रवात बने। इनमें तीन चक्रवात बंगाल की खाड़ी (रेमल, दाना, फेंगल) पर बने और एक अरब सागर (असना) पर उभरा था।
भीषण चक्रवाती तूफान रेमल 26 मई 2024 को बांग्लादेश और भारत में पश्चिम बंगाल के मांगला एवं खेपुपारा तट के पास टकराया था। उस दौरान बांग्लादेश में 27 मई को 111 किमी/घंटा की रिकॉर्ड रफ्तार से हवा चली थी और इससे तटीय जिलों में 2.5 मीटर ऊंचाई तक बाढ़ का पानी आया था। चक्रवाती तूफान असना अगस्त के महीने में अरब सागर में उठा था, जो दुर्लभ घटना है। अमूमन ऐसा होता नहीं है और 1891 के बाद ऐसा केवल तीन बार ही हुआ। ओमान तट पर इस तूफान के कारण 3 से 5 मीटर ऊंची लहरें टकराई थीं।
देश में पिछले साल मॉनसून (जून-सितंबर) की शुरुआत सामान्य रही थी। इसके अलावा भूस्खलन जैसी कई अन्य भीषण मौसमी गतिविधियां भी इस दौरान देखने को मिलीं। इसमें केरल के वायनाड में भूस्खलन की घटना भी शामिल थी, जिसमें 350 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। बिजली गिरने के मामलों में देश भर में लगभग 1,300 लोगों की जान गई। पिछले साल बिजली गिरने की सबसे व्यापक और घातक घटना 10 जुलाई को हुई थी। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और झारखंड में कम से कम 72 लोगों की जान गई थी।