वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने वित्तीय वर्ष 2008-09 के बजट में घोषणा की है कि नैशनल हाउसिंग बैंक सेवानिवृत्त लोगों के लिये रिवर्स मोर्टगेज पर कुछ निश्चित मार्गदर्शक धारायें बनायेगा। रिवर्स मोर्टगेज मुख्य रूप से वह उत्पाद है जिसके तहत 60 वर्ष से ऊपर की आयु वाला व्यक्ति अपना मकान किसी बैंक या घर के लिये ऋण देने वाली किसी कंपनी के पास गिरवी रखकर पैसा ले सकता है। वित्तीय संस्था मकान की कीमत के हिसाब से उस व्यक्ति को मासिक किस्त चुकाती है।
हालांकि कईं बैंकों और वित्तीय संस्थाओं ने यह उत्पाद वित्त वर्ष 2007-08 में ही शुरु कर दिया था लेकिन अब तक केवल 150 लोगों ने ही इसका फायदा उठाया है। इसकी वजह यह थी कि इस तरह प्राप्त किये गये पैसे को वरिष्ठ नागरिक की लोन से ली गई आय की श्रेणी में रखा गया था। लेकिन वित्त वर्ष 2008-09 के बजट में इस विसंगति को दूर कर दिया गया है।
अब रिवर्स मोर्टगेज के बदले बैंक या किसी अन्य वित्तीय संस्था से लिये गये पैसे को लोन या ऋ ण माना जायेगा। इस तरह का उत्पाद पेश करने के पीछे मुख्य विचार उन वरिष्ठ नागरिकों की सहायता करना है जिनके लिये अपना खर्च चलाना मुश्किल है। एक अन्य बात यह भी है कि एक घर का मालिक होने के नाते वह उसमें रहते जरूर हैं पर उससे कुछ क मा नहीं पाते। भारत में सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था की कमी के बीच इस तरह का उत्पाद लाना,जिससे एक शख्स की नियमित आमदनी सुनिश्चित हो, वाकई अक्लमंदी है।
दीवान हाउसिंग फाइनैंस में मार्केटिंग विभाग के प्रमुख शिवकुमार मणि कहते हैं कि वित्त मंत्री द्वारा यह साफ कर दिया जाना कि रिवर्स मोर्टगेज के जरिये लिये गये पैसे पर कोई कर नहीं लगेगा, इस योजना को लोकप्रिय बनायेगा। वरिष्ठ नागरिकों के इसे न अपनाने की यह मूल वजह थी।
इस संबंध में दूसरी उलझन कानूनी हक को लेकर थी। बजट में साफ तौर पर यह कहा गया है कि रिवर्स मोर्टगेज पर लिये गये ऋण को अंतरित नहीं किया जा सकता यानी किसी और के नाम नहीं लगाया जा सकता। जिस अवधि तक के लिये ऋण लिया गया है उस पूरे दौर में मकान का कानूनी मालिक वह वरिष्ठ नागरिक ही होगा। एक अनुमान के अनुसार भारत के कुल 80 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों में से 45 करोड़ इस उत्पाद का लाभ उठाने के योग्य हैं। दीवान हाउसिंग के मणि कहते हैं कि इस प्रस्ताव के बाद बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिये इस साल ज्यादा रिवर्स मोर्टगेज ऋण देना मुमकिन होगा।
वित्तीय योजनाकारों का मानना है कि वित्त मंत्री के बयान से उलझनों को दूर करने में मदद मिलेगी। लेकिन रिवर्स मोर्टगेज के मामले में ज्यादा महत्वपूर्ण समस्या कम जानकारी और अपर्याप्त मार्के टिंग से जुड़ी है। एक वित्तीय योजनाकार का कहना है कि अगर ज्यादा वित्तीय संस्थाएं इस तरह के ऋण देंगी तो इस श्रेणी में ऋणों की संख्या निश्चित रूप से बढ़ेगी। हालांकि इससे जुड़े अन्य मसलों को भी जल्द ही सुलझाना होगा। उदाहरण के लिये अमेरिका जैसे देशों में यह उत्पाद एक व्यक्ति की पूरी उम्र के लिये होते हैं और कईं बार दंपत्तियों के लिये भी। लेकिन भारत में यह केवल 15 वर्ष के लिये ही है और यहीं से समस्या शुरू होती है कि अगर व्यक्ति इससे ज्यादा जीता है तो क्या होगा।
दूसरी तरफ और मसले भी हैं जैसे हर पांच साल में संपत्ति का मूल्यांकन। इसका मतलब यह है कि अगर मकान की देखरेख ठीक ढंग से न की गई तो दाम गिर सकता है जिससे प्राप्त होने वाली मासिक कि स्त भी कम हो सकती है। प्रपत्रों में इस तरह के प्रावधान हैं जो एक वरिष्ठ नागरिक से आशा करते हैं कि वह मकान की बेहतर देखरेख करेंगे।
अंत में यही कहा जा सकता है कि वित्त मंत्री ने इस दिशा में सराहनीय कदम उठाये हैं लेकिन मोर्टगेज ऋण को वरिष्ठ नागरिकों का सच्चा साथी बनाने के लिये बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
