डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में भारत ने बीते कुछ सालों में बड़ी छलांग लगाई है। SBI रिसर्च की नई रिपोर्ट बताती है कि UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) अब भारतीयों के बीच सबसे अहम लेन-देन का जरिया बन चुका है। चाहे आम लोग हों या व्यापारी, छोटे-बड़े सभी तरह के भुगतान UPI के जरिए हो रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 में ही UPI ट्रांजैक्शन्स की औसत डेली वैल्यू जनवरी में ₹75,743 करोड़ से बढ़कर जुलाई में ₹80,919 करोड़ और अगस्त में ₹90,446 करोड़ तक पहुंच गई है। इसी तरह, औसत डेली वॉल्यूम जनवरी से अगस्त के बीच 127 मिलियन बढ़कर 675 मिलियन हो गया है।
रिपोर्ट बताती है कि SBI देश का सबसे बड़ा रेमिटर (पैसा भेजने वाला बैंक) बन गया है, जिसने 5.2 अरब लेन-देन किए। यह दूसरे नंबर के बैंक HDFC से 3.4 गुना ज्यादा है। वहीं, Yes Bank सबसे बड़ा लाभार्थी बैंक रहा है, जिसके हिस्से में करीब 8 अरब लेन-देन आए।
UPI ऐप्स की बात करें तो PhonePe सबसे आगे है, इसके बाद Google Pay और Paytm का स्थान है। रिपोर्ट ने चेताया है कि सिर्फ कुछ ही ऐप्स पर लेन-देन का इतना बड़ा हिस्सा केंद्रित होना भविष्य में भारत-केंद्रित फिनटेक इनोवेशन के लिए खतरा बन सकता है। इसी वजह से एक “देसी काउंटर ऐप” और AI आधारित ढांचे की जरूरत पर भी जोर दिया गया है।
NPCI के नए आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र 9.8% हिस्सेदारी के साथ डिजिटल पेमेंट्स में नंबर वन राज्य है। इसके बाद कर्नाटक (5.5%) और उत्तर प्रदेश (5.3%) का स्थान है। खास बात यह है कि यूपी अकेला उत्तर भारतीय राज्य है जो टॉप-5 राज्यों में शामिल है।
SBI रिसर्च बताती है कि UPI से व्यापारियों को किए जाने वाले भुगतान (P2M) का हिस्सा तेजी से बढ़ा है। जून 2020 में जहां यह केवल 13% था, जुलाई 2025 में यह बढ़कर 29% हो गया। वॉल्यूम के मामले में भी यह 39% से बढ़कर 64% पर पहुंच गया। यह वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान की गहराई को दिखाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, रिटेल मनी (UPI + एटीएम कैश विदड्रॉल) में UPI का हिस्सा नवंबर 2019 के 40% से बढ़कर मई 2025 में 91% हो गया है। इसका सीधा मतलब है कि लोग नकद के बजाय अब UPI को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
NPCI ने पहली बार मर्चेंट कैटेगरी (MCC) के आधार पर डेटा जारी किया है। जुलाई 2025 में केवल 29 कैटेगरी का डेटा दिया गया, जबकि देश में लगभग 300 MCCs हैं। इनमें से 15 कैटेगरी 70% वॉल्यूम और 47% वैल्यू का हिस्सा हैं।