भारत की बीमा कंपनियों को आगामी केंद्रीय बजट में कई तरह की कर छूट मिलने की उम्मीद है। अगर ऐसा हुआ तो बीमा उत्पाद मुनासिब दाम में उपलब्ध होंगे और लोगों के बीमा उत्पादों की ओर आकर्षित होने से बीमा उत्पादों की राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच ज्यादा होगी।
जीवन बीमा कंपनियों ने एनुइटी उत्पादों पर कर छूट के अलावा उत्पादों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कम करने की मांग उठाई है। उद्योग यह भी उम्मीद कर रहा है कि केंद्र सरकार कर छूट में जीवन बीमा उत्पादों को शामिल करने के लिए नई कर प्रणाली में बदलाव करेगी। नई कर प्रणाली में कोई छूट या कटौती नहीं दी जाती है जबकि पुरानी कर प्रणाली में 80 सी के अंतर्गत छूट प्राप्त है।
बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के एमडी व सीईओ तरुण चुग ने कहा, ‘हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि एनुइटी जीवन बीमा या पेंशन उत्पादों को नैशनल पेंशन योजना (एनपीएस) के अनुरूप बनाया जाए। आयकर में एनपीएस की तरह ही एनुइटी जीवन बीमा या पेंशन उत्पादों पर 50,000 रुपये या अधिक की अतिरिक्त कटौती का लाभ दिया जाए।’
गैर जीवन बीमा कंपनियों ने यह मांग दोहराई है कि स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर जीएसटी की दरों को 18 फीसद से घटाकर पांच फीसदी किया जाए। इससे स्वास्थ्य बीमा उत्पाद सस्ते होंगे और इसे अधिक लोग खरीद सकेंगे। मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस के एमडी व सीईओ प्रसून सिकदर ने बताया, ‘फिलहाल वैश्विक मानदंडों की तुलना में ग्राहकों की जेब से होने वाला खर्च अधिक है, जिससे बीमा सुरक्षा में काफी अंतर हो जाता है।
बीमा नियामक का विजन 2047 तक सभी को बीमा मुहैया कराना है। हमारा सरकार से निवेदन है कि आवश्यक सेवाओं जैसे स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी की मौजूदा दर को 18 फीसदी से कम किया जाए।’
बीमाकर्ताओं ने बीते कुछ वर्षों में आयकर अधिनियम की 80 डी के तहत कर छूट की सीमा को बढ़ाने का भी प्रस्ताव दिया है। पुरानी कर प्रणाली की इस धारा के तहत कोई व्यक्ति स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम और इलाज पर आए खर्च के बदले 25,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार स्वास्थ्य बीमा और खर्च पर मौजूदा कटौती की सीमा को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये करना चाहिए।
इसके अलावा बुजुर्गों के लिए इस तरह की कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करना चाहिए। निवा बूपा स्वास्थ्य बीमा के एमडी व सीईओ कृष्णन रामचंद्रन ने बताया, ‘स्वास्थ्य बीमा वित्तीय सुरक्षा के साथ 80 डी के तहत कर में छूट भी मुहैया कराता है। लिहाजा स्वास्थ्य बीमा आकर्षक बन जाता है। 80 डी के तहत कर छूट को महंगाई से जोड़ी जानी चाहिए और समय-समय पर संशोधन करना चाहिए।’
गैलेक्सी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के नामित एमडी एवं सीईओ डॉ. एस प्रकाश के अनुसार बीमा उद्योग भी बेहतर क्रियान्वयन, मल्टी स्पेशिल्टी व कॉरपोरेट अस्पतालों की बेहतर भागीदारी और गरीबी रेखी से नीचे रहने वाली आबादी तक पहुंच बेहतर होने का इंतजार कर रहा है।