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ऋण वृद्धि दर तीन साल में सबसे कम

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक बैंकिंग प्रणाली में कुल जमा राशि 231.7 लाख करोड़ रुपये थी और कुल ऋण 182.8 लाख करोड़ रुपये था।

Last Updated- June 16, 2025 | 10:45 PM IST
Credit growth inches up to 9.8% as deposit growth continues to outpace
प्रतीकात्मक तस्वीर

अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को कुल ऋण में वृद्धि घटकर पिछले तीन साल में सबसे कम हो गई है। इस साल 30 मई को समाप्त पखवाड़े में कुल ऋण साल भर पहले की तुलना में केवल 8.97 फीसदी बढ़ा। इससे पता चलता है कि ऋण देने वाली संस्थाएं अधिक सतर्क हो गई हैं और सूक्ष्म ऋण तथा बगैर रेहन वाले कर्ज पर ज्यादा दबाव देखते हुए वृद्धि के बजाय परिसंपत्ति की गुणवत्ता को तरजीह दे रहे हैं। कुल जमा वृद्धि में भी इस बीच साल भर पहले के मुकाबले 9.9 फीसदी इजाफा हुआ, जो कुल ऋण वृद्धि दर से 100 आधार अंक अधिक रहा।
इससे पहले मार्च 2022 में कुल ऋण वृद्धि 9 फीसदी से नीचे रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक बैंकिंग प्रणाली में कुल जमा राशि 231.7 लाख करोड़ रुपये थी और कुल ऋण 182.8 लाख करोड़ रुपये था। 30 मई को समाप्त हुए पखवाड़े में जमा राशि 2.84 लाख करोड़ रुपये बढ़ी और ऋण 59,885 करोड़ रुपये बढ़ा।
मोतीलाल ओसवाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘पिछले एक साल में ऋण वृद्धि की रफ्तार काफी सुस्त हुई है क्योंकि रेहन के बगैर खुदरा ऋण तथा सूक्ष्म ऋण कारोबार में चूक अधिक होने के कारण ऋणदाता परिसंपत्ति की गुणवत्ता को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके अलावा अंडरराइटिंग मानकों को भी लगातार सख्त किया जा रहा है। फिलहाल हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 के लिए ऋण वृद्धि 11.5 फीसदी रहेगी और उसके बाद वित्त वर्ष 2027 में 13 फीसदी हो जाएगी।’
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को जाने वाले कुल कर्ज में वृद्धि की धीमी गति के कारण बकाया ऋण भुगतान अनुपात (एलडीआर) भी घटकर 78.9 फीसदी रह गया। इन्क्रीमेंटल एलडीआर भी एक साल पहले के 98.9 फीसदी से घटकर 72.7 फीसदी रह गया है।
एक साल पहले की समान अवधि में जमा वृद्धि के मुकाबले ऋण वृद्धि काफी अधिक थी। उस वक्त इसमें 700 आधार अंक का अंतर था। ऋण-जमा वृद्धि के इस बड़े अंतर के कारण ही बैंकिंग प्रणाली में एलडीआर इतना बढ़ गया है कि रिजर्व बैंक ने बार-बार इसके लिए आगाह किया और पूरी बैंकिंग प्रणाली को इसे कम करने का निर्देश दिया। पिछले साल जुलाई से ऋण वृद्धि सुस्त हुई है और 2024 की शुरुआत में देखी गई ऊंचे दो अंकों की वृद्धि स्तर से नीचे आई है। यह नरमी मुख्य तौर पर रिजर्व बैंक द्वारा लागू किए गए उपायों के कारण है, जिसमें गैर बैंकिंग वित्त कंपनी (एनबीएफसी) को बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण और पर्सनल एवं क्रेडिट कार्ड से लिए लिए गए ऋण जैसे बगैर रेहन वाले ऋण पर जोखिम भार बढ़ाना शामिल है।
इसके अलावा इस साल फरवरी तक ब्याज दरें ऊंची बनी रहीं। उसके बाद रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने इनमें कमी शुरू की। नतीजतन भारतीय कंपनी जगत का एक बड़ा हिस्सा विदेशी ऋण पूंजी बाजार की ओर रुख करने लगा और बेहतर रेटिंग वाली कंपनियों ने बैंकों के मुकाबले सस्ती रकम उधार लेने के लिए देसी डेट पूंजी बाजार का भी रुख किया। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी से अभी तक नीतिगत दरों में 100 आधार अंकों की कटौती है। इनमें फरवरी में 25 आधार अंक, अप्रैल में 25 आधार अंक और जून में 50 आधार अंक की कटौती शामिल है।

First Published - June 16, 2025 | 10:45 PM IST

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