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सोने में गिरावट का फायदा उठाएं, निवेश बढ़ाएं

Last Updated- December 11, 2022 | 11:33 PM IST

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में हाल में कुछ सुधार देखा गया। सितंबर में इसमें 446 करोड़ रुपये की आवक दर्ज हुई। यह आवक तब हुई थी, जब गोल्ड ईटीएफ में पिछले साल की तुलना में 7.7 फीसदी की गिरावट रही।
मौके पर हुई खरीद
सितंबर और उसके बाद अक्टूबर की आवक कई कारणों से हुई। महामारी के बाद लोगों को लगातार यह महसूस हुआ है कि सोने जैसी सुरक्षित संपत्तियों में कुछ निवेश करना जरूरी है। शेयर बाजार तेजी से दौड़ रहे हैं और कई निवेशक मुनाफावसूली भी कर रहे हैं। क्वांटम म्युचुअल फंड में वरिष्ठ फंड प्रबंधक – अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट्स चिराग मेहता कहते हैं, ‘चूंकि स्थिर आय वाली योजनाओं से प्रतिफल इस समय कम है, इसलिए निवेशक शेयरों में कुछ मुनाफावसूली कर रहे हैं और उससे मिली रकम को सोने में लगा रहे हैं।’
सोने में निवेश करने वाले ज्यादातर लोग आम तौर पर कम से कम पांच से सात साल के लिए रकम लगाते हैं। ऐक्सिस सिक्योरिटीज में प्रमुख – कमोडिटीज, एचएनआई और एनआरआई एक्विजिशन प्रीतम कुमार पटनायक कहते हैं, ‘निवेशकों ने सितंबर में सोने के भाव में आई गिरावट का फायदा उठाया है और इसमें अपना निवेश बढ़ाया है।’
ढुलमुल प्रदर्शन
सोने ने पिछले एक साल में निवेशकों को निराश ही किया है। मौद्रिक नीति में खासी उदारता बरतते आ रहे केंद्रीय बैंक अब अपना नीतिगत रुख सामान्य करने की योजना बना रहे हैं। यदि सब कुछ इसी हिसाब से चला तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व सबसे पहले कदम बढ़ाएगा और नवंबर, 2021 तथा जून, 2022 के बीच बॉन्ड की खरीद में कमी लाएगा। उसके बाद वह अपनी बैलेंस शीट का आकार कम करेगा और ब्याज दरों में इजाफा भी करेगा। मेहता समझाते हैं, ‘सोने के लिए यह सही नहीं होगा क्योंकि इसका सीधा मतलब यही है कि अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है। यह संकेत मिलते ही सोने में लगा पैसा बाहर निकलेगा और दूसरी अधिक जोखिम भरी संपत्तियों में चला जाएगा।’ वह यह भी कहते हैं कि डॉलर तथा वास्तविक ब्याज दरों में उछाल आएगी, जो सोने के लिए और भी बुरी खबर होगी।
पटनायक के मुताबिक पिछले कुछ समय में सुरक्षित संपत्तियों में से काफी निवेश डॉलर के समर्थन वाली संपत्तियों में चला गया है। वह कहते हैं, ‘यह रुझान भी सोने के पक्ष में काम नहीं करता।’
सब सामान्य होगा?
बहरहाल सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि केंद्रीय बैंक सामान्यीकरण की अपनी पूर्व नियोजित राह पर आगे बढ़ पाएंगे या नहीं। मेहता समझाते हैं, ‘पिछली बार जब उन्होंने ऐसा करने की कोशिश की थी तो वे संपत्ति खरीद में कमी ले आए थे। लेकिन जब उन्होंने अपनी बैलेंस शीट का आकार घटाना और ब्याज दरें बढ़ाना शुरू किया तो अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर होने लगा और उन्हें कदम पीछे खींचने पड़े।’ पिछले कुछ समय में अर्थव्यवस्थाओं ने गजब का सुधार दिखाया है मगर यह देखना अभी बाकी है कि वे लगातार ऊंची दर से बढ़ पाएंगी या नहीं। पटनायक कहते हैं, ‘चीन में रियल एस्टेट क्षेत्र में संकट एवरग्रांड से भी ज्यादा गहराता दिख रहा है और वहां कई अन्य कंपनियां भी कर्ज चुकाने से चूक रही हैं या उसमें देर कर रही हैं। साथ ही ऊर्जा के ऊंचे दामों के कारण विनिर्माण की लागत भी बढ़ रही है। इसका प्रतिकूल प्रभाव दुनिया भर की आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ रहा है।’ मेहता को लगता है कि मजदूरी बढऩे का खतरा अमेरिका में कुल महंगाई को बढ़ा रहा है।
दूसरे विशेषज्ञों को भी लगता है कि महंगाई और बढ़ती जाएगी। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में कमोडिटी एवं करेंसी प्रमुख किशोर नार्ने कहते हैं, ‘पिछले 18 महीनों में जिंस बहुत महंगी हुई हैं। यदि महंगाई ऐसे ही ऊंची बनी रहती है तो सोने के लिए यह सकारात्मक संकेत होगा।’
सोने में बने रहें
चाहे आर्थिक वृद्घि दर में गिरावट आए या महंगाई ऊपर चढ़ जाए, दोनों ही सूरतों से निपटने के लिए खुदरा निवेशकों को 10-15 फीसदी आवंटन सोने में करना चाहिए। यदि इस समय आपका आवंटन कम है तो आप कीमत में इस गिरावट का इस्तेमाल निवेश बढ़ाने के लिए कीजिए।
यदि आप सोने में आठ साल के लिए निवेश कर सकते हैं तो सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड का रुख कीजिए। इनमें आपको पूंजीगत लाभ के अलावा 2.5 फीसदी सालाना की ब्याज दर हासिल होगी। लेकिन इन बॉन्डों में तरलता की कमी होती है। अगर आपने मध्यम अवधि के लिए निवेश करने की योजना बनाई है तो आपके लिए गोल्ड ईटीएफ सही रहेंगे।
इस समय 11 फंड कंपनियां गोल्ड ईटीएफ दे रही हैं। फंड्सइंडिया डॉट कॉम में अनुसंधान प्रमुख अरुण कुमार कहते हैं, ‘गोल्ड ईटीएफ चुनने हों तो तीन पैमानों पर नजर डालनी चाहिए – एक्सपेंस रेश्यो, ट्रेडिंग वॉल्यूम (अथवा प्रबंधनाधीन संपत्ति) और ट्रैकिंग एरर।’ ऐसा फंड चुनिए, जिसमें एक्सपेंस रेश्यो कम हो, ट्रेडिंग वॉल्यूम अधिक हो तथा ट्रैकिंग एरर भी कम हो।

First Published - November 14, 2021 | 11:01 PM IST

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