सरकारी उपक्रम आरईसी लिमिटेड चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2025) में डीप डिस्काउंट जीरो कूपन बॉन्डों के माध्यम से 5,000 करोड़ रुपये और जुटाने पर विचार कर रही है। मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी।
बुनियादी ढांचे पर केंद्रित सरकारी ऋणदाता ने इसके पहले सीबीडीटी नोटिफाइड जीरो कूपन बॉन्डों के माध्यम से इस साल 30 सितंबर को 5,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। इसमें सालाना 6.25 प्रतिशत प्रभावी यील्ड की पेशकश की गई थी। इस इश्यू की बहुत ज्यादा मांग थी और यह बॉन्ड 5,000 करोड़ रुपये इश्यू आकार के करीब 7 गुना ज्यादा ओवरसबस्क्राइब हुआ था।
इश्यूएंस का 4,000 करोड़ रुपये ग्रीन शू ऑप्शन के साथ बेस इश्यू साइज 1,000 करोड़ रुपये था। कंपनी को 33,670 करोड़ रुपये की बोली मिली, जो बेस इश्यू का करीब 34 गुना अधिक है।
जीरो कूपन बॉन्ड भारी छूट पर जारी किए जाते हैं और अंकित मूल्य पर भुनाए जाते हैं। इसमें निवेशकों को कर लाभ मिलता है, क्योंकि भुनाए गए बॉन्ड को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
सीबीडीटी अधिसूचना के कारण इस पर 12.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की कम दर से कर लगता है। भारी छूट वाले बॉन्ड सामान्यतया उनके अंकित मूल्य के 20 प्रतिशत से ज्यादा छूट पर जारी किए जाते हैं और इन पर नियमित ब्याज नहीं मिलता। जीरो कूपन बॉन्ड की तरह यह ढांचा निवेशकों के लिए पुनर्निवेश जोखिम को समाप्त कर देता है।
बहरहाल आरईसी ने पिछले सप्ताह 7.09 प्रतिशत की दर पर 15 साल के बॉन्ड जारी करके 3,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। हाल फिलहाल में यह ‘एएए’ रेटिंग वाली इकाई द्वारा जारी किया गया पहला दीर्घकालिक (10 वर्ष और उससे अधिक) बॉन्ड था। इससे बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों सहित दीर्घकालिक निवेशकों की ओर से मजबूत मांग के संकेत मिले थे।
इसके अलावा घरेलू और विदेशी पूंजी बाजारों से धन जुटाने के लिए भारतीय रेलवे की एक समर्पित वित्तपोषण शाखा भारतीय रेल वित्त निगम (आईआरएफसी) ने 15 वर्ष में परिपक्व होने वाले बॉन्ड के माध्यम से 3,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए घरेलू पूंजी बाजार में निवेशकों से बोलियां मांगी है।
इस इश्युएंस का बेस साइज 500 करोड़ रुपये और ग्रीन शू ऑप्शन 2,500 करोड़ रुपये है। घरेलू क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों इक्रा, क्रिसिल और केयर द्वारा बॉन्ड को ‘एएए’ रेटिंग दी गई है।