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आईपीओ से पैसे तो जुटाए पर इसे लगाएं कहां

Last Updated- December 07, 2022 | 12:44 PM IST

पिछले एक साल में आईपीओ के जरिए जुटाई गई 42 फीसदी रकम का उचित इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। यह रकम या तो बैंकों में पड़ी है या डेट इंस्ट्रूमेंट्स में लगी है।


इस दौरान कुल 32 कंपनियों ने अपने कारोबार के विस्तार के लिए कुल 40,148 करोड़ जुटाए थे, लेकिन इनमें से कंपनियां सिर्फ 23,603 करोड़ रुपये ही इस काम में इस्तेमाल कर सकी हैं।

सूचना, रियाल्टी,टेलीकॉम और लॉजिस्टिक कंपनियों तो पहले से तय उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल कर सकने में कामयाब हो सकीं, लेकिन ऊर्जा, सेक्योरिटीज और वित्तीय कंपनियां आईपीओ से जुटाए गए पैसों का महज कुछ ही हिस्सा इस्तेमाल कर सकीं। जबकि बाकी पैसे उन्होने बैंक और डेट स्कीमों में रखना मुनासिब समझा।

इस फेहरिस्त में रिलायंस पावर,फ्यूचर कैपिटल,जीएसएस अमेरिकन इंफोटेक, कोल्टे पाटिल डेवलपर्स, ऑनमोबाइल ग्लोबल और मुद्रा पोर्ट आईपीओ से जुटाए गए पैसों के 20 फीसदी से भी कम पैसों का ही इस्तेमाल कर सकें हैं। ज्योति लेबोरेटरीज की बात करें तो इसने दिसंबर 2007 में कुल 305.69 करोड़ रुपये आईपीओ से जुटाए थे, लेकिन इस साल मार्च तक इसमें में एक चव्वनी तक इस्तेमाल नही कर सकी थी।

केयर्न इंडिया, डीएलएफ, एचडीआईएल और विशाल रिटेल तो जुटाए गए सारे पैसों को इस्तेमाल कर पाने में सफल साबित रही पर आईडिया सेल्यूलर, रेलिगेयर इंटरप्राइजेज और पूर्वांकर प्रोजेक्ट्स जुटाई गई पूंजी का 90 फीसदी ही इस्तेमाल कर सकी। रिलायंस पावर ने कुल 11,562 करोड़ रुपये जुटाए थे, जिसमें वह कुल 118.83 करोड़ रुपये इश्यू के खर्चों के लिए इस्तेमाल किया और तीन करोड़ रुपये इसने बांबे स्टॉक एक्सचेंज में जमा किए।

पावर कंपनियों ने दस साल के भीतर 7,060 मेगावाट ऊर्जा प्रोजेक्टों को वित्तीय सहायता देने के लिए कुल 2,045  करोड़ रुपये जुटाए थे, लेकिन इस साल मार्च तक इसने महज 25.83 करोड़ रुपये ही इस्तेमाल किए। फ्यूचर कैपिटल की बात करें तो आईपीओ के जरिए इसने 491 करोड़ रुपये जुटाए थे,लेकिन महज 88.47 करोड़ रुपये का ही यह इस्तेमाल कर सकी।

First Published - July 22, 2008 | 9:48 PM IST

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