डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बडियां पाए जाने के खुलासे के बाद इंडसइंड बैंक ने जमा राशि घटने के कारण धन जुटाने के लिए आक्रामक रूप से सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (सीडी) बाजार का उपयोग किया है। मार्च में बैंक ने सीडी से 7.75 और 7.90 प्रतिशत ब्याज दर पर 16,550 करोड़ रुपये जुटाए। यह इसके पहले बैंक द्वारा सामान्य स्थिति में सीडी से जुटाए गए धन की तुलना में पांच गुना ज्यादा है।
पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया सहित कई बड़े सरकारी बैंकों ने भी इस अवधि के दौरान सीडी से भारी धनराशि जुटाई है।
बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इंडसइंड बैंक में समस्या ने सरकारी बैंकों को इंडसइंड बैंक की सीडी में निवेश करने के लिए धन जुटाने हेतु सीडी बाजार का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया होगा। इससे उन्हें उधारी की लागत के अनुकूल स्प्रेड की सुविधा मिलेगी।
एक बड़े बैंक के ट्रेजरी अधिकारी ने कहा कि सरकारी बैकों में से ज्यादातर ने इंडसइंड बैंक के सीडी को सबस्क्राइब किया है, क्योंकि उसने आकर्षक यील्ड की पेशकश की थी। उन्होंने कहा, ‘इंडसइंड के सीडी पर जिन दरों की पेशकश की गई थी, हर कोई उसमें निवेश करना चाहेगा।’ उन्होंने कहा कि दरें एक सप्ताह में ही 15 से 20 आधार अंक बढ़ गईं।
सीसीआईएल के आंकड़ों के मुताबिक पीएनबी के सीडी पर यील्ड 7.56 प्रतिशत से 7.59 प्रतिशत, बैंक ऑफ बड़ौदा के सीडी पर यील्ड 7.55 से 7.60 प्रतिशत, जबकि इंडसइंड बैंक के सीडी पर यील्ड 7.75 और 7.90 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी।
इंडसइंड बैंक ने 10 मार्च को 7.75 प्रतिशत कूपन दर पर 12 माह के सीडी से 1,890 करोड़ रुपये जुटाए। उसी दिन बैंक ने खुलासा किया कि एक आंतरिक समीक्षा में उसने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियां पाई है।, जिससे उसके नेटवर्थ में 2.35 प्रतिशत का विपरीत असर पड़ा है।