भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने तीसरे पक्ष के ऐप्लिकेशन प्रदाताओं (टीपीएपी) के जरिये यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन के लिए प्रीपेड पेमेंट्स इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) की इंटरऑपरेबिलिटी को मंजूरी दी है। फिलहाल यूपीआई भुगतान ही इंटरऑपरेबल है और उपयोगकर्ता रकम भेजने या पाने के लिए किसी भी टीपीएपी का उपयोग कर सकता है। मगर डिजिटल वॉलेट जैसे पीपीआई के बीच लेनदेन केवल वॉलेट जारीकर्ता की भुगतान प्रणाली के भीतर ही किया जा सकता है।
आरबीआई की इस पहल के बाद एक उपयोगकर्ता अपने पीपीआई वॉलेट में यूपीआई के जरिए धन भेज या प्राप्त कर सकता है। इसके लिए वह उन ऐप का इस्तेमाल कर सकता है जिन्होंने भुगतान साधन जारी नहीं किए हैं। इस तरह इन्हें इंटरआपरेबल बनाया गया है। इससे पहले दो वॉलेट के बीच लेनदेन तभी हो सकता था जब दोनों पक्षों का टीपीएपी एक ही हो।
आरबीआई ने अपने संशोधित निर्देशों में कहा है कि पीपीआई जारीकर्ता अपने फुल-केवाईसी उपयोगकर्ताओं को यूपीआई भुगतान करने के लिए सक्षम कर सकते हैं। मगर भुगतान सेवा प्रदाता के रूप में काम करने वाले पीपीआई जारीकर्ता किसी बैंक अथवा किसी अन्य पीपीआई जारीकर्ता के ग्राहकों को अपने प्लेटफॉर्म पर सेवा नहीं दे सकेंगे।
फुल-केवाईसी पीपीआई उपयोगकर्ताओं को अब थर्ड पार्टी यूपीआई ऐप्लिकेशन अथवा फोनपे, गूगल पे, पेटीएम जैसे टीपीएपी पर तलाशा जा सकता है। यह सुविधा वे भुगतान सेवा प्रदाता उपलब्ध कराएंगे जो कोई बैंक या गैर-बैंक भी हो सकता है। ये टीपीएपी पीपीआई और उनके पीएसपी यूपीआई हैंडल के बीच लिंकेज को सक्रिय कर सकते हैं।