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माइक्रो बीमा सेगमेंट ने FY24 में रचा इतिहास, पहली बार न्यू बिजनेस प्रीमियम 10,000 करोड़ के पार निकला

निजी जीवन बीमाकर्ताओं की हिस्सेदारी इस सेगमेंट में करीब 10,708.4 करोड़ रुपये की है जबकि सरकारी जीवन बीमा कंपनी, LIC का योगदान करीब 152 करोड़ रुपये है।

Last Updated- December 25, 2024 | 11:06 PM IST
In a first, micro insurance premium in life segment tops Rs 10k cr in FY24 माइक्रो बीमा सेगमेंट ने FY24 में रचा इतिहास, पहली बार न्यू बिजनेस प्रीमियम 10,000 करोड़ के पार निकला

वित्त वर्ष 2023-24 में जीवन बीमा में सूक्ष्म बीमा के तहत नए बिजनेस प्रीमियम (एनबीपी) ने पहली बार 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में जीवन बीमा के लिए, सूक्ष्म बीमा सेगमेंट के तहत कुल नया बिजनेस प्रीमियम बढ़कर 10, 860.39 करोड़ रुपये हो गया जो वित्त वर्ष 2023 के 8,792.8 करोड़ रुपये से 23.5 प्रतिशत अधिक है।

इस सेगमेंट के तहत व्यक्तिगत आधार वाले एनबीपी में सालाना आधार पर 23.78 फीसदी की कमी आई और यह 152.57 करोड़ रुपये हो गई जबकि समूह एनबीपी में सालाना 24.61 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह 10,707.82 करोड़ रुपये हो गई।

निजी जीवन बीमाकर्ताओं की हिस्सेदारी इस सेगमेंट में करीब 10,708.4 करोड़ रुपये की है जबकि सरकारी जीवन बीमा कंपनी, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का योगदान करीब 152 करोड़ रुपये है।

निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने 469 बीमा योजनाओं से 10,690.73 करोड़ रुपये का समूह प्रीमियम एकत्र किया जबकि एलआईसी ने 4,993 योजनाओं से 17.09 करोड़ रुपये संग्रह किए। योजना के तहत कुल 17.89 करोड़ लोगों को बीमा कवर दिया गया।

वित्त वर्ष 2024 के अंत में सूक्ष्म बीमा एजेंटों की संख्या 1.02 लाख रही जिनमें से 19,166 एजेंटों का ताल्लुक सरकारी जीवन बीमा कंपनियों से है जबकि बाकी 82,682 निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियों से जुड़े हैं। कुल सूक्ष्म बीमा एजेंटों में गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 4.49 प्रतिशत, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) 0.25 फीसदी, सूक्ष्म वित्त संस्थान (एमएफआई) 0.24 फीसदी, बिजनेस कॉरेसपॉन्डेंट (बीसी) 0.12 प्रतिशत और अन्य सूक्ष्म बीमा (एमआई) एजेंट 94.90 फीसदी हैं।

सूक्ष्म बीमा का उद्देश्य कम आमदनी वाले लोगों की सुरक्षा करना है। साथ ही आर्थिक नुकसानों का सामना करने और उनसे उबरने में मदद करने के लिए किफायती बीमा योजनाओं की पेशकश करना है। वर्ष 2005 में बीमा नियामक ने जब सूक्ष्म बीमा करने के लिए नियम पेश किए, इसके बाद इस तरह की योजनाओं की बिक्री बढ़ी।

जुलाई 2015 में आईआरडीएआई ने भारत में सूक्ष्म बीमा बाजार तैयार करने के लिए सूक्ष्म बीमा नियम जारी किए। ‘सूक्ष्म बीमा एजेंट’ की अवधारणा इस सेगमेंट में अधिक मध्यस्थों को आकर्षित करने के मकसद से पेश की गई थी।

First Published - December 25, 2024 | 11:06 PM IST

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