facebookmetapixel
IPO लंबी अवधि की पूंजी नहीं जुटा रहे, सिर्फ शुरुआती निवेशकों का एग्जिट बन रहे: CEA नागेश्वरनव्यापार घाटे की खाई हुई और चौड़ी: अक्टूबर में निर्यात 11.8% घटा, ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 41.68 अरब डॉलर परभारत यूरोपीय यूनियन और न्यूजीलैंड से FTA पर बातचीत के अंतिम चरण में, जल्द हो सकता है समझौताभारत ने पहली बार अमेरिका से 22 लाख टन एलपीजी आयात का किया सालाना अनुबंध, 2026 में होगी सप्लाईLIC की मांग: उच्च मूल्य बीमा पॉलिसी की कर सीमा ₹5 लाख से बढ़कर ₹10 लाख होCBDT चेयरमैन का दावा: FY26 में 25.2 लाख करोड़ रुपये का कर लक्ष्य होगा हासिलसरकार का दावा: GST सुधार से वित्तीय क्षेत्र में रफ्तार लौटेगी, सस्ती लोन दरों से अर्थव्यवस्था में तेजीकंपनी संशोधन विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद, प्रोफेशनल फर्मों पर बड़ी राहत के संकेतलगातार छठे दिन चढ़ा शेयर बाजार, निफ्टी फिर 26,000 के पार और सेंसेक्स 84,951 पर बंदAI से इतर रोटेशन ट्रेड में भारत बनेगा बड़ा फायदेमंद बाजार, CLSA का दावा

Unemployment Rate: अक्टूबर में बेरोजगारी दर 5.2% पर स्थिर, गांवों में सुधार लेकिन शहरी क्षेत्रों में बढ़ा दवाब

अच्छी बात ये है कि इस दौरान काम करने वाले लोगों की तादाद और नौकरी ढूंढ रहे लोगों की संख्या दोनों में थोड़ा इजाफा हुआ है, यानी लेबर मार्केट में कुछ हलचल दिख रही है

Last Updated- November 17, 2025 | 8:37 PM IST
unemployment
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

देश में बेरोजगारी की दर अक्टूबर महीने में भी लगातार दूसरे महीने 5.2 फीसदी पर ही ठहरी हुई है। नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) ने सोमवार को पीरियडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) का ताजा मासिक बुलेटिन जारी किया, जिसमें ये आंकड़े सामने आए हैं। अच्छी बात ये है कि इस दौरान काम करने वाले लोगों की तादाद और नौकरी ढूंढ रहे लोगों की संख्या दोनों में थोड़ा इजाफा हुआ है, यानी लेबर मार्केट में कुछ हलचल दिख रही है।

गांव और शहर का अलग-अलग हाल

गांवों में तो राहत वाली खबर है। वहां बेरोजगारी दर सितंबर के 4.6 फीसदी से घटकर अक्टूबर में 4.4 फीसदी पर आ गई। लेकिन शहरों का माहौल उल्टा हो गया। शहरी इलाकों में बेरोजगारी तीन महीने के उच्चतम स्तर 7 फीसदी पर पहुंच गई, जो सितंबर में 6.8 फीसदी थी। मतलब शहरों में नौकरी की तलाश करने वालों पर दबाव बढ़ा है।

ये सारे आंकड़े 15 साल और उससे ज्यादा उम्र वालों के लिए हैं और करंट वीकली स्टेटस (CWS) के हिसाब से निकाले गए हैं। आसान भाषा में कहें तो पिछले सात दिनों में अगर कोई व्यक्ति एक घंटे भी काम नहीं कर पाया और नौकरी की तलाश में था या उपलब्ध था, तो उसे बेरोजगार माना गया है।

Also Read: अक्टूबर में निर्यात 11.8% घटकर 34.38 अरब डॉलर रहा; व्यापार घाटा बढ़कर 41.68 अरब डॉलर पर पहुंचा

मर्दों की बेरोजगारी दर 5.1 फीसदी पर जस की तस बनी रही, जबकि औरतों में मामूली सुधार हुआ। सितंबर में 5.5 फीसदी थी, जो अक्टूबर में 5.4 फीसदी पर आ गई।

लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट यानी काम कर रहे या नौकरी ढूंढ रहे लोगों का कुल प्रतिशत थोड़ा सा बढ़कर 55.4 फीसदी हो गया, जो सितंबर में 55.3 फीसदी था। गाँवों में ये 57.4 से बढ़कर 57.8 फीसदी हो गया, पर शहरों में 50.9 से घटकर 50.5 फीसदी रह गया।

औरतों का वर्कफोर्स में बढ़ती भागीदारी

सबसे खुशी वाली बात ये है कि काम करने वालों का कुल अनुपात यानी वर्कर पॉपुलेशन रेशियो (WPR) अक्टूबर में 52.5 फीसदी रहा। इसमें सबसे बड़ा योगदान ग्रामीण इलाकों की महिलाओं का है। 15 साल से ऊपर की महिलाओं का WPR लगातार चौथे महीने बढ़ रहा है। जून में ये 30.2 फीसदी था, जो अक्टूबर तक 32.4 फीसदी पहुंच गया।

NSO ने साफ कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ही कुल वर्कफोर्स में इस उछाल की मुख्य वजह है। जनवरी 2025 से सर्वे की नई पद्धति अपनाने के बाद अब हर महीने गाँव और शहर अलग-अलग और पूरे देश के आंकड़े ज्यादा सटीक तरीके से सामने आ रहे हैं।

First Published - November 17, 2025 | 8:37 PM IST

संबंधित पोस्ट