प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खुले हर 5 खाते में से एक खाता दिसंबर 2024 तक निष्क्रिय हो गया है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय द्वारा जांच प्रक्रिया तेज करके खातों को चालू करने की कवायद के बावजूद यह स्थिति है। इन आंकड़ों के मुताबिक करीब 11 लाख जनधन खाते निष्क्रिय हैं।
बैंक खातों को तब निष्क्रिय माना जाता है, जब खाताधारक ने लगातार 24 महीने तक उस खाते से कोई लेन-देन नहीं किया हो। मार्च 2024 में निष्क्रिय जनधन खातों की संख्या 19 प्रतिशत थी, जो दिसंबर 2024 में 21 प्रतिशत हो गई।
बैंक ऑफ बड़ौदा में सबसे ज्यादा 2.9 करोड़ निष्क्रिय खाते हैं, उसके बाद पंजाब नैशनल बैंक में 2 करोड़, भारतीय स्टेट बैंक में 1.8 करोड़ और बैंक ऑफ इंडिया में 1.26 करोड़ निष्क्रिय जनधन खाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को जनधन योजना की शुरुआत की थी। इसका मकसद देश के सभी परिवारों की बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि निष्क्रिय खातों की संख्या में वृद्धि की एक वजह यह है कि शुरुआत में लोगों ने कई खाते खोले, जिनमें से तमाम नियमित बचत खाते में तब्दील हो गए।
भारत के पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा, ‘तमाम लाभार्थियों को जनधन खाते के तहत मिलने वाले लाभों के बारे में जानकारी भी नहीं होती। इसकी वजह से खाते का उपयोग नहीं हो पाता। साथ ही एक बार धन जमा करने के बाद लाभार्थियों ने तत्काल जमा धन निकाल लिया और इसकी वजह से खाते निष्क्रिय हो गए। इन वजहों से उल्लेखनीय रूप से निष्क्रिय खाते सामने आए हैं।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जून 2024 में खबर दी थी कि वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को निष्क्रिय जनधन खातों को सक्रिय करने के निर्देश दिए है। बैठक में शामिल एक बैंकर ने कहा था कि वित्तीय समावेशन की कवायद के तहत हमें निष्क्रिय जनधन खातों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है।
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2024 में जनधन खातों में कुल जमा 2.31 लाख करोड़ रुपये था और औसतन एक खाते में 4,352 रुपये जमा था। ईग्रो फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक और सीईओ चरण सिंह का कहना है, ‘ज्यादातर जनधन खाते प्राथमिक रूप से प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण (डीबीटी) के लिए इस्तेमाल होते हैं। हमने बैंकिंग तक पहुंच सुधारी है, वहीं अभी भी अन्य वित्तीय साधनों की कमी बनी हुई है।’
नए जनधन खाते खोलने में सरकारी बैंकों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। दिसंबर 2024 तक यूको बैंक वित्त वर्ष 2025 के अपने लक्ष्य को पार कर गया और उसने 10 लाख या अपने लक्ष्य का 110 प्रतिशत जनधन खाते खोल दिए। पंजाब नैशनल बैंक ने 41 लाख या अपने लक्ष्य का 98 प्रतिशत, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 29.5 लाख यानी अपने लक्ष्य का 89 प्रतिशत और भारतीय स्टेट बैंक ने 66 लाख यानी अपने लक्ष्य का 86 प्रतिशत जनधन खाता खोल दिया। कुल मिलाकर सरकारी बैंकों ने 236 लाख यानी अपने 300 लाख लक्ष्य का 79 प्रतिशत जनधन खाता खोल दिया है।
वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम नागराजू ने नवंबर 2024 में नई दिल्ली में सभी हिस्सेदारों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की, जिससे जनधन खातों की पुनः केवाईसी की प्रक्रिया तेज की जा सके। उन्होंने पुनः केवाईसी के सभी उपलब्ध साधनों जैसे फिंगरप्रिंट, चेहरे से पहचान और केवाईसी दस्तावेजों में कोई बदलाव न होने की घोषणा, एटीएम सहित विभिन्न साधनों के इस्तेमाल, मोबाइल बैंकिंग और इंटरनेट बैंकिंग के महत्त्व पर जोर दिया।
इसी बैठक में नागराजू ने बैंकों से अनुरोध किया था कि जनधन योजना की शुरुआत के समय के उत्साह को फिर से दिखाएं और समय से केवाईसी प्रक्रिया पूरी करें और अगर जरूरत हो तो ग्राहकों की असुविधा न्यूनतम करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती करें।