पिछले छह महीनों का समय घरेलू कंपनियों के लिए काफी परेशानी वाला रहा है। कंपनियों के शेयर की कीमत में तेजी से कमी आई है।
इसकी वजह लगातार बढ़ती महंगाई, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, लागत का बढ़ते जाना, वैश्विक अर्थव्यवस्था में चल रही अनिश्चितता और रुपए की कीमत में लगातार होती गिरावट रही है। बाजार में आई मंदी इतनी तेज और गहरी है कि बाजार के बहुसंख्यक विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियों के फंडामेंटल्स पर भय भारी पड़ रहा है यानी फंडामेंटल्स अच्छे हैं और भाव कम है। यही वजह है कि इस समय में कुछ अच्छी कंपनियों केशेयर अच्छी खासी रिटर्न के लिए खरीदे जा सकते हैं।
आईडीएफसी
जिस हिसाब से भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास हो रहा है, उस लिहाज से इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकताएं भी बढ़नी चाहिए और इस बात की अपार संभावनाएं दिखती हैं। उदाहरण के लिए ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना की बात करें तो इस बात के संकेत मिलते हैं कि आनेवाले दिनों में नई इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के विकास के लिए लगभग 500 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी और ऐसे में विनिमार्ण कंपनियों खासकर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस( आईडीएफसी) के लिए यह शुभ संकेत है।
वित्त वर्ष 2008-09 में कंपनी के इंफ्रास्ट्रक्चर लेंडिंग बिजनेस के 37 प्रतिशत सीएजीआर की रफ्तार से बढ़ने की संभावना है। हालांकि ब्याज दरों का कु छ हद तक दबाव बन सकता है लेकिन बेहतर फं ड मैनेजमेंट से इस दबाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2008-09 के दरम्यान एसेट मैनेजमेंट फीस, प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट बुक और आईडीएफसी-एसएसकेआई में बढ़ोतरी के कारण वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान शुध्द ब्याज आय का कुल आमदनी में 47 प्रतिशत हिस्सा रहने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2008-10 में शुध्द ब्याज आय के 28 प्रतिशत चक्रवृध्दि दर से बढ़ने की संभावना है और साथ ही शुध्द ब्याज आय के3 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है। यूएलजेके सिक्योरिटीज के शोध केअध्यक्ष यू आर राव के अनुसार इसमें निवेश की अच्छी संभावनाएं हैं जो भविष्य में बेहतर रिटर्न दे सकती है। कंपनी के शेयरों का कारोबार 105 रुपये की कीमत पर 16 मल्टीपल वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित कमाई और 12.5 मल्टीपल वित्त वर्ष 2010 की कमाई पर हो रहा है।
एचसीसी
कंस्ट्रक्सन क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों में से एक हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्सन कंपनी (एचसीसी) विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है जिसमें परिवहन, जल और नाभिकीय ऊर्जा, सिंचाई और जल आपूर्ति, समुद्री परियोजनाओं और यूटिलिटीज और शहरी इंफास्ट्रक्चर शामिल हैं। विभिन्न सेक्टरों में अपनी पैठ और साथ ही इंफ्र ास्ट्रक्चर सेक्टर में अधिक निवेश की बदौलत एचसीसी इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में अपना कारोबार कर रही कंपनियों केबीच निवेश के लिए सबसे उपयुक्त बन गई है।
कारोबार की विविधता का फायदा एचसीसी को मैनेजिंग ग्रोथ में ही नहीं बल्किउंचा मार्जिन बरकार रखने में मिला है। रेलीगेयर सिक्योरिटिज के अध्यक्ष (इक्विटी) अमिताभ चक्रवर्ती का कहना है कि ऊर्जा,जल और सिंचाई जैसे क्षेत्रों में होनेवाले अच्छे कारोबार केकारण कंपनी वित्त वर्ष 2007 के 9.1 प्रतिशत के ऑपरेटिंग मार्जिन को वित्त वर्ष 2008 में11.9 प्रतिशत तक के स्तर तक ले जाने में सक्षम रही है।
इनके अलावा कंपनी रियल स्टेट कारोबार में भी कई योजनाओं पर अपना काम रही है। इसके तहत कंपनी महाराष्ट्र में 14,000 एकड़ में फैले 1860 लाख वर्गमीटर काभूखंड तैयार करने की योजना बना रही है। हालांकि रियलटी सेक्टर में अनिश्चितता केमाहौल के कारण शेयरों पर विपरीत असर जरूर पडा है। विश्लेषकों का अनुमान है कि शेयर बाजार में अपेक्षाकृ त अधिक निराशा का वातावरण बनने से शेयरों का कारोबार उचित मूल्य से भी कम पर हो रहा है।
मूलत: देश में इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में होने वाले खर्च की बढ़ोतरी केकारण एचसीसी केकोर बिजनेस में विकास की गुंजाइश बनती है। ऐसा लगता है कि 9560 करोड़ कीमजबूत आर्डर बुक जो कि 3.1 मल्टीपल वित्त वर्ष 2008 का राजस्व है, कंपनी को सकारात्मक दिशा की ओर ले जाती है।
एसओटीपी के आधार पर एचसीसी के प्रति शेयर का का मूल्य 165 रुपये तय किया गया है जिसमें 98 से 110 रुपये प्रति शेयर पर होनेवाले कोर बिजनेस और 34 से 40 रुपये प्रति शेयर पर होनेवाले लवासा प्रोजेक्ट शामिल है। लवासा और अन्य रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए समायोजित शेयरों का कारोबार 9 मल्टीपल वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित कमाई और 6 मल्टीपल वित्त वर्ष 2010 की कमाई पर कारोबार हो रहा है।
लार्सन एंड टुब्रो
औद्योगिक और पूंजीगत उत्पादन में विकास में कमी के चलते लार्सन एंड टुब्रो के शेयरों की कीमतों में कमी दर्ज की गई है। लिहाजा इससे खरीदारों को कम कीमत पर इस कंपनी के शेयर खरीदने का अवसर मिला है जबकि इस कंपनी की क्षमता किस कदर है,वह किसी से छिपी हुई नही है। लंबी अवधि को देखते हुए निवेश करने का यह एक बढ़िया मौका हो सकता है ।
जबकि इस कंपनी के पावर संबंधी औजार, शिपबिल्डिंग और सुरक्षा संबंधी औजार और रेलवे में लगे पैसे से अभी फायदा मिलना बाकी है। पश्चिम एशिया की बात करें तो तेल कीमतों ज्यादा होने के कारण पैसों की आवक अधिक होने से वहां बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में 1,000 अरब डॉलर के निवेश होने हैं। एसबीआईकैप के हेड रिसर्च अनिल आडवाणी कहते हैं कि एल एंड टी ने संसाधनों की कमी के कारण इस क्षेत्र में अवसरों का भरपूर उपयोग नही किया है।
लिहाजा, भारत में अगर मंदी बरकरार रहती है तो फिर कंपनी खाड़ी देशों में अपने कारोबार का विस्तार कर सकती है। लिहाजा, इन सब कारकों और मजबूत ऑर्डर बुक, जो 52,700 करोड़ रुपये है, होने से कंपनी को भरोसा है कि वह 35 फीसदी की दर से विकास गति को बरकरार रख सकती है। इसके अलावा कंपनी की आईटी और वित्तीय सहायक इकाइयों से इसके शेयरधारकों की जेब और गर्म होगी।
2,357 रुपये के भाव पर इस कंपनी के शेयर वित्तीय वर्ष 2009 के अनुमानित कंसालिडेटेड अर्निंग्स के 22 गुना पर जबकि वित्तीय वर्ष 2010 के अनुमानित कमाई के 17 गुना पर कारोबार कर रहा है। विश्लेषकों की राय में स्टॉपलॉस आधार पर इनके शेयरों की कीमत 3,000 से 3,200 रुपये प्रति शेयर अनुमानित है।
थर्मेक्स
इस कंपनी के शेयरों में इंडस्ट्रीयल कैपेक्स में मंदी के कारण बहुत तेज गिरावट दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2008 की चौथी तिमाही में लागत में इजाफा होने के कारण इसके शेयरों के सेंटीमेंट पर भी खासा प्रभाव पड़ा है और नतीजतन इसके शेयर की कीमतों में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इस कारण इसके शेयर वित्तीय वर्ष 09 की कमाई के वैल्यूएशन के 13 गुना पर जबकि वित्तीय वर्ष 2010 की कमाई के वैल्यूएशन के 11 गुना पर कारोबार कर रहे हैं।
लिहाजा, यह एक आकर्षक आंकड़ा है,जिसे देखते हुए कारोबार किया जा सकता है। इसके अलावा कंपनी के पास कुल 2,637 करोड़ की ऑर्डर बुक होने के कारण इसे किस स्तर का राजस्व हासिल हो सकता है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। साथ ही कंपनी ने अपने कारोबार की बेहतरी के लिए कई नए कदम भी उठाए हैं जिनसे आने वाले सालों में कंपनी के विकास को मजबूती मिल सकती है। मालूम हो कि कंपनी को इंजीनियरिंग क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल है जबकि छोटे और मझोले आकार के औद्योगिक बॉयलर, हीटर के निर्माण में भी उसका दबदबा है।
ऊर्जा क्षेत्र में भी इसकी एक स्थापित मौजूदगी है। नोट करने वाली बात यह है कि कंपनी द्वारा उच्च क्षमता वाले बॉयलरों के निमार्ण वाले सेगमेंट में कदम रखने से मुनाफे में और इजाफा होने की उम्मीद है। इसी को देखते हुए कंपनी ने बैबकॉक और विलकॉक्स के साथ एक 15 साल के करार पर हस्ताक्षर किया है। कंपनी बड़ौदा में बने रहे 3,000 मेगावाट की क्षमता वाली बॉयलर फैसिलिटी का पहला चरण पूरा कर चुकी है। जहां तक दूसरे चरण की बात है तो वह अक्टूबर 2008 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। इस दिशा में कंपनी को पहले से ही 820करोड़ रुपये वाले बड़े आर्डर हासिल हो चुके हैं।
हालांकि कंपनी के मार्जिनों पर दवाब बना रह सकता है क्योंकि इसके आर्डर बैकलॉग का 70 से 75 फीसदी निर्धारित मूल्य के आधार पर हैं। लिहाजा, कंपनी इन्हें लेकर काफी सावधानी बरत रही है जिसे हम इस प्रकार देख सकते हैं कि कंपनी नए आर्डरों की पूर्ति के लिए नए ऑर्डरों के लिए लागत सुनिश्चित करने में लगी है।
टीवी 18
मीडिया सेक्टर के शेयरों को कई रिसर्च हाउसों ने अनुकूल बताया है। टेलीवीजन एटीन इंडिया भारत में इलेक्ट्रानिक मीडिया क्षेत्र में बिजनेस न्यूज मुहैया कराने वाली प्रमुख कंपनी है। इसके पास सीएनबीसी टीवी 18 और सीएनबीसी आवाज का स्वामित्व है और वह इन्हें चलाती है। इस मीडिया ग्रुप का इंटरनेट स्पेश में अच्छा खासा निवेश है।
कंपनी की मनी कंट्रोल डॉट कॉम और कमोडिटी कंट्रोल डॉट कॉम एशिया के सबसे बड़ी बिजनेस पोर्टल में से एक हैं। कंपनी का मौजूदा कारोबार बढ़िया हो रहा है। कंपनी का नया कारोबार पिछले तीन साल में 54 फीसदी की चक्रवृध्दि दर से बढ़ा है। जबकि वेब और न्यूजवायर में कंपनी का निवेश अभी निवेश के चरण में है। इसकी वेब सब्सिडियरी ट्रेवल, टेक्नोलॉजी,मूवी बुकिंग और फाइनेंशियल न्यूज जैसे कारोबारों का संचालन भी करती है।
वेब 18 में टीवी 18 की हिस्सेदारी 85 फीसदी है लेकिन इस सेगमेंट से प्राप्त होने वाला राजस्व काफी कम है। लेकिन लंबी अवधि में इसके बेहतर करने की संभावना है। मौजूदा न्यूज बिजनेस से कंपनी को होने वाले राजस्व में अगले दो साल में 37 फीसदी की वृध्दि होने की संभावना है। इसके लिए कंपनी ने प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है और इंफोमीडिया में 53 फीसदी हिस्सेदारी भी ले ली है।
इस अधिग्रहण से कंपनी को यलो पेज कारोबार में प्रवेश करने में आसानी होगी। आईडीबीआई इक्विटी कैपिटल रिसर्च में प्रमुख शाहिना मुकद्दम का कहना है कि कंपनी को आगे टेलीवीजन, फिल्म और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में वॉयकाम, फोर्ब्स और जागरण प्रकाशन से होने वाले गठजोड़ का फायदा भी मिल सकता है।
ऑप्टो सर्किट इंडिया
ऑप्टो सर्किट इंडिया को निवेश के बेहतर विकल्प के रुप में देखा जा सकता है। हालांकि इस कंपनी के शेयर में जनवरी की ऊंचाई से अब तक 45 फीसदी की गिरावट आ गई है लेकिन इसका वैल्यूएशन अभी भी आकर्षक बना हुआ है। कंपनी के शेयर का कारोबार इस समय वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 13 गुना और वित्त्तीय वर्ष 2010 में अनुमानित आय से 13 गुना के स्तर पर हो रहा है।
वित्त्तीय वर्ष 2008 तक समाप्त पांच सालों में कंपनी की ग्रोथ 47 फीसदी रही है। इसकी वजह ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनक इनीसिएटिव्स रहे हैं। इस सेगमेंट में बेहतर ग्रोथ के रहने की वजह से कंपनी की बढ़त वित्तीय वर्ष 2008 से 2010 के बीच 57 फीसदी के करीब रहनी चाहिए जबकि कंपनी कानेट प्रॉफिट 45 फीसदी के हिसाब से बढ़ने की संभावना है। इस ग्रोथ का एक भाग अनुषंगी कंपनी यूरोकोर से आएगा जो कार्डियेक और पेरीफ्रेल स्टेंट की डिजायन और निर्माण का काम करती है।
इसके उत्पादों का वैश्विक बाजार आठ अरब डॉलर के करीब रह सकता है जिसके 15 फीसदी सालाना की दर से बढ़ने की संभावना है। ऑप्टों के दूसरे कारोबारों में मेडिकल इलेक्ट्रानिक और मानिटरिंग प्रॉडक्ट भी शामिल हैं। इन उत्पादों में ऑप्टीकल सेंसर, इलेक्ट्रो-मेडिकल इक्विपमेंट, सिक्योरिटी सिस्टम और पल्स ऑक्सीमीटर के निर्माण के काम शामिल हैं। अभिषेक चक्रवर्ती का कहना है कि कंपनी की अदि्तीय डिजायन क्षमता, अमेरिकी फूड और ड्रग संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त होने और ग्राहकों से मजबूत संबंध होने से इसका राजस्व बीते समय में 51 फीसदी की गति से बढ़ा था।
नॉन इनवेसिव स्पेस में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने के लिए कंपनी क्रिटीकेयर इंक में 700 लाख डॉलर का निवेश कर रही है। इसके अलावा विश्लेषकों का मानना है कि वित्तीय वर्ष 2008 से 2010 के दौरान कंपनी का इनवेसिव कारोबार 55 फीसदी की रफ्तार से बढेग़ा। इसकी वजह कंपनी के पास मजबूत उत्पाद पोर्टफोलियो का होना और भविष्य में नए उत्पाद लांच किए जाने की संभावना के चलते है। अच्छे फंडामेंटल्स के बावजूद कंपनी को ऊंचा मार्जिन हासिल करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
अबान ऑफशोर
दुनियाभर में बढ़ी कच्चे तेल की कीमतों के बाद गहरे पानी से तेल निकालना एक विकल्प बनकर सामने आया है। हालांकि इससे ऑफ शोर ड्रिलिंग सेवाओं की भी मांग बढ़ी है। इसकेचलते विभिन्न ऑफ शोर उपकरणों और सेवाओं के रेट काफी बढ़े हैं, लेकिन रिग की उपलब्धतता काफी कम हो गई है। यह स्थिति वित्तीय वर्ष 2009 में रिकार्ड संख्या में रिग्स की उपलब्धतता के बाद भी बन रही है। इस उद्योग में हुए इस अनुकूल बदलाव से इस क्षेत्र में काम कर रही एशिया की सबसे बड़ी ड्रिलिंग उपकरण और सेवा दे रही अबान ऑफशोर जैसी कंपनियों के अच्छे दिन लौट आए हैं।
ऊंची मांग के साथ कंपनी की अपने पास पहले से ही मौजूद परिसंपत्तियों का दिन केकिराए में ठेकों के नवीनीकरण होने से किराए बढ़ने और आर्गेनिक और इनआर्गेनिक कदमों के जरिए बढ़ाई गई परिसंपत्तियों से भी पौ-बारह हुई। कंपनी को अगले दो सालों में अपने राजस्व में 70-80 फीसदी वृध्दि की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी की सिंगापुर स्थिति इकाई अबान सिंगापुर (एएसएल) के सूचीबध्द होने से मिलने वाले फंड का उपयोग वह अपने कुछ ऋण चुकाने में कर सकती है। यह ऋण उसने सिनेवेस्ट के अधिग्रहण और अपने शेयरधारकों के लिए अपनी वैल्यू अनलॉक करने के लिए किया था। इस समय कंपनी का शेयर अच्छे वैल्यूएशन के साथ कारोबार कर रहा है, वह 2009 के वित्तीय वर्ष की अनुमानित आय की तुलना में 7 गुना पीई पर एक साल आगे है।
सिंटेक्स इंडस्ट्रीज
घरेलू खपत की कहानी में सिंटेक्स की अहम भूमिका है। वाटर टैंक क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद कंपनी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। वह अभी भी अपने कारोबार में अग्रणी बना हुई है। साथ ही उसने कई वैल्यू एडेड प्लॉस्टिक प्रॉडक्ट में लीडरशिप कायम की है। इसमें प्रिफैब और मोनोलिथिक कंस्ट्रक्शन जैसी नई कांसेप्ट भी शामिल हैं, जो तेजी से बढ़ रही है। सिंटेक्स के पास मौजूद 1,500 करोड रुपये (वित्तीय वर्ष 2008 की बिक्री का 65 फीसदी) की ऑर्डर बुक और तेजी से बढ़ती क्विक और अफोर्डेबल मॉस हाउसिंग साल्यूशन के आधार पर विश्लेषकों का अनुमान है कि कंपनी का कारोबार 70 फीसदी की दर से बढ़ेगा।
इनके अलावा सिंटेक्स ने वित्तीय वर्ष 2008 में कई अधिग्रहण के बाद ऑटो और इलेक्ट्रिक प्रॉडक्ट क्षेत्र में भी अपने पांव मजबूती से जमा लिए हैं। इन अधिग्रहणों के पूरे नतीजे इसी वित्तीय वर्ष में देखने को मिलेंगे। इनके जरिए सिंटेक्स को अपने एकीकृत राजस्व में 27 फीसदी हिस्सा मिलने की उम्मीद है।
कंपनी के विस्तृत प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो, भौगोलिक विविधता, ऊंची घरेलू मांग और अधिग्रहण से मिले फायदे के कारण उसे अपनी एकीकृत आय के 50 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। 291 रुपये के स्तर पर कंपनी का शेयर आकर्षक वैल्यूएशन के साथ वित्तीय वर्ष 2009 और वित्तीय वर्ष 2010 की अनुमानित आय के मुकाबले क्रमश: 10 गुना और 7 गुने पर कारोबार कर रहा है।
भारती एयरटेल
भारती एयरटेल मोबाइल बिजनेस के कारोबार में मुख्य लाभ पाने वाली कंपनियों में रहेगी। वित्त्तीय वर्ष 2010 तक देश के मोबाइल ग्राहकों के50 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है जो अभी 30 करोड़ पर है। कंपनी को हर साल करीब 30 फीसदी की वृध्दि होने की संभावना है क्योंकि कंपनी की किफायत क्षमता लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा कंपनी के पास देश की 71 फीसदी जनसंख्या तक पहुंचने वाला अच्छा खासा नेटवर्क भी है। कंपनी की योजना इस पहुंच को 2009 तक बढ़ाकर 80 से 85 फीसदी करने की है।
अपने कोर कारोबार से होने वाली ग्रोथ के अलावा कंपनी अपने टॉवर बिजनेस पर भी फोकस करने की सोच रही है। भारती एयरटेल और इंडस टॉवर के संयुक्त टॉवर का कारोबार 160 से 165 रुपए प्रति शेयर तक है। आगे चलकर जहां कंपनी का कोर बिजनेस तेजी से बढ़ने की संभावना है वहीं डीटीएच और आईपीटीवी के सेगमेंट में प्रवेश से भी कंपनी को बढ़िया लाभ प्राप्त करने में सफलता मिलेगी।
कंपनी की योजना श्रीलंका के बाजार में प्रवेश करने की भी है जिससे कंपनी को अपनी बढ़त बरकरार रखने में मद्द मिलेगी। विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी की बॉटम लाइन और टॉपलाइन ग्रोथ 25 से 30 फीसदी के आसपास रहेगी। मौजूदा बाजार मूल्य 748 रु के स्तर पर कंपनी के शेयर का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 17 गुना के स्तर पर और वित्त्तीय वर्ष 2010 में अनुमानित आय से 14 गुना के स्तर पर हो रहा है।
मारुति सुजुकी
देश की सबसे बडी यात्री कार कंपनी मारुति सुजुकी के शेयर की कीमत इस समय अपने 52 हफ्तों की ऊंचाई से आधी कीमत पर है। कंपनी ने अक्टूबर 2007 में 1,252 रु पर अपनी अधिकतम ऊंचाई को छुआ था। कंपनी के शेयर का कारोबार इस समय 13 से 17 गुना के स्तर पर हो रहा है। लेकिन बाजार में मंदी आने की वजह से इसका कारोबार इस समय महज आठ गुना के स्तर पर हो रहा है। मारुति की कीमतों में करेकशन की वजह लागत में आने वाली बढ़ोतरी रही है। कंपनी को कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि नई लांचिंग की वजह से कंपनी को अपनी ग्रोथ को बरकरार रखने में मदद मिलेगी। मानेसर प्लांट में विस्तार से कंपनी को अपना निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। कंपनी अपने ग्राहकों के लिए छोटी कारों का निर्माण करने भी जा रही है। अनुमान के तौर पर कंपनी सुजुकी मोटर को एक लाख इकाइयों का निर्यात करेगी जबकि निशान को कंपनी 50,000 इकाइयों की सप्लाई करेगी।
अपनी क्षमताओं के प्रसार से भी कंपनी को अपना मार्जिन बढ़ाने में मदद मिलेगी। नई लांचिंग और प्रसार से कंपनी को भरोसा है कि वह वित्तीय वर्ष 2011 तक घरेलू बाजार में दस लाख कारों की बिक्री कर लेगी। कंपनी का वॉल्यूम ग्रोथ के अगले तीन सालों में 12 फीसदी के हिसाब से बढ़ने की संभावना है। निवेशक मौजूदा बाजार हालात को अपने हित में इस्तेमाल कर सकते हैं।