कोयल वर्मा (बदला हुआ नाम) पर इस साल मई में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा, जब उनके पति चंदन (बदला हुआ नाम) की कोविड-19 से मौत हो गई। निजी स्कूल की प्राचार्या कोयल के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गईं। लेनिक देनदारियां चुकाने, दो बच्चों को पालने और उनका भविष्य सुरक्षित करने के लिए परिवार की वित्तीय कमान उन्हें ही अपने हाथ में लेनी होगी।
हालात का लें जायजा
ऐसी कठिन चुनौती का सामना कर रहे लोगों को सभी जरूरी वित्तीय दस्तावेज सहेजने होंगे और पति की संपत्ति, देनदारी, बीमा पॉलिसी तथा बैंक खातों की स्थिति जाननी होगी। एमबी वेल्थ फाइनैंशियल सॉल्यूशन के संस्थापक एम बर्वे कहते हैं, ‘महीने भर के भीतर ही संपत्ति और देनदारियों को अच्छी तरह समझ लें। पति के पास कोई जीवन बीमा पॉलिसी हो तो दावा करने में देर नहीं करें। आपको परिसंपत्तियां भी अपने नाम करानी होंगी।’
आपात कोष
पति या पत्नी में से कोई एक ही रह जाए तो आपात जरूरत के लिए छह महीने के मासिक खर्च के बजाय 12 महीने के मासिक खर्च के बराबर रकम खाते में सहेज लें।
ऋण
अगर वित्तीय संस्थान कर्ज चुकाने के लिए कहते हैं तो अपने पास मौजूद कागजात पर नजर जरूर डालें। इससे पता चल जाएगा कि उनके दावे सही हैं या नहीं। लक्ष्मी की संस्थापक और आनंद राठी शेयर ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स में प्रबंध निदेशक एवं प्रवर्तक प्रीति राठी गुप्ता कहती हैं, ‘आपने कर्ज में गारंटी ली थी, सह-आवेदक थे या कानूनी वारिस हैं तो बैंक या वित्तीय संस्थान गिरवी रखी परिसंपत्तियां या जमानत के तौर पर ली गई रकम सेऋण वसूलेंगे या आपसे मांगेंगे।’ गुप्ता के अनुसार जो लोग भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं उन्हें कर्जदाताओं के साथ ऋण पुनर्गठन को लेकर चर्चा करनी चाहिए। जीवन बीमा के दावे से प्राप्त रकम का इस्तेमाल आवास ऋण चुकता करने में करें। बर्वे कहते हैं, ‘इससे कम से कम आपके पास सिर छिपाने के लिए जगह तो रहेगी।’ इसके बाद रकम बच जाती है तो इसे बच्चों की शिक्षा या अपने सेवानिवृत्ति कोष के लिए बचा कर रखें।
जीवन बीमा
अगर कोई भी वित्तीय रूप से आप पर निर्भर नहीं है तो जीवन बीमा पॉलिसी लेने की जरूरत नहीं है। फिर भी खरीदनी हो तो अपने सालाना खर्च की 12 से 15 गुना रकम का टर्म बीमा या सालाना आय एवं कुल देनदारियों की 8 से 10 गुना बीमित रकम वाली पॉलिसी लें। गुप्ता कहती हैं, ‘पॉलिसी दो लोगों के नाम है तो किसी एक की मौत होने की खबर बीमा कंपनी को जरूर दें। मृत्यु प्रमाणपत्र सौंपने के बाद खुद को प्राथमिक पॉलिसीधारक बनाने का अनुरोध करें।’ अगर पति ने इम्प्लॉयीज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम (ईडीएलआई) या नियोक्ता द्वारा दिया गया समूह बीमा लिया हो तो इसके भी दावे जरूर करें।
स्वास्थ्य बीमा
अगर आपके परिवार में एक वयस्क और दो बच्चे हैं तो नियोक्ता द्वारा मिले कवर के अतिरिक्त 15 से 20 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा खरीदें। बीमा कंपनी को पति की मौत की सूचना दें ताकि फैमिली फ्लोटर पॉलिसी के प्रीमियम की दर दोबारा निर्धारित की जा सके। स्वास्थ्य बीमा के साथ क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी (गंभीर बीमारी होने पर वित्तीय लाभ देने वाली बीमा पॉलिसी) और एक दुर्घटना सह विकलांगता (डेथ-कम-डिजेबिलिटी कवर) पॉलिसी जरूर लें।
निवेश
अगर आपके परिवार में एक ही कमाऊ सदस्य रह गया है तो जोखिम लेने की क्षमता स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है। बर्वे कहते हैं, ‘आपकी जिम्मेदारियां भी बढ़ जाएंगी और अपने निवेश पर नजर रखने के लिए आपके पास समय भी नहीं बचेगा।’ ऐसे में शेयरों से निवेश निकाल कर म्युचुअल फंडों में लगाने पर विचार करें। केवल डेट फंडों में ही सारी रकम लगाने की जरूरत नहीं है।
अगर पर्याप्त रकम है और आय अच्छी है तो थोड़ा अधिक आक्रामक लेकिन सतर्क दांव खेल सकते हैं। यानी दीर्घ अवधि के लिए शेयरों में निवेश कर सकते हैं। गुप्ता कहती हैं, ‘विभिन्न लक्ष्यों के लिए अलग पोर्टफोलियो तैयार करें और प्रत्येक लक्ष्य की अवधि को ध्यान में रखते हुए निवेश योजनाओं का चयन करें।’
जायदाद/निवेश प्रबंधन
विभिन्न जायदाद /निवेश योजनाओं में नामित व्यक्ति अलग-अलग रखें। धन एवं कर सलाहकार इकाई फिंटू के संस्थापक मनीष पी हिंगर कहते हैं, ‘पहले आपके पति आपके सभी निवेश में नॉमिनी रहे होंगे। अब इसमें अपने बच्चों का नाम जोड़ दें।’ वसीयत तैयार करना नहीं भूलें। डीएसके लीगल में पार्टनर अंजन दासगुप्ता कहते हैं, ‘इससे आपके बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहेगा। वसीयत तैयार करने से आपको अपने नाबालिग बच्चों के लिए एक अभिभावक की पहचान और उसकी नियुक्ति करने में मदद मिलेगी।’