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मंदड़ियों की पकड़

Last Updated- December 07, 2022 | 2:46 PM IST

वैश्विक गिरावट और अमेरिकी मार्गेज संकट के कारण पिछले छह महीनों से भारतीय शेयरों पर गिरावट का दवाब बना हुआ है और नतीतजन हमें बाजार में मंदी का माहौल ही देखने को मिला है।


इस साल 10 जनवरी को निफ्टी के अब तक के अपने सबसे ऊंचे स्तर 6,347 अंकों पर पहुंचने के बाद से इसमें कुल 40 फीसदी की गिरावट देखने को मिली और निफ्टी इस वक्त 3,790 अंकों के स्तर पर है। जाहिर है कि अगले यह सवाल हर किसी के दिमाग में होगा कि अगले छह महीनों में बाजार किस ओर रुख करता है। सो बेहतर यह है कि इस सवाल को छोटे छोटे हिस्सों में तोड़ कर जवाब ढूंढ़ने की हम कोशिश करें।

फिर से अवलोकन हम करें तो हम मंदी से भरे बाजार के निम्नलिखित गुण देख पा रहे हैं। पहला यह कि निफ्टी फिर से 40 फीसदी गिरकर अपने 20 महीनों के सबसे न्यूनत्तम स्तर पहुंच गया है। इसके अलावा यह अपने 200 दिनों वाले मूविंग एवरेज यानी डीएमए से काफी नीचे 4,750 अंकों के स्तर पर है। इसके अलावा हमें कमजोर ब्रेथ के भी बिल्कुल सुनिश्चित संकेत मिले हैं। छोटे शेयरों ने निफ्टी और सेंसेक्स दोनों को सही से प्रदर्शन नही करने दिया है। इक्विटी वॉल्यूमों की बात करें तो इनमें भी गिरावट आई है।

जनवरी में जहां निफ्टी में औसतन 19,500 रुपये का कारोबार हो रहा था वहीं यह जून में गिरकर 12,500 करोड़ के स्तर पर आ गया। वायदा एवं विकल्प की भी बात हम करें तो इसमें भी गिरावट देखने को मिली है। उतार-चढ़ाव बढ़ा है और संस्थागतों के नजरिए भी नकारात्मक ही रहे हैं। जिसका नतीजा रहा है कि इनकी ओर से ज्यादा बिकवाली ही की गई है। घरेलू संस्थागतों की बात करें तो यह खासे सतर्क रहे हैं जबकि आईपीओ बाजार में जबरदस्त रूप से गिरावट ही देखने को मिली है। क्योंकि मार्च के बाद से केवल 26 नए लिस्टिंग ही दर्ज हुए हैं।

ये सारी चीजें अचानक ही नहीं हुई हैं और न ही एक साथ ही घटित हुई हैं। लेकिन यहां बात निराश होने की नहीं बल्कि खतरे की जद से कैसे बाहर निकला जाए इस पर हमें ध्यान केंद्रित करना होगा। ब्रेथ के द्वारा कीमतों के बदलाव अनिश्चित तो हैं ही इसके बरकरार रहने के भी आसार कम ही हैं। अगर हम शुध्द तकनीकी शब्दों में बात करें तो सपोर्ट और रेसिस्टेंस को पढ़ पाना वाकई मुश्किल है क्योंकि बाजार ने पिछले दो सालों में 3,700 से 6,000 अंकों के बीच कारोबार किया है।

फिर भी हम यह कह सकते हैं कि 200 डीएमए एक अहम रेसिस्टेंस लेवेल होगा। जो गिरावट के रूख को दर्शाएगा और 4,750 से 5,100 अंकों के दरम्यान कारोबार करेगा। जबकि किसी और प्रकार के रिर्वसल 200 डीएमए को निश्चित तौर पर स्पष्ट करेगा। लिहाजा यह पूरा इलाका 4,750 से 5,150 अंकों के बीच तेजरिए और मंदरिए के दरम्यान घूमता रहेगा।

उछाल की सीमा

200 डीएमए के बाद भी बाजार का इतिहास 6,000 के अंकों पर कंजेशन यानी सपोर्ट स्तर से कम और रेसिस्टेंस स्तर से ज्यादा या इसके उलट का भी रहा है। लिहाजा जो सबसे अहम स्तर है जिस पर बाजार को सपोर्ट मिल सकता है वह 5,500 -5,700 अंकों का है। यह वह स्तर है जिस पर पहले भी बाजार को सपोर्ट मिला है और कई मौकों पर रेसिस्टेंस हुआ है।

लिहाजा यह एक काफी बड़ा रेसिस्टेंस होगा और अगले छह महीनों में बढ़त के बिल्कुल निरपेक्ष सीमाएं हैं। यहां तक कि 4,800 के अंकों का स्तर पाना भी एक उपलब्धि ही होगी जो एक बेहतर माहौल के निर्माण में मददगार साबित होगा। लेकिन सबसे बड़ी समस्या बाजार से मंदी का दौर खत्म होने की है कि यह दौर इस साल खत्म होता है या नही।  मालूम हो कि बाजार में मंदी का यह दौर देर जनवरी से शुरू हुआ था और जिसने 42 महीनों से बाजार में जारी तेजी के रूख को बदलकर रख डाला है।

हालांकि समय के शब्दों में देखा जाए तो मंदरिए भी काफी समय तक  बरकरार रहने की स्थिति में नही हैं। इसका उदाहरण हमें मई 2004 में देखने को मिला था जब निफ््टी में 1,300 के स्तर पर 390 अंकों का उछाल देखने को मिला था। फिर भी इसे नजरअंदाज नही किया जा सकता क्योंकि छोटी अवधि के ही मंदरिए बाजार को फिर से मंदी के माहौल में पहुंचाते नजर आ रहे हैं। मालूम हो कि बाजार की पिछली सबसे बड़ी मंदी फरवरी 2000 से 2003 के अवधि में खत्म हुई थी जो कुल 39 महीनों तक चली थी और आईटी बूम के बीच 49 फीसदी की गिरावट यानी रिट्रैक्शन हुई थी।

जबकि सबसे बड़े रिट्रैक्शन की बात करें तो यह अप्रैल 1992 और 1993 के बीच देखने को मिला था जिस दौरान मार्केट कैप का कुल 67 फीसदी शेयर रिट्रैक्ट हुआ था। यानी अपने फिर से पहले वाले स्थिति में शेयर पहुंच गए थे। ऐसा  उस साल हुए शेयर घोटालों के कारण देखने को मिला था। जबकि एक कम अवधि वाले मंदी भरे बाजार रुझान की बात करें तो बाजार इससे ज्यादा तेज गिरावट देखता प्रतीत हो रहा है। जबकि खरीदारी का दौर वैल्यूएशनों के आकर्षक होने पर देखने को मिलते हैं। अगर कीमतों मे जबरदस्त तरीके से गिरावट तुरंत देखने को मिलती है तो फिर कमाईऔर वैल्यूएशनों को  फिर से बढ़त पाने में थोड़ा वक्त लगेगा।

गिरावट की सीमाएं

अगर आप फिबोनैकी विश्लेषण करें तो पाएंगे कि 38 फीसदी का रिट्रैक्शन देखने को मिल सकता है। जबकि अगला रिट्रैक्शन लेवेल 3,200 के अंक पर 50 फीसदी का जबकि 2,400 पर 62 फीसदी का हो सकता है। अगर समय अवधि की बात की जाए तो बीयर बाजार छह महीनों तक चला था जबकि तेजी के दौर में कुल 42 महीनों तक चला था। लिहाजा सपोर्ट लेवेल की बात हम करें तो यह 3,800 अंकों पर मिलेगा। और अगर शुद्ध तकनीकी शब्दों में बात की जाए तो अगर 3,800 के स्तर पर टूटता है तो फिर अगला स्तर 3,200 अंकों का होगा। जबकि गिरावट भरे समय की बात करें तो यह फिलहाल कई महीनों तक जारी रहेगा।

संभावना मंदी की

इन तमाम प्रकार के परिदृश्यों के बीच मंदी भरे माहौल की संभावना है कि यह उभर कर सामने आए। मुझे ऐसा लगता है कि हमें अगले छह महीनों तक मंदी का माहौल ही देखने को मिले क्योंकि अभी भी राजनीतिक अनिश्चतता जारी है। साथ वैश्विक संकेत भी सकारात्मक नही हैं। लिहाजा अगर हम इस माहौल में रहे तो फिर उच्चतम अंक 4,750 का होगा जबकि 3,200 न्यूनतम और 3,800 पर एक बढ़िया सर्पोट मिलेगा। लिहाजा हमारा अनुमान यह कहता है कि उच्चतम स्तर का रेंज 4,800-5,600 के इर्द-गिर्द रहेगा।

अनुमानों के विकल्प

हमारे पास बाजार को मूल्यांकित करने का एक दूसरा तरीका भी है।  दिसंबर 2008 में बहुत सारे ओपन इंट्रेस्ट यानी ओआई दर्ज हुए थे। दिसंबर वॉल्यूमों के लिहाज से काफी अहम था जब 5000 पुट(782 प्रीमियम) और 5,000 कॉल(124) के स्तर पर था। इस प्रकार अहम ओआई के साथ सबसे कम पुट 3,500(145प्रीमियम) था जबकि सबसे उच्चतम कॉल दिसंबर 5,500सी (45) था। लिहाजा ब्रेकइवेन अगर ज्यादा आशावादी हुआ जाए तो यह 3,350 और 5,550 के स्तर पर संभव है। जबकि इस बारे में बहुमत का कहना है कि ब्रेकइवेन प्वाइंट 4,200-5,125 के स्तर पर संभव है।

मंदी में रहने वाले सेक्टर

आईटी, बैंकिंग दो ऐसे सेक्टर हैं जिनपर नजर रखने की दरकार है। कहने का मतलब है कि बैंक निफ्टी और सीएनएक्सआईटी पर खासा ध्यान रखने की जरूरत है। क्योंकि आईटी का सीधा संबंध निर्यात से है जबकि बैंकिंग से पूरी आर्थिकी जुड़ी हुई है। जबकि दोनों ही सेक्टर इस साल बेहतर प्रदर्शन कर पाने में नाकाम साबित रहे हैं। लिहाजा आने वाले समय में बाजार के फिर से तेजी वाले स्थिति में आने के संकेत कम ही हैं।

निष्कर्ष

बाजार में अगर मंदी बरकरार रहती है तो फिर हम बाजार के 3,200-4,800 के बीच कारोबार करने की उम्मीद कर सकते हैं। जबकि इस बात की पूरी संभावना है कि इसे 3,800 के स्तर पर सपोर्ट मिले। साथ ही सीमित दायरे में कारोबार 3,800-4,800 के स्तर पर देखने को मिल सकता है। अगर बाजार में फिर से ऊपर उठता है तो फिर यह 5,600 के स्तर तक पहुंच सकता है। फिर भी अगले छह महीनों के दौरान मंदी भरे बाजार के सीमित दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है।

First Published - August 4, 2008 | 12:23 AM IST

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