वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव विवेक जोशी ने बुधवार को फिनटेक कंपनियों से अनुरोध किया कि वे अपनी डिजिटल पहुंच के आधार पर सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए ऋण आकलन मॉडल विकसित करने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की मदद करें।
जोशी ने सुझाव दिया है कि बैलेंस शीट या एमएसएमई के द्वारा दाखिल रिटर्न के बजाय नए मॉडल में एमएसएमई, खासकर सूक्ष्म और अत्यंत सूक्ष्म उद्यमों द्वारा तैयार किए गए डिजिटल फुटप्रिंट पर ध्यान दिया जाना चाहिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025 के बजट में सरकारी बैंकों से कहा था कि वे नया ऋण आकलन मॉडल तैयार करें, जो एमएसएमई के डिजिटल फुटप्रिंट पर आधारित हो।
उन्होंने कहा था, ‘केवल परिसंपत्ति या टर्नओवर के मानदंड के आधार पर ऋण की पात्रता के पारंपरिक मूल्यांकन की तुलना में यह महत्त्वपूर्ण सुधार साबित हो सकता है। यह औपचारिक अकाउंटिंग व्यवस्था न रखने वाले एमएसएमई को कवर करेगा।’
फिक्की की एक फिनटेक कॉन्फ्रेंस में जोशी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि बैंकों की डिजिटल ऋण देने की क्षमता बढ़ाने में मदद पहुंचाने के मामले में फिनटेक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। मैं फिनटेक से अनुरोध करता हूं कि वे ऋण आकलन मॉडल तैयार करने और इसे लागू करने में बैंकों की मदद करें।’ जोशी ने जोर दिया है कि बैंकों की चुनौतियों का समाधान करने के लिए काम करते समय फिनटेक को नियामकीय जरूरतों और नवोन्मेष में संतुलन बनाए रखने पर ध्यान देना होगा।