मार्च 2025 के आखिर तक कुल मिलाकर गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र (एनबीएफसी) की संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वहीं एनबीएफसी-माइक्रोफाइनैंस संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) में गिरावट आई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चेतावनी दी है कि आगे चलकर माइक्रोफाइनैंस ऋणों के प्रदर्शन पर बारीकी से निगरानी की आवश्यकता है।
इसके अलावा रिजर्व बैंक ने जोर दिया है कि एनबीएफसी को अपने धन के स्रोतों में विविधता लाना जारी रखने की जरूरत है। साथ ही इन्हें समावेशी विकास और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपनी विकास आकांक्षाओं को ठोस और निष्पक्ष प्रथाओं के साथ संतुलित करना चाहिए। उन्हें प्रौद्योगिकी और साइबर संबंधी उभरती चुनौतियों के प्रति भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। साथ ही ग्राहकों की शिकायतों का तुरंत समाधान करने की भी सलाह दी गई है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक एनबीएफसी- माइक्रोफाइनैंस संस्थानों (एमएफआई) की संपत्ति की गुणवत्ता घटी है।
उनका सकल गैर निष्पादित संपत्ति (जीएनपीए) अनुपात मार्च 2025 के अंत में बढ़कर 4.1 प्रतिशत हो गया है, जो एक साल पहले 2 प्रतिशत था। वहीं शुद्ध गैर निष्पादित संपत्ति(एनएनपीए) अनुपात बढ़कर 1.2 प्रतिशत हो गया है, जो इसके पहले की समान अवधि में 0.6 प्रतिशत था।
इस गिरावट की वजह आंतरिक दबाव और वसूली में आ रही चुनौतियों को बताया गया है। सितंबर 2025 के अंत में एनबीएफसी क्षेत्र के जीएनपीए और एनएनपीए अनुपात मार्च 2025 के अंत के समान स्तर पर बने रहे। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘माइक्रोफाइनैंस सेक्टर के लिए 2022 में संशोधित नियामक ढांचा पेश किया गया, जिसमें ब्याज दर की सीमा समाप्त कर दी गई और मानकीकृत नियम से क्षेत्र के व्यवस्थित और सतत विकास की राह बनाई गई। माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) और सा-धन के सुरक्षा उपायों से इस क्षेत्र को सुव्यवस्थित तरीके से बढ़ने में मदद मिली।’
आगे चलकर नियमन में आने वाली इकाइयों इस खंड में दबाव बनने की स्थिति की निगरानी करने की जरूरत है। इसमें कहा गया है कि पूरे क्षेत्र की परिसंपत्ति की गुणवत्ता में 2024-25 में और सुधार हुआ है। जीएनपीए अनुपात मार्च 2024 के अंत के 3.5 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2025 के अंत में घटकर 2.9 प्रतिशत था।