सेंसेक्स में 30 प्रतिशत की गिरावट, ऋण से मिलने वाला रिटर्न महंगाई दर के आंकड़ों से नीचे गिर रहा है… सभी इसी बात की ओर संकेत कर रहे हैं कि आज पैसा बनाना मुश्किल ओर मुकिश्ल है।
ऐसे अनिश्चितताओं भरे समय में सोना ही ऐसी योजना है जिसमें निवेश को अच्छा रिटर्न मिल रहा है। उदाहरण के लिए: सोने की कीमतें 1 जनवरी, 2007 में 9,175 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर इस जुलाई में 12,500 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गईं। इस साल में सोने की कीमतें 13,500 रुपये के आंकड़े को कई बार छू गईं।
और गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) जिसे शेयर बाजार में सीधे खरीदा-बेचा जा सकता है ने निवेशकों को 41.67 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया। पिछले तीन महीनों में रिटर्न लगभग 9.98 प्रतिशत तक बने हुए हैं। यहां कुछ तरीके बताए जा रहे हैं कि गोल्ड ईटीएफ से किस तरह अधिक रिटर्न कमाया जाए।
शुरुआत करने वालों के लिए वे ऐसा फंड चुने जो प्रबंधन के तहत परिसंपत्ति के लिहाज से काफी बड़े हों, क्योंकि इनमें कम खर्च होने की उम्मीद है। साथ ही लगातार ट्रेडिंग (खरीद-फरोख्त) न करते रहें। इसके पीछे कारण यह है कि हर सौदे पर ब्रोकरेज शुल्क लगता है, जिससे रिटर्न कम हो जाता है। इसकी तरफ आप लंबे समय के लिए किए गए निवेश की तरह देखें। इसके बाद आप एक ईटीएफ, जिसमें ट्रैकिंग एरर काफी कम होना चाहिए का चुनाव करें।
ट्रैकिंग एरर से हमारा मतलब ईटीएफ और उसके बेंचमार्क इंडेक्स की कीमतों में अंतर से है। जहां तक गोल्ड ईटीएफ कीमतों की बात है तो ये बाजार कीमतों को जरूर प्रदर्शित करती हों। अपनी खरीद और फरोख्त का समय इस तरह से निर्धारित करें कि आपको सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा मिल सके। शेयर बाजार में सेंसेक्स और एनएसई-निफ्टी की गतिविधियों पर नजर रखें। जब आप खरीदने लगें तो आप 5 हजार रुपये और उसके गुणकों से शुरुआत कर सकते हैं।
साथ ही फायदा तो तब है जब आप गोल्ड ईटीएफ सूचीबध्द होने के बाद खरीदें। इससे आपका खर्च कम हो जाएगा। जहां फंड अपनी नई फंड पेशकश पर 1.5-2.5 प्रतिशत चार्ज करते हैं, ब्रोकर आपके लेन-देन की कीमत का 0.5 से लेकर 0.75 प्रतिशत तक चार्ज करते हैं। अपनी इकाइयों की गणना सही तरीके से करें। अगर आप गोल्ड ईटीएफ में कारोबार करना चाहते हैं, इसके लिए अहम है कि आप सही दिन चुनें। कितनी संख्या में एक दिन में लेन-देन किया गया है, यह सबसे बढ़िया तरीका है सही दिन चुनने का। आप ऐसा दिन चुनें जिस दिन सबसे ज्यादा लेन-देन किया गया हो।
कुछ ऐसी परिस्थितियां जब ब्रोकर से इकाइयां खरीदने में फायदा होता है:
जब खरीदने और बेचने की कीमत में ज्यादा अंतर ना हो, आप ब्रोकर से कुछ इकाइयां खरीद सकते हैं, क्योंकि वे सस्ते रहेंगे।
अगर नए फंड की पेशकश (एनएफओ) और सूचीबध्द होने के बीच समय काफी ज्यादा हो और आप रुक न पाएं, तब आप ब्रोकर के जरिये कुछ इकाइयां खरीद सकते हैं। इसमें 15 से 30 दिन सूचीबध्द करने की घोषणा में लग सकते हैं।
जब सोने के बाजार में उतार-चढ़ाव चल रहा हो और जब आवंटन तिथि और सूचीबध्द होने के बीच धातु की कीमत बढ़ रही हो, आपको नुकसान हो सकता है। ऐसी स्थिति में आप ब्रोकर के जरिये निवेश कर अपना बचाव कर सकते हैं।
साथ ही अन्य खर्च पर ही अपनी नजर बनाए रखें। कई मामलों में गोल्ड ईटीएफ खर्च चार्ज कर सकता है, जैसे कि निवेश प्रबंधन शुल्क (1.25 प्रतिशत), ट्रस्टी शुल्क (0.01 प्रतिशत), एजेंट के जरिये पंजीकरण (0.50 प्रतिशत) और अभिरक्षण शुल्क (0.50 प्रतिशत) आदि। कई बार ‘अन्य’ के तहत भी (0.04 प्रतिशत) शुल्क लिया जाता है। आगे इसमें से निकले के लिए निकासी शुल्क होता है, जो 3 प्रतिशत तक हो सकता है। जहां तक कर की बात है, निवेशक को 14 प्रतिशत का लाभांश वितरण कर देना होता है। सबसे अहम एक साल से कम अवधि में इससे न निकले, क्योंकि इससे आपको अल्पावधि पूंजी लाभ कर भी देना होगा।
प्रवेश शुल्क का असर
गोल्ड ईटीएफ में निवेश = 20,000 रुपये
आवंटन पर कीमत = 1,000 रुपये
प्रवेश शुल्क = 1.5 प्रतिशत
इसलिए एक इकाई की कीमत =
1 हजार + 1.5 प्रतिशत = 1,015 रुपये
इकाइयों की संख्या = 20,000 1,015 = 19.70 इकाइयां