वाणिज्यिक बैंकों को संसाधन यानी जमा और निवेश के रूप में रकम हासिल करने के लिए म्युचुअल फंडों से कड़ी टक्कर मिल सकती है क्योंकि बचतकर्ता अब वित्तीय रूप से ज्यादा साक्षर हो गए हैं और म्युचुअल फंड की अहमियत समझने लगे हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में दिग्गज बैंकर केवी कामत ने आज यह राय रखी।
समिट के पहले दिन कई वक्ताओं ने महामारी के बाद अर्थव्यवस्थाएं पटरी पर लौटने का भरोसा जताया और उन्हें इसमें निरंतर सुधार दिख रहा है। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो गई है।
म्युचुअल फंड उद्योग की वृद्धि पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कामत ने कहा कि जमाकर्ता अपना पैसा म्युचुअल फंडों में लगा रहे हैं क्योंकि वहां उन्हें बैंक की सावधि जमाओं की तुलना में बेहतर रिटर्न मिल रहा है।
हालांकि आंकड़े बताते हैं कि महामारी के बाद ऊंची मुद्रास्फीति के कारण काफी समय तक जमाकर्ताओं का वास्तविक रिटर्न ऋणात्मक रहा। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर 250 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी किए जाने के बाद और मुद्रास्फीति में थोड़ी नरमी आने से इस साल की शुरुआत से वास्तविक रिटर्न सकारात्मक हुआ है।
आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व मुख्य कार्याधिकारी और फिलहाल जियो फाइनैंशियल के गैर-कार्यकारी चेयरमैन कामत को देश में खुदरा ऋण के साथ ईएमआई संस्कृति लाने का श्रेय दिया जाता है। कामत नैशनल बैंक फॉर फाइनैंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट के भी चेयरमैन हैं।
समिट का उद्घाटन करते हुए कामत ने कहा, ‘म्युचुअल फंड उद्योग का उभार तय था क्योंकि बाजार अब म्युचुअल फंड को धीरे-धीरे समझने लगा है।’ उन्होंने कहा कि ये निवेश के कुछ साधन हैं जो सही मायने में आपको दीर्घावधि में मदद कर सकते हैं और बैंक की तुलना में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
दिग्गज बैंकर केवी कामत ने कहा कि फिनटेक फर्में नई और किफायती प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही हैं, जिसका मुकाबला करने में बैंक सक्षम नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘आपके पास ऐसी फिनटेक कंपनियां हैं, जो शानदार प्रौद्योगिकी पर चलती हैं। फिर आप उनकी तुलना मौजूदा बैंकों के साथ करते हैं, जिन्हें अपने कारोबार को उस स्तर तक बढ़ाने में अब भी कठिनाई हो रही है।’
मगर कामत ने कहा कि बैंकों की बढ़ती सुदृढ़ता से पूंजी के मामले में उनकी मजबूत स्थिति का पता चलता है। उन्होंने कहा, ‘बैंकों में इस तरह की समरूपता पहले न तो भारत में और न ही विदेश में कभी देखी गई। बैंक लगातार उच्च पूंजी पर्याप्तता बनाए हुए हैं और उनकी संपत्ति की गुणवत्ता भी बेहतर बनी हुई है।’
वर्ष 2018 में बैंकों का सकल एनपीए बढ़कर 11.5 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गया था लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें कमी आई है। 31 मार्च, 2022 को सकल एनपीए दशक के सबसे निचले स्तर 3.9 फीसदी रह गया था। बैंकों का मुनाफा भी पहले की तुलना में बढ़ा है और वे बाजार से पूंजी भी जुटा रहे हैं। इससे बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात मार्च 2023 में 17.1 फीसदी के सर्वकालिक स्तर पर पहुंच गया।
कामत ने कहा कि बैंकों की वित्तीय स्थिति में दिख रहा सुधार प्रभावी संचालन का सीधा नतीजा है। उन्होंने कहा कि बैंक पहले की तुलना में ज्यादा शुद्ध ब्याज मार्जिन अर्जित कर रहे हैं। कामत ने कहा कि शुद्ध ब्याज मार्जिन काफी ज्यादा है और बैंक 8 से 9 फीसदी ब्याज दर पर ऋण आवंटित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम पिछली तिमाही के आंकड़ों पर विचार करें तो बड़े बैंकों का औसत शुद्ध ब्याज मार्जिन 4.5 फीसदी रहा है। कामत ने भारत में ऊंची जमा दरों के पीछे उच्च महंगाई और ऊंचे मार्जिन को कारण बताया।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था 6, 7 या 8 फीसदी की दर से बढ़ रही है लेकिन कुछ बैंक 15 फीसदी और कुछ 12 फीसदी की दर से वृद्धि कर रहे हैं। 2020 में कोविड महामारी के दौरान कामत एक विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता कर रहे थे। इस समिति का गठन भारतीय रिजर्व बैंक ने ऋण पुनर्गठन पर अनुशंसा के लिए किया था।
कामत ने कहा कि शुरू में उन्होंने 9.5 लाख करोड़ रुपये के ऋण पुनर्गठन का अनुमान लगाया था। कामत ने कहा कि रेटिंग एजेंसियों और बैंकिंग क्षेत्र के अनुसार 9.5 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का पुनर्गठन होने का अनुमान लगाया गया था मगर वास्तविक ऋण पुनर्गठन अनुमानित राशि का केवल 5 फीसदी ही हुआ।
कामत ने बैंकों से तकनीक अपनाने की सलाह देते हुए कहा कि सीईओ को तकनीकी विशेषज्ञ होने की जरूरत नहीं है बल्कि उन्हें प्रौद्योगिकी में नित नए हो रहे बदलाव से वाकिफ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी बेहद महत्त्वपूर्ण साबित हो रही है और उन्होंने उद्योग में इसे अपनाने को लेकर लगातार संवाद जारी रखने की जरूरत पर भी जोर दिया।