बॉन्ड बाजार के हिस्सेदारों का अनुमान है कि ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) नीलामी नवंबर के पहले सप्ताह में हो सकती है, क्योंकि सरकार द्वारा खर्च बढ़ाने और सरकार के बॉन्डों की परिपक्वता के कारण बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की स्थिति सुधरने की संभावना है।
बाजार के हिस्सेदारों को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ओएमओ बिक्री की अधिसूचना 31 अक्टूबर तक जारी कर सकता है। उनका अनुमान है कि केंद्रीय बैंक 10,000 करोड़ रुपये के कई खंडों में नीलामी का आयोजन कर सकता है। यह राशि 50,000 से 70,000 करोड़ रुपये के बीच रहने की संभावना है। नीलामी में बॉन्डों की अवधि 5 से 7 साल के बीच रहने की संभावना है।
सरकार के मालिकाना वाले बैंक से जुड़े डीलर ने कहा, ‘ओएमओ नीलामी नवंबर के पहले सप्ताह में होने की उम्मीद है क्योंकि उस समय तक व्यवस्था में 1 लाख करोड़ रुपये से 1.5 लाख करोड़ रुपये के बीच नकदी आने की संभावना है।’ उन्होंने कहा कि बाजार 10,000 से 12,000 करोड़ रुपये नकदी की कमी की स्थिति में सहज है।
नवंबर में सरकार के 1.4 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड परिपक्व होने को हैं। इसमें से 53,925 करोड़ रुपये के बॉन्ड नवंबर के पहले सप्ताह में परिपक्व होंगे।
मौद्रिक नीति संबंधी बयान में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि नकदी बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक ओएमओ कर सकता है। केंद्रीय बैंक ने ओएमओ बिक्री के लिए कोई समयसीमा नहीं तय कर रखी है और कहा है कि यह चल रही नकदी की स्थिति पर निर्भर करेगा।
नकदी की तंगी और बाजार में अनिश्चितता को देखते हुए ट्रेडर्स दीर्घावधि बॉन्डों में दिलचस्पी बढ़ा रहे हैं। कारोबार मुख्य रूप से लंबी अवधि के पेपर्स पर केंद्रित है क्योंकि बैंकिंग व्यवस्था में नकदी घाटे की स्थिति में चल रही है। गुरुवार को केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग व्यवस्था में 94,365 करोड़ रुपये नकदी डाली थी।
निजी बैंक के डीलर ने कहा, ‘कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार में मात्रा कम अवधि की ओर केंद्रित है क्योंकि वे ज्यादा लिक्विड हैं और ज्यादातर एएए सेग्मेंट में हैं। गवर्नमेंट बॉन्ड सिक्योरिटी दीर्घावधि केंद्रित है, खासकर दीर्घावधि 10 साल के मानक बॉन्ड की मांग ज्यादा है।’
बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि आरबीआई ने अगले गुरुवार और शुक्रवार को कोषागार प्रमुखों के साथ बैठक आहूत की है, जिससे बाजार में चल रही गतिविधियों के बारे में फीडबैक ली जा सके।