गुरुवार को बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में कई जीवन बीमा कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जीवन बीमा योजनाओं के ग्राहकों को अधिकतम लाभ दिलाने के लिए यह जरूरी है कि पर्सिस्टेंसी रेशियो (बीमा कंपनी के पास लगातार नवीकृत हाने वाली पॉलिसी का अनुपात) मौजूदा स्तर से ऊंचा बनाए रखना होगा।
पर्सिस्टेंसी रेशियो एक ऐसा पैमाना है जिससे उन पॉलिसीधारकों की संख्या का पता चलता है जो अपना रिन्यूअल प्रीमियम लगातार चुकाते हैं। ऊंचे पर्सिस्टेंसी रेशियो को ऐसी बीमा योजना का संकेतक माना जाता है जो किसी ग्राहक की जरूरतें संतोषजनक तरीके से पूरी करती है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी एन एस कन्नन ने कहा, ‘ग्राहकों को पूरा लाभ दिलाने के लिए पर्सिस्टेंसी मौजूदा स्तर के मुकाबले ज्यादा होनी चाहिए। कोविड के दौरान, हमें ग्राहकों द्वारा समय पर भुगतान में अक्षमता की वजह से इसमें कुछ कमी देखने को मिली थी, लेकिन अब पर्सिस्टेंसी रेशियो कोविड-पूर्व स्तरों के मुकाबले फिर से बेहतर हो गया है।’
उन्होंने कहा, ‘किसी पारंपरिक उत्पाद के मामले में यह बेहद जरूरी होता है कि ग्राहक को पूरा लाभ पाने के लिए 90 प्रतिशत से ज्यादा पर्सिस्टेंसी रेशियो हो। इसी दिशा में प्रयास किया जा रहा है।’ महामारी से जीवन बीमा उद्योग ने कैसे मुकाबला किया, इस बारे में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रबंध निदेशक बी सी पटनायक ने कहा कि इस क्षेत्र की प्रतिक्रिया ने देश में आर्थिक सुधार में योगदान दिया था।
पटनायक ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यदि कुछ आर्थिक सुधार होता है तो इसका विश्लेषण किया जा सकता है और मैं मानता कि हम इसे जीवन बीमा उद्योग द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्य के तौर पर देखेंगे। इरडा के बयान से सामने आए आंकड़े 50,000 करोड़ रुपये तक के हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यह राशि निश्चित तौर पर देशवासियों को चुकाई गई थी और इससे अर्थव्यवस्था को मदद मिली। वह समय बेहद महत्वपूर्ण था और हमें कोविड जैसे हालात का प्रबंधन करना था। हमने जिलाधिकारियों तक पहुंच बनाई और उन्हें हमें कुछ नाम दिए। हमने सुनिश्चित किया कि सात दिन के अंदर क्लेम की राशि उनके खातों में पहुंचे।’
बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक मुख्य कार्याधिकारी तरुण चुघ के अनुसार, जहां महामारी से जीवन बीमा की महत्ता बढ़ गई और इसके बारे में जागरूकता तेज हुई, वहीं इससे जीवन बीमा कंपनियों को आत्मनिर्भर लोगों की जरूरत समझने में भी मदद मिली। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि हमें टर्म पॉलिसी के संदर्भ में ग्राहकों को जोड़ने में संघर्ष करना पड़ा था और इसके लिए हमें पुनर्बीमाकर्ताओं का सहारा मिला।’ महामारी से जीवन बीमा कंपनियों को जो प्रमुख सीख मिली, वह थी अनुकूल कंटीन्युटी प्लान की जरूरत।
एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी महेश कुमार शर्मा ने कहा, ‘हमने जो सबसे अच्छी बात सीखी, वह यह थी कि अच्छे व्यवसाय वाले कंटीन्यूटी प्लान कभी विफल नहीं होते। कोई नहीं जानता था कि ऐसा हो सकता है और किसी ने भी यह सोचा होगा कि चीजें इतनी कठिन हो सकती हैं।’