लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) का मुनाफा ज्यादातर छोटे ऋणों और एमएसएमई पर बढ़ते दबाव के कारण जून 2025 को समाप्त हुई पहली तिमाही (वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही) में प्रभावित हुआ। उनका शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 76.2 प्रतिशत गिरकर 309 करोड़ रुपये हो गया। शुद्ध लाभ में तेजी से गिरावट का प्रमुख कारण फंसे हुए ऋण की लागत में तेजी से वृद्धि और शुद्ध ब्याज आय में गिरावट है। एसएफबी ने बीते वर्ष वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में 1,300 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया था।
बीएस रिसर्च ब्यूरो ने आठ सूचीबद्ध एसएफबी के आंकड़ों का संकलन किया। एसएफबी का शुद्ध लाभ मार्च 2025 को समाप्त हुई तिमाही (वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में) की तुलना में 46.1 प्रतिशत गिरकर 573 करोड़ रुपये हो गया था। इनका संचालन लाभ सालाना आधार पर 8.5 प्रतिशत गिरकर 2,662 करोड़ रुपये और यह पिछली तिमाही वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही से 0.4 प्रतिशत गिरकर 2,674 करोड़ रुपये हो गया था।
ऋण लागत में प्रमुख तौर पर शामिल उपबंध और आकस्मिकताएं तेजी से बढ़कर (सालाना आधार पर 83.9 प्रतिशत) 2,282 करोड़ रुपये और मार्च 2025 को समाप्त हुई तिमाही की तुलना में 15.3 प्रतिशत बढ़कर 1,980 करोड़ रुपये हो गया। छोटे ऋण दाताओं की आमदनी का प्रमुख जरिया शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 7.0 प्रतिशत गिरकर 5,418 करोड़ रुपये हो गई। हालांकि विश्लेषण के मुताबिक पिछली वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही की तुलना में इस तिमाही में एनआईआई 2.9 प्रतिशत गिरकर 5,578 करोड़ रुपये हो गई।
बैंकों के विशेषतौर पर खुदरा खंड में बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋणों की नीतिगत ब्याज दरें ग्राहकों पर डालने से एनआईआई पर दबाव पड़ा था जबकि बैंकों ने जमा राशि का मूल्य फिर से तय किया। भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी से जून 2025 के दौरान नीतिगत ब्याज दर में 100 आधार अंक की कटौती कर दी है।