facebookmetapixel
Tata Steel के Q2 रिजल्ट के बाद ब्रोकरेज एक्टिव; मोतीलाल ओसवाल ने ₹210 का अपसाइड टारगेट दियाInfosys के ₹18,000 करोड़ के ‘बायबैक’ की रिकॉर्ड डेट आज: जानें निवेशक कब कर पाएंगे शेयर टेंडरGold Price Today: सोना ₹1.27 लाख के करीब, चांदी में 500 रुपये की तेजी; जानें ताजा भावIndiGo पर ₹5,700 लगाकर ₹24,300 तक कमाने का मौका! HDFC सिक्योरिटीज ने बताई दमदार बुल स्प्रेड स्ट्रैटेजीमुफ्त योजनाएं भारत के रुपये को बना रहीं कमजोर: क्रिस्टोफर वुड की रिपोर्टBihar Election Results 2025 LIVE: शुरुआती रुझानों में NDA ने बहुमत का आंकड़ा पार किया- चुनाव आयोगStock Market Update: आईटी शेयरों में बिकवाली से बाजार में दबाव, सेंसेक्स 350 अंक टूटा; निफ्टी 25800 के नीचे फिसलाBihar Assembly elections 2025: राघोपुर से लेकर अलीनगर तक, इन 8 हॉट सीट पर रहेंगी सभी की नजरेंQ2 Results: Tata Motors, LG, Voltas से लेकर Elkem Labs तक; Q2 में किसका क्या रहा हाल?पानी की भारी खपत वाले डाटा सेंटर तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर डाल सकते हैं दबाव

29 दिन तक बकाये पर निगाह रखे: सिडबी

Last Updated- December 12, 2022 | 1:57 AM IST

कर्जदाताओं को बेहद छोटे कर्जों के भुगतान में 29 दिन तक की देरी होने पर किसी तरह का जोखिम कम करने के लिए करीबी निगाह रखने की जरूरत है। ऐसा करने से लेनदारों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में गिरावट आने का खतरा कम होगा। 
कोविड महामारी ने मार्च 2020 से ही माइक्रो-फाइनैंस क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया हुआ है। आपूर्ति शृंखला एवं कारोबार परिचालन में आने वाली बाधाओं के अलावा बहुत छोटे कर्ज लेने वाले निम्न आय वर्ग पर भी इसने गहरा असर डाला है।

लघु उद्योगों को वित्तीय समर्थन देने के लिए गठित बैंक सिडबी के मुताबिक दिसंबर 2020 की तुलना में मार्च 2021 में स्थिति थोड़ी सुधरी थी। खासकर सक्रिय कर्जों की अदायगी के मामले में हालात बेहतर हुए थे। बैंक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिवसुब्रमण्यन रमन्ना कहते हैं कि 90 दिनों से अधिक समय तक कर्ज नहीं चुकाने की दर दिसंबर 2020 में 4.96 फीसदी हो गई थी लेकिन मार्च 2021 में यह घटकर 4.12 फीसदी पर आ गई। यह माइक्रो-फाइनैंस क्षेत्र में हालात सुधरने के संकेत दर्शाता है। 
सिडबी और इक्विफैक्स की तिमाही रिपोर्ट ‘माइक्रो-फाइनैंस प्लस’ बताती है कि इस क्षेत्र में 90 दिनों से अधिक की बकाया अवधि वाले कर्ज 31 मार्च 2020 को सिर्फ 0.86 फीसदी ही थे। कर्नाटक को छोड़कर बाकी सभी शीर्ष 10 राज्यों में यह अनुपात मार्च 2020 की तुलना में मार्च 2021 में बढ़ा ही है। 

माइक्रो-फाइनैंस उद्योग का पोर्टफोलियो वित्त वर्ष 2020-21 में 18 फीसदी बढ़कर 2,49,277 करोड़ रुपये हो गया। समूचे उद्योग के सकल कर्ज पोर्टफोलियो में 80 फीसदी अंशदान इन 10 बड़े राज्यों का था जबकि पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा कर्ज बकाया था। 
सिडबी की रिपोर्ट कहती है कि क्षेत्रवार बाजार हिस्सेदारी में कर्ज वितरण के लिहाज से पूर्व क्षेत्र का कुल ऋण वितरण में 45 फीसदी हिस्सा रहा और वह सबसे आगे रहा।

First Published - August 12, 2021 | 12:04 AM IST

संबंधित पोस्ट