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रिजर्व बैंक ने गठित किया नवोन्मेष केंद्र

Last Updated- December 14, 2022 | 9:11 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्तीय क्षेत्र के लिए नवोन्मेष केंद्र का गठन किया है। इस इकाई की प्रशासनिक परिषद का चेयरपर्सन सेनापति (कृष) गोपालकृष्णन को बनाया गया है, जो इन्फोसिस के सह संस्थापक और पूर्व सह चेयरमैन थे।
केंद्रीय बैंक ने अपनी अगस्त की मौद्रिक नीति में कहा था कि वह रिजर्व बैंक नवोन्मेष केंद्र (आरबीआईएच) का गठन करने जा रहा है, जिससे वित्तीय क्षेत्र में नवोन्मेष को प्रोत्साहन मिल सके, जिससे इस क्षेत्र में तकनीक और नवोनमेष की स्वीकार्यता के लिए माहौल बन सकेगा। आरबीआईएच के गठन का मकसद वित्तीय सेवाओं व उत्पादों के प्रोत्साहन पर ध्यान केंद्रित करना है। यह वित्तीय समावेशन को भी प्रोत्साहित करेगा।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि आरबीआईएच वित्तीय क्षेत्र के संस्थानों, तकनीक उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर काम करेगा और विचारों के आदान प्रदान और वित्तीय नवोन्मेष में समरूपता संबंधी विकास करेगा। रिजर्व बैंक ने कहा कि यह आंतरिक बुनियादी ढांचे का विकास करेगा जिससे कि फिनटेक रिसर्च को प्रोत्साहन मिले और नवोन्मेषकों व स्टार्टअप से तालमेल हो सके।
आरबीआईएच का प्रबंधन गोपालकृष्णन की अध्यक्षता वाली प्रशासनिक परिषद करेगी। परिषद के अन्य सदस्योंं में आईआईटी मद्रास के इंस्टीट्यूट प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला, आईआईएससी के प्रमुख शोध वैज्ञानिक एच कृष्णमूर्ति, टीवीएस कैपिटल फंड के सीएमडी गोपाल श्रीनिवासन, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के पूर्व सीईओ एपी होता, सिंडिकेट बैंक के पूर्व सीएमडी मृत्युंजय महापात्र शामिल हैं।
प्रशासनिक परिषद में रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक रवि शंकर, सूचना तकनीक विभाग के सीजीएम दीपक कुमार, इंस्टीट्यूट फार डेवलपमेंट ऐंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी हैदराबाद की निदेशक के निखिला भी शामिल हैं। परिषद में मुख्य कार्याधिकारी की नियुक्ति अभी होनी है।
बहरहाल एक और मामले में रिजर्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि नियामकीय सैंडबॉक्स ढांचे के तहत खुदरा भुगतान के पहले चरण में चुनी गई 6 इकाइयों में से दो ने इस सप्ताह अपने उत्पाद का परीक्षण शुरू कर दिया है, जबकि शेष 4 जल्द ही अपना परीक्षण शुरू करेंगी।

First Published - November 17, 2020 | 11:08 PM IST

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