पिछले 25 साल में कुछ मामले ही सामने आए, जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वाणिज्यिक बैंकों पर सार्वजनिक बयान जारी किए और उनकी वित्तीय स्थिति को लेकर आश्वस्त किया और जमाकर्ताओं से अफरातफरी में न आने और अटकलबाजी वाली खबरों पर प्रतिक्रिया न देने को कहा।
रिजर्व बैंक ने ताजा अपील इंडसइंड बैंक को लेकर की है। लेखांकन संबंधी त्रुटि के कारण बैंक की पूंजी को 2.35 प्रतिशत नुकसान हुआ, जो अनुमानित रूप से 1,500 से 2,000 करोड़ रुपये है। इसकी वजह से पिछले बुधवार को बैंक के शेयर 27 प्रतिशत से ज्यादा गिर गए।
शनिवार को रिजर्व बैंक ने एक बयान जारी कर जमाकर्ताओं से अपील की कि अटकलबाजी वाली रिपोर्ट पर इस समय प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है। साथ ही रिजर्व बैंक ने इंडसइंड की वित्तीय सेहत बेहतर होने की पुष्टि भी की। इसमें यह भी कहा गया कि नियामक इस बैंक की नजदीकी से निगरानी कर रहा है।
शनिवार के बयान में यह भी कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने इंडसइंड के बोर्ड और प्रबंधन को सभी हिस्सेदारों को जरूरी जानकारी देने के बाद वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में उपचारात्मक कार्रवाई पूरी करने का निर्देश दिया है।
रिजर्व बैंक ने इंडसइंड बैंक के मजबूत पूंजी पर्याप्तता अनुपात (16.46 प्रतिशत), प्रॉविजन कवरेज रेशियो (70.2 प्रतिशत) और लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (113 प्रतिशत) का भी हवाला दिया है।
दिसंबर के अंत में इसका लिक्विडिटी कवरेज रेशियो 118 प्रतिशत था। यह 100 प्रतिशत नियामकीय जरूरत से बहुत ऊपर है। इसके पहले 12 अप्रैल, 2003 को आईसीआईसीआई बैंक को लेकर ग्राहकों में अफरातफरी मची थी और नियामक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके आईसीआईसीआई बैंक के पास पर्याप्त नकदी होने की स्थिति साफ की थी।
वहीं 5 मार्च, 2020 को रिजर्व बैंक ने येस बैंक के मामले में जमाकर्ताओं को आश्वस्त किया था कि उनके हितों की रक्षा की जाएगी। रिजर्व बैंक द्वारा जमाकर्ताओं को शांत करने के लिए कभी-कभार ये बयान देने का एक कारण यह है कि बैंकों के लिए बैंकर के रूप में रिजर्व बैंक ‘लेंडर ऑफ द लास्ट रिसोर्ट’ (एलओएलआर) के रूप में भी कार्य करता है। इंडसइंड के मामले में रिजर्व बैंक को एलओएलआर की भूमिका में सामने आना पड़ा है।