भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों से कहा है कि वे संवेदनशील पदों पर या परिचालनों में कार्यरत कर्मचारियों को हर साल एक बार बिना सूचित किए 10 दिनों या उससे अधिक के लिए अनिवार्य अवकाश पर भेजने की नीति तैयार करें।
रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा कि एक दूरदर्शी परिचालन संबंधी जोखिम प्रबंधन उपाय के तौर पर बैंकों के पास अनिवार्य अवकाश नीति होनी चाहिए जिससे अचानक से निर्णय लिए जाने का तत्व बना रहेगा। संशोधित नियमों से 23 अप्रैल, 2015 को जारी परिपत्र निरस्त हो जाएगा।
रिजर्व बैंक इन संशोधित निर्देशों के पालन के लिए बैंकों को इस परिपत्र के जारी होने के दिनांक से छह महीने का वक्त दिया है।
बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अनिवार्य अवकाश पर भेजे गए कर्मचारी के पास अपने कार्य जि मेदारियों से संबंधित किसी प्रकार की वस्तु भौतिक या आभासी रूप में नहीं हों। इस शर्त से केवल आंतरिक/कॉर्पोरेट ईमेल को बाहर रखा गया है जो सामान्य उद्ïदेश्यों के लिए सभी कर्मचारियों को सामान्यतया उपलब्ध रहता है।
बैंकों को अनिवार्य अवकाश जरूरतों के तहत शामिल किए जाने वाले संवेदनशील पदों की सूची तैयार करनी चाहिए और सूची की एक निश्चित अवधि पर समीक्षा की जाएगी। रिजर्व बैंक ने कहा कि इस नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा पर्यवेक्षी प्रक्रिया के तहत की जाएगी।
