ऑडिटिंग कंपनी प्राइस वाटरहाउस को सत्यम के बहीखातों में की गई छेड़छाड़ में सहयोग करने के लिए रिजर्व बैंक से फिर फटकार लग सकती है।
इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस मामले को लेकर जल्द ही बैठक हो सकती है।
बैंक के सूत्रों ने बताया, ‘कंपनी पर लगे आरोपों के आधार पर हमनें प्राइस वाटरहाउस को ब्लैकलिस्ट करने का फैसला लिया है। इस बारे में जल्द ही भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थान (आईसीएआई) को भी निर्देश दिए जाएंगे। आईसीएआई ही बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की ऑडिटिंग के लिए ऑडिटिंग फर्मों के नाम सुझाती है।’
हालांकि प्रबंधन कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का अंतिम आदेश सेबी और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) की रिपोर्ट आने के बाद ही लिया जाएगा।
हालांकि तब तक जो भी निजी क्षेत्र के बैंक और विदेशी बैंक ऑडिटिंग के लिए प्राइस वाटरहाउस की सेवाएं ले रहे हैं उन्हें सतर्कता बरतने की सलाह दी जा सकती है।
आईसीएआई के अधिकारी ने बताया, ‘यह फैसला निजी बैंकों द्वारा लिया जाएगा। लेकिन एक नियामक संस्था होने के कारण सभी को सतर्क करना हमारी जिम्मेदारी है।’
उन्होंने बताया कि अगर ऑडिटिंग कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जाता है तो इससे उनके काम में थोड़ी आसानी हो जाएगी। कंपनी ने सत्यम के लिए भारतीय पद्धति और अमेरिका की गैप पद्धति से भी बहीखाते बनाए थे।
यही आंकड़े शेयरों की कीमत, सूचीबद्ध और विदेशी बाजार में अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट (एडीआर) जारी करने का आधार बने हैं। अगर कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का आदेश जारी कर दिया जाता है तो यह दूसरी बार होगा, जब कंपनी को रोका जाएगा ।
रिजर्व बैंक के सूत्रों ने बताया, ‘हम आईसीएआई की जांच का इंतजार नहीं करेंगे, क्योंकि उसकी जांच काफी लंबी चलेगी। बल्कि हम सेबी और आरओसी की जांच रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेंगे।’
उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक अभी तक सत्यम मामले में ऑडिट फर्म प्राइस वाटरहाउस की क्या भूमिका रही इसी की जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।
इसके अलावा आईसीएआई ने फिलहाल प्राइस वाटरहाउस को तीन साल तक के लिए बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के ऑडिट करने से रोक दिया है।
मुश्किल राहें
रिजर्व बैंक नहीं करेगा आईसीएआई की जांच का इंतजार
पीडब्ल्यू को ब्लैकलिस्ट करने का अंतिम आदेश सेबी और आरओसी की रिपोर्ट के बाद लिया जाएगा
आईसीएआई ने पीडब्ल्यू को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के ऑडिट करने से रोका