भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मंगलवार को कहा कि देश को वित्तीय ढंग से बेहतर बनाने के लिए अगला दशक महत्त्वपूर्ण है और रिजर्व बैंक भारत की वित्तीय प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए हरसंभव कदम उठाएगा। इस क्रम में रिजर्व बैंक पहुंच के विस्तार, दक्षता बढ़ाने और उभरते आर्थिक परिदृश्य में लचीलेपन को मजबूत करके, वित्तीय स्थिति को उन्नत करने के लिए कार्य कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक ग्राहक सेवा बेहतर करने और उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
उन्होंने मुंबई में भारतीय रिजर्व बैंक की 90वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘ इसे उपलब्धि समझते हुए हम मानते हैं कि आरबीआई की भूमिका प्रारंभिक लक्ष्यों से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण रूप से विस्तारित हुई है। आज हम परंपरा व परिवर्तन के संगम पर खड़े हैं, जहां मूल्य स्थिरता, वित्तीय स्थिरता तथा आर्थिक वृद्धि की अनिवार्यताएं तेजी से बढ़ती प्रौद्योगिकी, वैश्विक अनिश्चितताओं, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और बढ़ती जन अपेक्षाओं के साथ जुड़ती हैं।’
अगला दशक भारतीय अर्थव्यवस्था के वित्तीय ढांचे को आकार देने में महत्त्वपूर्ण साबित होगा। आरबीआई वित्तीय समावेश को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। लोगों तक बैंकों की पहुंच बढ़ाने के लिए 55.1 करोड़ खाते खोले गए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के वित्तीय समावेशन सूचकांक के अनुसार देश में मार्च 2024 तक वित्तीय समावेशन 64.2 था जबकि यह वर्ष 2023 में 60.1 और वर्ष 2017 में 43.4 ही था। यह सूचकांक तीन उपश्रेणियों पहुंच, गुणवत्ता और इस्तेमाल पर आधारित होता है।
उन्होंने कहा, ‘ हमारा प्रयास वित्तीय स्थिरता व दक्षता के हितों को संतुलित कर नियामक ढांचे को लचीला बनाने का होगा। हम प्रौद्योगिकी व नवाचार का समर्थन करना जारी रखेंगे। हम सतर्क, लचीले और दूरदर्शी बने रहेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हम ग्राहक सेवाओं में निरंतर सुधार तथा उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने की संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास करेंगे।’ इससे पहले मल्होत्रा ने कहा था कि आरबीआई सभी हितधारकों, सरकारों और वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के साथ प्रभावी ढंग से सहयोग करना जारी रखेगा।
उन्होंने कहा, ‘हम रिजर्व बैंक में सभी चुनौतियों का सामना करने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं।