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NII: मजबूत शुद्ध ब्याज आय से स्मॉल फाइनैंस बैंकों के मुनाफे में दम

बैंकों की NII सालाना आधार पर 23.8 प्रतिशत बढ़कर 3,381 करोड़ रुपये हो गई, जिससे बढ़ती उधारी दरों का लाभ मिलने का स्पष्ट पता चलता है

Last Updated- August 14, 2023 | 9:52 PM IST
Demand for improvement in priority sector credit structure प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण ढांचे में सुधार की मांग

सूचीबद्ध लघु वित्त बैंकों (SFB) का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 59 प्रतिशत बढ़ गया। इन बैंकों को जून तिमाही में शुद्ध ब्याज आय (NII) और अन्य आय स्रोतों में मजबूत वृद्धि से मदद मिली।

पांच सूचीबद्ध एसएफबी – एयू, इ​क्विटास, सूर्योदय, उत्कर्ष और उज्जीवन के प्रदर्शन पर आधारित विश्लेषण से पता चलता है कि ​हालांकि तिमाही आधार पर एसएफबी का शुद्ध लाभ 1,098 करोड़ रुपये से 3.73 प्रतिशत घट गया।

बैंकों की एनआईआई सालाना आधार पर 23.8 प्रतिशत बढ़कर 3,381 करोड़ रुपये हो गई, जिससे बढ़ती उधारी दरों का लाभ मिलने का स्पष्ट पता चलता है। हालांकि तिमाही आधार पर, यह एनआईआई 3,278 करोड़ रुपये के मुकाबले नरम पड़कर 3.1 प्रतिशत रह गई।

वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के दौरान ऋण उठाव में शानदार वृद्धि से एनआईआई को सहारा मिला। सामान्य तौर पर इस तिमाही को सामान्य गतिवि​धि वाली अव​धि के तौर पर देखा जाता है। बैंकरों का कहना है कि इसके अलावा ऋणों के मूल्य निर्धारण में बदलाव, जमाओं में संशोधन का भी पहली तिमाही के प्रदर्शन में सकारात्मक योगदान रहा।

भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत रीपो दरें मई 2022 से 250 आधार अंक तक बढ़ाई हैं। रीपो दर अप्रैल, जून और अगस्त की मौद्रिक नीतिगत समीक्षा में 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखी गई। जमाओं में देनदारियों पर ब्याज दरों के साथ 30 जून तक सालाना आधार पर 13.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

शुल्क, कमीशन और ट्रेजरी स्रोतों से राजस्व समेत अन्य आय वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 56.2 प्रतिशत बढ़ी। ऋण में वृद्धि का पहली तिमाही के दौरान शुल्कों में बड़ा योगदान रहा। तिमाही आधार पर, अन्य आय 854 करोड़ रुपये से 5.62 प्रतिशत तक घट गई।

वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में प्रावधान और आक​स्मिक खर्च (स्टैंडर्ड लोन और एनपीए समेत) सालाना आधार पर 371 करोड़ रुपये से 32 प्रतिशत घटकर 250 करोड़ रुपये रह गया।

इससे अनुकूल व्यवसायों और आ​र्थिक परिवेश में परिसंप​त्ति गुणवत्ता दबाव घटा है। प्रावधान और आक​स्मिक खर्च वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही के 251 करोड़ रुपये के मुकाबले काफी हद तक सपाट बने रहे।

इन बैंकों का परिसंप​त्ति गुणवत्ता प्रोफाइल मजबूत बना हुआ है। फंसे कर्ज 30 जून, 2023 तक घटकर 830 करोड़ रुपये रह गए, जो एक साल पहले 1,152 करोड़ रुपये थे। ​हालांकि तिमाही आधार पर 712 करोड़ रुपये से इसमें इजाफा दर्ज किया गया।

First Published - August 14, 2023 | 9:52 PM IST

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