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सरकारी बैंकों के मुद्रा ऋण का एनपीए बढ़ा

Last Updated- December 15, 2022 | 1:39 AM IST

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत सरकारी बैंकों द्वारा दिए गए कर्ज में गैर निष्पादित संपत्ति(एनपीए) बढ़कर 2019-20 में दिए गए कुल कर्ज का 5 प्रतिशत हो गया है। वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने इस सप्ताह की शुरुआत में संसद में यह जानकारी दी है।
मुद्रा योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 2019-20 में बढ़कर 4.9 प्रतिशत हो गया है, जो 2018-19 मेंं 3.7 प्रतिशत और 2017-18 में 3.4 प्रतिशत था।
सोमवार को लोकसभा में दी गई लिखित सूचना में ठाकुर ने बताया कि पीएमएमवाई के तहत सरकारी बैंकों का एनपीए बढ़कर 2019-20 में 18,836 करोड़ रुपये हो गया, जो 2018-19 में 11,483 करोड़ रुपये और 2017-18 में 7,277 करोड़ रुपये था। सरकारी बैंकों ने 2019-20 मेंं 3.82 लाख करोड़ रुपये, जबकि 2018-19 मेंं 3.05 लाख करोड़ रुपये इस योजना के तहत कर्ज दिए थे।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने अप्रैल 2015 में मुद्रा योजना शुरू की थी, जिससे 10 लाख रुपये तक का असुरक्षित ऋण छोटे उद्यमों को दिया जा सके। इसका मकसद स्वरोजगार मुहैया कराना था।  इस योजना के लागू होने के बाद से 25.3 करोड़ लोगों को 12.9 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिए गए हैं।
बहरहाल संसद में दिए गए आंकड़े संभवत: मुद्रा योजना में एनपीए की समस्या की गहराई की सही तस्वीर पेश नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए है कि सरकार ने कुल कर्ज में खराब कर्ज के अनुपात का कोई आंकड़ा नहीं दिया है। साथ ही सरकार ने सिर्फ सरकारी बैंकों से जुड़े आंकड़े दिए हैं, जबकि मुद्रा योजना के तहत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और निजी क्षेत्र के बैंकों ने भी कर्ज दिए हैं।
ठाकुर ने कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा है कि वे पीएमएमवाई ऋण सहित छोटे आकार के कर्ज की संपत्ति की गुणवत्ता की निरंतर निगरानी करें, जिससे कि मुद्रा एनपीए खाते, अंडरराइटिंग मानकों में सुधार हो सके और पीएमएमवाई के तहत उधारी लेने वालों से नियमित रूप से संपर्क रखा जाए।
पिछले साल नवंबर में भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा योजना के तहत दिए गए कर्ज में एनपीए का स्तर बढऩे को लेकर चिंता जताई थी।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने दस्तावेजों को देखा है, जिससे पता चलता है कि एनपीए बढऩे के बावजूद सरकार ने मुद्रा योजना के तहत दिए जाने वाले कर्ज को लेकर लक्ष्य पर कायम रही। महाराष्ट्र में 28 अगस्त को राज्य स्तर की बैंकिंग समिति की  बैठक के ब्योरे के मुताबिक, ‘वित्तीय सेवा विभाग ने सभी सरकारी व निजी क्षेत्र के बैंकोंं को वित्त वर्ष 2020-21 में पूरे देश के पीएमएमवाई लक्ष्यों के बारे में सूचित किया है। डीएफएस के संयुक्त सचिव ने सदस्य बैंकों को सलाह दी है कि इस पर ध्यान दें और इसका तत्काल पालन किया जाए।’  
एसएलबीसी की बैठक में मुद्रा ऋण में एनपीए बढऩे को लेकर चिंता जताई गई, खासकर भारतीय स्टेट बैंक ने इसे लेकर चिंता जताई, जिसका महाराष्ट्र में इस योजना के तहत दिया गया आधा कर्ज खराब कर्ज में बदल गया है। एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने अप्रैल में कहा था कि भारतीय स्टेट बैंक के मुद्रा ऋण में 15 प्रतिशत एनपीए में तब्दील हो गया है। रिजर्व बैंंक के पूर्व गवर्नर ऊर्जित पटेल और रघुराम राजन ने भी मुद्रा योजना के बढ़ते लक्ष्य और इसमें बढ़ते खराब कर्ज को लेकर चिंता जताई थी।

First Published - September 19, 2020 | 12:28 AM IST

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